रसातल में रुपया: गांव हो या शहर, हर जगह दिखेगा असर, बढ़ेगी आम आदमी की मुसीबत
रुपये में जैसे-जैसे कमजोरी बढ़ेगी आम आदमी की मुसीबत भी बढ़ेगी। रुपया का रसातल में जाने से हर तरफ असर पड़ना तय है। आयात महंगा होगा और घरेलू उत्पादन और जीडीपी को अल्पअवधि में नुकसान पहुंचेगा।
गुरुवार को रुपये ने एक बार फिर अपना पिछला निचला स्तर तोड़कर गिरावट का नया स्तर हासिल किया है। रुपये की इस कमजोरी का असर हर किसी पर पड़ेगा चाहे वह गांव में रहता हो या शहर में। आयातक, नियार्तक, विदेश में पढ़ने वाले छात्र, निवेशक, सामान्य उपभोक्ता सभी को रुपये की इस कमजोरी का असर झेलना होगा।
डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी की वजह दरअसल अमेरिकी फेडरल रिजर्व की कल की ब्याज दर में 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। यही नहीं यूरो और स्टर्लिंग समेत छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक सबसे ऊंचे स्तर 111.65 पर पहुंच गया है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, फेडरल रिजर्व 2023 में विदेशी मुद्रा व्यापार व्यवसाय के साथ सफलता के आक्रामक रुख और रूस तथा रूस-यूक्रेन के बीच तनाव और बढ़ने से प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में तेजी आई। अन्य एशियाई मुद्राओं की तरह रुपया भी रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती आने के बाद भी रुपये में गिरावट का मौजूदा रुख जारी रह सकता है।
बढ़ेगी आम आदमी की मुसीबत
रुपये में जैसे-जैसे कमजोरी बढ़ेगी आम आदमी की मुसीबत भी बढ़ेगी। इसकी वजह है हमारे देश का बहुत सारी चीजों के लिए आयात पर निर्भर रहना। ज्यादातर आयात-निर्यात अमेरिकी डॉलर में ही होता है इसलिए बाहरी देशों से कुछ भी खरीदने के लिए हमें अधिक मात्रा में रुपये खर्च करने पड़ेंगे। हम अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी ईंधन यानी कच्चा तेल और कोयला आयात करते हैं। यूक्रेन संकट के बाद कच्चा तेल महंगा हुआ है। इससे आयात महंगा होता गया 2023 में विदेशी मुद्रा व्यापार व्यवसाय के साथ सफलता और व्यापार घाटा बढ़ता गया। कमजोर रुपये से आयात महंगा बना रहेगा और इससे घरेलू उत्पादन और जीडीपी को अल्पअवधि में नुकसान पहुंचेगा।
महंगाई की मार में तेजी आएगी
धिकतर मोबाइल और गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता और अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। विदेशों से आयात होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा तय है, मतलब मोबाइल और अन्य गैजेट्स पर महंगाई बढ़ेगी और आपको ज्यादा खर्च करना होगा। आपके किचन में इस्तेमाल होने वाले सरसों और रिफाइंड तेल सब महंगे हो जाएंगे। इसके अलावा जिन भी पैकेज्ड वस्तुओं में खाने के तेल का इस्तेमाल होता है, वो भी महंगी हो जाएंगी जैसे आलू के चिप्स, नमकीन वगैरह।
ब्याज दरों में इजाफा
रुपये की कीमत में गिरावट होती है तो महंगाई में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। आरबीआई को महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों में इजाफा करना पड़ता है। आरबीआई ने पिछले चार महीनों में महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में 1.4 फीसदी का इजाफा किया है। इसके कारण कर्ज लेने वाले ग्राहकों की ईएमआई में इजाफा हो गया है।
ब्याज दरों के बढ़ने से रोजगार सृजन पर लगाम
दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के ब्याज बढ़ाने के बाद आरबीआई को भी दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इससे कर्ज महंगा हो रहा है। इससे एमएसएमई, रियल एस्टेट सेक्टर पर रोजगार सृजन पर लगाम लगाने का दबाब बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई रोकने के उपायों से अर्थव्यस्था का चक्का रुकेगा।
