व्यापार के जरिये वृद्धि

ऑस्ट्रेलिया की संसद ने भारत के साथ आ​​र्थिक सहयोग एवं विकास समझौते (ईसीटीए) को मंजूरी दे दी है और इसके आगामी 1 जनवरी से लागू होने की उम्मीद है। इस घटनाक्रम को भारत के मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने की लंबे समय से लंबित प्रक्रिया में एक अहम कदम माना जा सकता है। ईसीटीए से ठीक पहले भारत ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापक आ​र्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किए थे।

भारत के तीसरे सबसे बड़े व्यापार साझेदार के साथ हुआ यह सौदा इस वर्ष के आरंभ में लागू हो गया। भारत ने इससे पहले 2011 में जापान के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। ऐसे में लंबे अंतराल के बाद हुए ये दोनों समझौते महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि वे भारत के रुख में एक अहम बदलाव को रेखांकित करते हैं।

नौ वर्ष के अंतराल के बाद यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते को लेकर वार्ता में कुछ प्रगति हुई है और भारत खाड़ी सहयोग परिषद के साथ भी ऐसा ही समझौता करना चाहता है। ऑस्ट्रेलिया के साथ ईसीटीए पर बातचीत मई 2011 में शुरू हुई थी लेकिन 2016 में नौ दौर के बाद यह वार्ता स्थगित हो गई।

ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौते की व्यापक रूपरेखा अ​धिक समायोजन वाले रुख को दर्शाती है। ऑस्ट्रेलिया 98 प्रतिशत कारोबारी वस्तुओं पर सीमा शुल्क समाप्त कर देगा और अपनी टैरिफ लाइंस को पूरी तरह समाप्त कर देगा। भारत भी 40 फीसदी आयात टैरिफ को तत्काल समाप्त करेगा और 10 वर्ष में 70.3 फीसदी आयात शुल्क को समाप्त करेगा। दोहरे कराधान से बचने के जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? समझौते को लेकर एक संबद्ध समझौता भी ऑस्ट्रेलिया में काम कर रही भारतीय आईटी कंपनियों को फायदा पहुंचाएगा।

भारतीय छात्रों और पेशवरों (योग ​शिक्षकों और खानसामों सहित) के लिए वीजा और यात्रा पहुंच आसान होने को एक बड़ी कामयाबी माना जाना चाहिए क्योंकि हाल के समय में वहां नस्लीय तनाव राजनीतिक बहस के केंद्र में रहा है। यूएई के साथ समझौता भी ऐसा ही है जहां वह सीमा शुल्क समाप्त करने पर राजी हो गया है। भारत के निर्यात के मूल्य के मुताबिक यह करीब 90 फीसदी है।

उदारीकृत व्यापार समझौतों की दिशा में एक अहम बदलाव मौजूदा भूराजनीतिक दबावों तथा इस तथ्य की वजह से जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? भी हो सकता है कि भारत ऐसे समय में अपेक्षाकृत तेज गति से​ विकसित होती अर्थव्यवस्था वाला देश हो सकता है जबकि प​श्चिम मंदी की ओर बढ़ रहा है। परंतु इसे लेकर भी कई सवाल उत्पन्न होते हैं।

प्रमुख चिंता यह है कि उदारीकृत व्यापार को लेकर किए जाने वाले ये समझौते भारतीय आ​र्थिक नीति में बढ़ते संरक्षणवाद की दिशा को लेकर किस तरह आगे बढ़ते हैं। 2017 से वि​भिन्न वस्तुओं के सीमा शुल्क में जो इजाफा हुआ है और जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? मेक इन इंडिया से जुड़े वि​भिन्न क्षेत्रों में उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजनाओं को लेकर जिस तरह बात की गई है वह सब मुक्त व्यापार समझौतों में इजाफे की इस प्रक्रिया से एकदम विरोधाभासी है।

इससे जुड़ा हुआ एक प्रश्न यह है कि क्या भारत ए​शिया प्रशांत देशों के बीच होने वाली क्षेत्रीय व्यापक जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? आ​र्थिक साझेदारी को लेकर अपना पुराना रुख बदलेगा। भारत ने 2019 में इससे दूरी बना ली थी। उस वक्त अनकही वजह यही थी कि चीन इस समूह में भागीदार है। लेकिन चूंकि चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है इसलिए व्यावहारिक बात यही है कि भारत आरसेप को लेकर अपना रुख बदले। आरसेप भारत के लिए बड़े आर्थिक लाभ ला सकता है।

आ​खिर में, और अ​धिक मुक्त व्यापार समझौतों को अंजाम देने की बात करें तो सरकार को वि​भिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौतों की स्थगित प्रक्रिया को पूरा करने के बारे में भी सोचना चाहिए। ये समझौते विदेशी निवेश जुटाने की दृ​ष्टि से अहम हैं। आने वाले कठिन वर्षों में भारत उदारीकरण और नियम आधारित आर्थिक रिश्तों पर दांव लगा सकता है।

जोखिम मुक्त व्यापार क्या है?

विश्व व्यापार संगठन द्वारा हाल में जारी किए गए वैश्विक व्यापार के वार्षिक आकलन में डरावनी तस्वीर पेश की गई है।

यह आकलन ऐसे समय आया है जब भारत का निर्यात वास्तव में ढह चुका है और बीते वर्ष की समान अवधि के मुकाबले हाल के महीनों के दौरान इसमें करीब 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जा चुकी है।

डब्ल्यूटीओ का अनुमान है कि 2009 में वैश्विक व्यापार में 9 प्रतिशत की गिरावट आएगी। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी गिरावट होगी। हालात और बुरे हो जाएंगे क्योंकि मंदी के कारण व्यापार बाधाओं में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया गया है कि ऐसे संरक्षणवादी उपायों के कारण आर्थिक भरपाई की कोशिशें बेअसर हो सकती हैं। व्यापार में गिरावट की भविष्यवाणी के साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि दीर्घावधि में वृद्धि का रुझान जारी रहेगा। हाल के दशकों में देखा गया है कि गरीब देशों ने मुक्त व्यापार के लिए मुक्त व्यापार की दलील को स्वीकार कर लिया है।

उन्होंने सीमा शुल्क सहित बाधाओं को कम किया है और वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ उनका जुड़ाव बढ़ा जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? है। मौजूदा बदलाव और संरक्षणवाद गलत समय पर सामने आए हैं, क्योंकि गरीब देश व्यापार में गिरावट से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं।

वे इसलिए भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं क्योंकि वे कुछ उत्पादों पर भी निर्भर हैं, उनकी कीमतों को लेकर चिंताएं हैं और उनकी अर्थव्यवस्थाएं धनी देशों की तरह आघात सहने के लिए तैयार नहीं है।

अफसोस की बात यह है कि सर्वाधिक शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं की बैठक जी-20 के मंच के तहत हुई, और इस दौरान संरक्षणवाद के खिलाफ लड़ने की जरूरत पर जोर दिया गया, लेकिन उन्होंने अपने कार्यों के जरिए मुक्त व्यापार में अपना भरोसा जताने के लिए काफी कम काम किया है।

विश्व बैंक ने बीते महीनों के दौरान संरक्षणवादी उपायों की घोषणा करने वाले देशों की सूची हाल में जारी की है। चीनी खिलौनों पर प्रतिबंध लगाने के कारण इस सूची में भारत को भी शामिल किया गया है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक जी-20 के सदस्य देशों में से 17 ने पिछले साल वाशिंगटन में हुई जी-20 की बैठक के बाद से 47 ताजा व्यापार अवरोधक उपायों को लागू किया है।

वास्तव में, कई देशों द्वारा घोषित किए गए आर्थिक राहत पैकेज विकृत व्यापारिक सब्सिडी और दूसरे संरक्षणवादी उपायों का ही नया रूप हैं। अमेरिकी राहत पैकेज के तहत 'अमेरिकी से खरीदो' का प्रावधान संरक्षणवाद का जीता उदाहरण है। विकसित देशों ने अब कार्बन टैक्स की बात शुरू कर दी है और विकासशील देशों के लिए व्यापार बाधा खड़ी की जा रही है।