व्यापार घाटा बढ़ा
देश का व्यापार घाटा भी बढ़ा है। जून में देश का व्यापार घाटा 26.18 अरब डॉलर रहा। भले इस अवधि में देश का एक्सपोर्ट 23.5% बढ़ा है, लेकिन इसके मुकाबले में आयात कहीं और ज्यादा बढ़ा है। जून 2022 में देश का आयात सालाना आधार पर 57.55% बढ़ गया है। ऐसे में व्यापार घाटा भी बढ़ा है. जून 2021 में भारत का व्यापार घाटा महज 9.60 अरब डॉलर था।
आरबीआई लगातार कर रहा प्रयास
इस बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी तेज गिरावट आई है। रुपये को संभालने के लिए आरबीआई ने खुले मार्केट में डॉलर की बिक्री भी की है, लेकिन ये प्रयास नाकाफी दिखाई दे रहे हैं। पिछले कुछ महीनों के आंकड़े बता रहे हैं कि रिजर्व बैंक लगातार खुले बाजार में अपने डॉलर की बिकवाली कर रहा है।
रुपये के कमजोर होने से इन क्षेत्रों को नुकसान
कच्चा तेल: कच्चे तेल के आयात बिल में बढ़ोतरी होगी और विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करनी होगी।
उर्वरक: भारत बड़ी मात्रा में जरूरी उर्वरकों और रसायन का आयात करता है। आयात करने वालों को यह अधिक दाम में कम मिलेगा। इससे इस क्षेत्र को सीधा नुकसान होगा।
इलेक्ट्रॉनिक सामान: कमजोर रुपये से कैपिटल गुड्स के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र को भी नुकसान होगा। रुपये की कमजोरी का नकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर दिखाई देगा।
विदेश में शिक्षा महंगीः जो बच्चे विदेश पढ़ने गए हैं 2023 में विदेशी मुद्रा व्यापार व्यवसाय के साथ सफलता उनके माता-पिता के लिए भी नया सिरदर्द पैदा होगा। उनके माता-पिता को अब पहले से ज्यादा रुपये भेजने होंगे।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी, इस बार 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर पर आया
पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.
देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 600 अरब डॉलर से गिरते-गिरते अब 550 अरब डॉलर के आस-पास आ गया है. पिछले हफ्ते की गिरावट क . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : September 17, 2022, 08:41 IST
हाइलाइट्स
पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.
हालिया गिरावट की मुख्य वजह रिजर्व बैंक द्वारा बड़ी मात्रा में डॉलर की बिकवाली है.
इस दौरान स्वर्ण भंडार 34 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.64 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
मुंबई. देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट जारी है. विदेशी मुद्रा भंडार नौ सितंबर को समाप्त सप्ताह में 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर रह गया. रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 7.94 अरब डॉलर घटकर 553.10 अरब डॉलर रहा था. पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद इस समय 2023 में विदेशी मुद्रा व्यापार व्यवसाय के साथ सफलता मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया है.
लगभग 600 अरब डॉलर से यह गिरते-गिरते अब 550 अरब डॉलर के आस-पास आ गया है. रिजर्व बैंक द्वारा जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, फॉरेन करेंसी एसेट ( एफसीए) में गिरावट से विदेशी मुद्रा भंडार घटा है. समीक्षाधीन सप्ताह में एफसीए 2.51 अरब डॉलर घटकर 489.59 अरब डॉलर रह गया.
डॉलर की बिकवाली
पिछले हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार की गिरावट पर एक्सपर्ट ने कहा था कि हालिया गिरावट की मुख्य वजह रिजर्व बैंक द्वारा बड़ी मात्रा में डॉलर की बिकवाली है. रुपए की कमजोरी से निपटने के लिए आरबीआई ने पिछले दिनों यह कदम उठाया जिसका असर मुद्रा भंडार पर दिख रहा है. इस समय भी यह कारण हावी है.