यह सही है कि इस सभी संरक्षणवादी उपायों का कुल असर काफी कम होगा, जोखिम यह है कि ये संरक्षणवादी उपाय जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? आगे चलकर एक बड़ी गिरावट की शुरुआत कर सकते हैं। डब्ल्यूटीओ को सिर्फ संभावित खतरों के प्रति आगाह करने से आगे बढ़कर अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

वास्तव में डब्ल्यूटीओ के पास प्रभावित निर्यातक देशों की ओर से इन संरक्षणवादी उपायों के खिलाफ शिकायतों का अंबार लगने वाला है, बेहतर होगा कि डब्ल्यूटीओ स्वत: संज्ञान लेते हुए विश्व व्यापार संधि के तहत ऐसे मामलों पर कार्रवाई करे। अन्यथा वैश्विक व्यापार में अशांति के हालात बहुत दूर नहीं हैं।

Free Trade Agreement: ऑस्ट्रेलियाई संसद ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को मंजूरी दी

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रिश्तों को और मजबूत करने के लिए मंगलवार को बड़ा कदम उठाया गया। इसके मद्देनजर ऑस्ट्रेलिया की संसद में भारत-ऑस्ट्रेलिया मुक्त व्यापार समझौता पारित कर दिया गया. भारत-ऑस्ट्रेलिया FTA से किसको फायदा? जानिए पूरी डिटेल्स जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? नूपुर से.

Britain: भारत-UK के बीच FTA को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद, पाकिस्तान के लिए भी आई राहत भरी खबर

सूत्रों के मुताबिक, एफटीए पर चर्चा मंत्री स्तर पर होगी या सचिव स्तर पर, यह जल्द ही तय हो जाएगा। भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

ऋषि सुनक और नरेंद्र मोदी

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी।

दोनों देशों की बीत मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता अक्तूबर तक पूरी होनी थी, लेकिन किसी तरह देरी हो गई। भारत और ब्रिटेन के बीच एक व्यापार समझौता है, जिसके तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है।

ये चर्चा मंत्री स्तर पर होगी या सचिव स्तर पर, यह जल्द ही तय हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

हाल ही में वेस्ट मिडसलैंड्स के मेयर एंटी स्ट्रीट ने कहा कि भारत को मोटर वाहन उद्योग जैसे क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने के लिए विनिर्मित वस्तुओं पर शुल्क कम करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। एंडी स्ट्रीट सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य हैं।

सूत्रों के मुताबिक, व्यापार सौदे के 26 अध्यायों (चैप्टर्स) में से 14 को अंतिम रूप दे दिया गया है और आने वाले दिनों में ब्रिटेन के प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य बाकी अध्यायों के बारीक पहलुओं पर सहमत होना है।

पिछले महीने भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बने हैं। उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ एक फोन कॉल के दौरान एफटीए को अंतिम रूप देने की आशा व्यक्त की थी।

ब्रिटेन ने पाकिस्तान को अधिक जोखिम वाले देशों की सूची से हटाया
इस बीच, ब्रिटेन की सरकार ने पाकिस्तान को अधिक जोखिम वाले देशों की अपनी सूची से हटा दिया है। इस सूची में अब ईरान, म्यांमार और सीरिया सहित 26 देश रह गए हैं। ब्रिटेन की संसद ने सोमवार को सूची में एक संशोधन करते हुए निकारागुआ को भी इससे हटा दिया।

इस सूची में उन देशों को रखा जाता है जिन्होंने धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को नियंत्रित करने के लिए संतोषजनक कदम नहीं उठाए हैं।

विस्तार

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी।

दोनों देशों की बीत मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता अक्तूबर तक पूरी होनी थी, लेकिन किसी तरह देरी हो गई। भारत और ब्रिटेन के बीच एक व्यापार समझौता है, जिसके तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है।

ये चर्चा मंत्री स्तर पर होगी या सचिव स्तर पर, यह जल्द ही तय हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए को मार्च 2023 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

हाल ही में वेस्ट मिडसलैंड्स के मेयर एंटी स्ट्रीट ने कहा कि भारत को मोटर वाहन उद्योग जैसे क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने के लिए विनिर्मित वस्तुओं पर शुल्क कम करने को प्राथमिकता देनी चाहिए। एंडी स्ट्रीट सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य हैं।

सूत्रों के मुताबिक, व्यापार सौदे के 26 अध्यायों (चैप्टर्स) में से 14 को अंतिम रूप दे दिया गया है और आने वाले दिनों में ब्रिटेन के प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य बाकी अध्यायों के बारीक पहलुओं पर सहमत होना है।

पिछले महीने भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बने हैं। उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ एक फोन कॉल के दौरान एफटीए को अंतिम रूप देने की आशा व्यक्त की थी।

ब्रिटेन ने पाकिस्तान को अधिक जोखिम वाले देशों की सूची से हटाया
इस बीच, ब्रिटेन की सरकार ने पाकिस्तान को अधिक जोखिम वाले देशों की अपनी सूची से हटा दिया है। इस सूची में अब ईरान, म्यांमार और सीरिया सहित 26 देश रह गए हैं। ब्रिटेन की संसद ने सोमवार जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? को सूची में एक संशोधन करते हुए निकारागुआ को भी इससे हटा दिया।

इस सूची में उन देशों को रखा जाता है जिन्होंने धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को नियंत्रित करने के लिए संतोषजनक कदम नहीं उठाए हैं।

व्यापार समझौतों के प्रकार

Trade agreements is an agreement between two or more countries for specific जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? terms of trade, commerce, transit or investment.

Published On January 5th, 2022

व्यापार समझौतों के प्रकार_30.1

Table of Contents

क्षेत्रीय व्यापार समझौते

समाचार पत्र पढ़ते समय यूपीएससी के उम्मीदवारों को प्रायः एफटीए, पीटीए, सीईपीए इत्यादि जैसे शब्द अकस्मात सामने दिख जाते हैं। ये समान-ध्वनि वाले शब्द प्रायः उम्मीदवारों को भ्रमित करते हैं एवं इसलिए यह लेख आपकी तैयारी में आपकी सहायता करने तथा यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 को उत्तीर्ण करने के आपके लक्ष्य को प्राप्त करने में आपकी सहायता करने के निमित्त है।

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एक व्यापार समझौता क्या है?

व्यापार समझौते दो या दो से अधिक देशों के मध्य व्यापार, वाणिज्य, पारगमन अथवा निवेश की विशिष्ट शर्तों के लिए एक समझौता है। इनमें अधिकांशतः व्यापारिक एवं गैर-व्यापारिक रियायतों सहित पारस्परिक रूप से लाभकारी रियायतें भी सम्मिलित हैं।

व्यापार समझौते के प्रकार

प्रतिभागी (भाग लेने वाले) निकायों द्वारा सहमत शर्तों एवं रियायतों के आधार पर कतिपय प्रकार के व्यापारिक समझौते होते हैं।

फ्रेमवर्क एग्रीमेंट

फ्रेमवर्क समझौता मुख्य रूप से व्यापारिक भागीदारों के मध्य संभावित समझौते के उन्मुखीकरण के दायरे एवं प्रावधानों को परिभाषित करता है।

फ्रेमवर्क समझौता चर्चा के कुछ नए क्षेत्रों हेतु प्रावधान करता है एवं भविष्य के उदारीकरण की अवधि निर्धारित करता है।

भारत ने पूर्व समय में आसियान, जापान इत्यादि देशों के साथ फ्रेमवर्क समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।

अर्ली हार्वेस्ट स्कीम

अर्ली हार्वेस्ट स्कीम (ईएचएस) दो व्यापारिक भागीदारों के मध्य एफटीए/सीईसीए/सीईपीए का पूर्ववर्ती है।

उदाहरण के लिए: आरसीईपी के लिए एक अर्ली हार्वेस्ट योजना आरंभ की गई है। इस स्तर पर, समझौता वार्ता करने वाले देश वास्तविक एफटीए वार्ता के समापन तक प्रशुल्क (टैरिफ) उदारीकरण के लिए कुछ उत्पादों का अभिनिर्धारण करते हैं।

इस प्रकार एक अर्ली हार्वेस्ट योजना संवर्धित जुड़ाव एवं विश्वास निर्माण की दिशा में एक कदम है।

अधिमान्य व्यापार समझौता/प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट (पीटीए)