गोल्ड रिजर्व बढ़ा
हालांकि, इस दौरान स्वर्ण भंडार 34 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.64 अरब 2023 में विदेशी मुद्रा व्यापार व्यवसाय के साथ सफलता डॉलर पर पहुंच गया. 2 सितंबर को समाप्त सप्ताह में सोने का भंडार 38.303 अरब डॉलर पर था. उस समय इसमें 1.339 अरब डॉलर की गिरावट देखी गई थी. जेफरीज ने 6 सितंबर के अपने नोट में कहा था कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है. अब इसमें और गिरावट देखने को मिल रही है.
व्यापार घाटा भी बढ़ रहा
भारत का व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है. एक साल पहले के इसी अवधि में यह 54 अरब डॉलर था. वहीं, भारत का चालू खाते का घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत के भीतर रह सकता है. बीते वित्त वर्ष में यह 1.2 प्रतिशत पर था. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के शुक्रवार को जारी ताजा बुलेटिन में यह अनुमान जताया गया है.
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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 14 October, 2022 UPSC CNA in Hindi
निम्नलिखित में से किस राष्ट्रीय उद्यान का उल्लेख यहाँ किया जा रहा है?
(a) बलफकरम राष्ट्रीय उद्यान
(b) देहिंग पटकाई राष्ट्रीय उद्यान
(c) मौलिंग राष्ट्रीय उद्यान
(d) नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान
उत्तर: d
व्याख्या:
- नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान वर्ष 1983 में अरुणाचल प्रदेश में स्थापित एक विशाल संरक्षित क्षेत्र है।
- 1,000 से अधिक फूलों और लगभग 1,400 जीव प्रजातियों के साथ, यह पूर्वी हिमालय में एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है।
- यह पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश राज्य में चांगलांग जिले के भीतर भारत और म्यांमार के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित है।
- यह दुनिया का एकमात्र उद्यान है जहां बड़ी बिल्ली की चार प्रजातियां हैं बाघ (पैंथेरा टाइग्रिस), तेंदुआ (पैंथेरा पार्डस), हिम तेंदुआ (पैंथेरा उनसिया) और धूमिल तेंदुआ (नियोफेलिस नेबुलोसा) पाई जाती हैं।
- हालाँकि, राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुओं को अभी तक न तो देखा गया है और न ही दर्ज किया गया है और हाल के सर्वेक्षण के आधार पर वन्यजीव अधिकारियों को हिम तेंदुए की मौजूदगी की पुष्टि का इंतजार है।
- भारत में पाई जाने वाली एकमात्र ‘वानर’ प्रजाति, हूलॉक गिबन्स, इस राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है।
प्रश्न 5. भारत के संदर्भ में, ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA)’ के ‘अतिरिक्त नयाचार (एडिशनल प्रोटोकॉल)’ का अनुसमर्थन करने का निहितार्थ क्या है? (CSE-PYQ-2018)(स्तर – कठिन)
(a) असैनिक परमाणु रिएक्टर IAEA के रक्षोपायों के अधीन आ जाते हैं।
(b) सैनिक परमाणु अधिष्ठान IAEA के निरीक्षण के अधीन आ जाते हैं।
(c) देश के पास नाभिकीय पूर्तिकर्ता समूह (NSG) से यूरेनियम के क्रय का विशेषाधिकार हो जाएगा।
(d) देश स्वतः NSG का सदस्य बन जाता है।
उत्तर: a
व्याख्या:
- पुराने आईएईए (International Atomic Energy Agency (IAEA)) सुरक्षा उपायों के तहत सभी एनपीटी हस्ताक्षरकर्ता अपने परमाणु स्थलों को निर्दिष्ट करेंगे और आईएईए निर्दिष्ट स्थलों का निरीक्षण करेगा।
- इस प्रकार, आईएईए, पुराने सुरक्षा उपायों के तहत, केवल किसी देश द्वारा घोषित या निर्दिष्ट स्थलों पर ही अनधिकृत गतिविधियों के लिए निरीक्षण कर सकता था।