पीटीए एक प्रकार का समझौता है जिसमें दो या दो से अधिक भागीदार कुछ उत्पादों में प्रवेश का अधिमान्य अधिकार प्रदान करते हैं। यह प्रशुल्क( टैरिफ) लाइनों की एक सहमत संख्या पर प्रशुल्कों को कम करके किया जाता है।

इस व्यापार समझौते में, एक सकारात्मक सूची अनुरक्षित की जाती है, अर्थात उन उत्पादों की सूची, जिन पर दोनों भागीदारों ने अधिमान्य/तरजीही पहुंच प्रदान करने हेतु सहमति व्यक्त की है।

यहां तक ​​कि एक अधिमान्य व्यापार समझौते में भी कुछ उत्पादों हेतु प्रशुल्क घटाकर शून्य किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए: भारत ने अफगानिस्तान के साथ एक अधिमान्य व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए।

मुक्त व्यापार समझौता/फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) एक ऐसा समझौता है जहां दो या दो से अधिक देश भागीदार देश को अधिमान्य व्यापार शर्तें, प्रशुल्क रियायतें इत्यादि प्रदान करने हेतु सहमत होते हैं।

इस समझौते में, समझौता करने वाले देशों द्वारा उत्पादों एवं सेवाओं की एक नकारात्मक अनुरक्षित की जाती है, जिन पर एफटीए की शर्तें लागू नहीं होती हैं, अतः यह अधिमान्य व्यापार समझौते की तुलना में अधिक व्यापक है।

भारत ने आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) जैसे कुछ व्यापारिक समूहों (ब्लॉकों) के साथ अनेक देशों जैसे श्रीलंका के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं।

व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता/कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीईपीए)

साझेदारी समझौता अथवा सहयोग समझौता मुक्त व्यापार समझौते की तुलना में अधिक व्यापक है।

सीईसीए/सीईपीए व्यापार के नियामक पहलू की भी जांच पड़ताल करता है एवं नियामक मुद्दों को सम्मिलित करने वाले एक समझौते को शामिल करता है।

सीईसीए का आच्छादन (कवरेज) व्यापक है। सीईपीए सेवाओं एवं निवेश तथा आर्थिक साझेदारी के अन्य क्षेत्रों में व्यापार पर समझौते को शामिल करता है।

सीईपीए व्यापार सुविधा एवं सीमा शुल्क सहयोग, प्रतिस्पर्धा तथा आईपीआर (बौद्धिक संपदा अधिकार) जैसे क्षेत्रों से संबंधित समझौते पर भी विचार कर सकता है।

उदाहरण के लिए: भारत ने दक्षिण कोरिया एवं जापान के साथ सीईपीए पर जोखिम मुक्त व्यापार क्या है? हस्ताक्षर किए हैं।

व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता/कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक कोऑपरेशन एग्रीमेंट (सीईसीए)

सीईसीए आम तौर पर केवल व्यापार शुल्क एवं टीक्यूआर दरों पर समझौतों को सम्मिलित करता है। याद, यह सीईपीए जितना व्यापक नहीं है। भारत ने मलेशिया के साथ सीईसीए पर हस्ताक्षर किए हैं।

सीमा शुल्क संघ/कस्टम्स यूनियन

एक सीमा शुल्क संघ दो या दो से अधिक देशों के मध्य व्यापार बाधाओं को दूर करने एवं प्रशुल्कों को कम अथवा समाप्त करने हेतु एक समझौता है। एक सीमा शुल्क संघ के सदस्य आम तौर पर गैर-सदस्य देशों से आयात पर एक सामान्य बाह्य प्रशुल्क आरोपित करते हैं।

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आर्थिक संघ/इकोनॉमिक यूनियन

एक आर्थिक संघ दो या दो से अधिक देशों के मध्य वस्तुओं, सेवाओं, मुद्रा एवं श्रमिकों को स्वतंत्र रूप से सीमाओं के पार जाने की अनुमति प्रदान करने हेतु एक समझौता है।

संबंधित देश इस उभयनिष्ठ बाजार का समर्थन करने के लिए सामाजिक एवं वित्तीय नीतियों का समन्वय भी कर सकते हैं। यूरोपीय संघ (ईयू) आर्थिक संघ का एक उदाहरण है।

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