- इस प्रकार इसने मूल रूप से राष्ट्रों के लिए गुप्त परमाणु कार्यक्रम चलाने का एक विकल्प खुला छोड़ दिया – जैसा कि इराक के मामले में हुआ था।
- इस प्रकार, वर्ष 1993 में, IAEA ने मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा करने के लिए अतिरिक्त प्रोटोकॉल (AP) तैयार किए।
- हालांकि, 2023 में विदेशी मुद्रा व्यापार व्यवसाय के साथ सफलता भारत विशिष्ट अतिरिक्त प्रोटोकॉल आईएईए को उन गतिविधियों में बाधा डालने या हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देते हैं जो भारत के सुरक्षा समझौतों के दायरे से बाहर हैं, इस प्रकार भारत IAEA समझौते के 2023 में विदेशी मुद्रा व्यापार व्यवसाय के साथ सफलता बाहर एक सैन्य परमाणु कार्यक्रम के संचालन का अधिकार सुरक्षित रखता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. “पेलेट संयंत्र और टॉरफेक्शन दिल्ली के प्रदूषण का जवाब हो सकता है”। व्याख्या कीजिए। (150 शब्द, 10 अंक) (जीएस-3; पर्यावरण)
प्रश्न 2.”मनरेगा योजना महामारी के दौरान और बाद विफलता और एक सफलता दोनों थी”। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (जीएस-2; शासन)
Explainer: रुपये में ग्लोबल ट्रेड की मंजूरी से क्या डॉलर के दबदबे पर कोई फर्क पड़ेगा? भारत को कैसे होगा फायदा
Rupees vs Dollar: RBI का कहना है कि ग्लोबल ट्रेड ग्रोथ में भारत से एक्सपोर्ट को प्रमोट करने और ग्लोबल कारोबारी कम्युनिटी का रुपये में बढ़ते इंटरेस्ट को सपोर्ट करने के लिए यह कदम उठाया गया है.
रिजर्व बैंक रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए मैकेनिज्म लेकर आया है. (Representational Image)
RBI big move on Indian Rupees: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए रुपये में विदेशी व्यापार करने की इजाजत दे दी है. रिजर्व बैंक रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए मैकेनिज्म लेकर आया है, जिसके तहत अब एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का सेटलमेंट रुपये में हो सकेगा. RBI ने नोटिफिकेशन जारी कर इसकी डीटेल जानकारी दी है. आरबीआई का कहना है कि ग्लोबल ट्रेड ग्रोथ 2023 में विदेशी मुद्रा व्यापार व्यवसाय के साथ सफलता में भारत से एक्सपोर्ट को प्रमोट करने और ग्लोबल कारोबारी कम्युनिटी का रुपये में बढ़ते इंटरेस्ट को सपोर्ट करने के लिए यह कदम उठाया गया है. रिजर्व बैंक के इस कदम के बाद अहम सवाल यह भी है कि क्या रुपये में विदेशी व्यापार की मंजूरी का अमेरिकी डॉलर की पोजिशन पर कुछ फर्क पड़ेगा? साथ ही इस कदम से भारत के ट्रेड को कैसे फायदा होगा.
बना रहेगा डॉलर का दबदबा
आनंद राठी सिक्युरिटीज के चीफ इकोनॉमिस्ट सुजान हजरा का कहना है, रिजर्व बैंक के इस कदम से नियर टर्म में भारत को फॉरेन एक्सचेंज की कमी झेल रहे कई इमर्जिंग देशों के साथ व्यापार करने में सहूलियत होगी. साथ ही यह उस प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुपये को एक महत्वपूर्ण करेंसी बनाने की कोशिश कर रहा है. जहां तक बात 2023 में विदेशी मुद्रा व्यापार व्यवसाय के साथ सफलता डॉलर के दबदबे को लेकर है, तो इस कदम से हाल-फिलहाल फॉरेन ट्रेड के लिए प्रमुख करेंसी के रूप में अमेरिकी डॉलर की पोजिशन में कोई बदलाव आने की संभावना नहीं है.
उनका कहना है, यह कदम ट्रेड पार्टनर्स के बीच भारतीय रुपये की स्वीकार्यता बढ़ाने की प्रक्रिया का हिस्सा है. हाल के दिनों में हमने चीन की ओर से अपनी करेंसी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा स्वीकार्य बनाने के लिए अलग-अलग उपायों को देखा है. इस तरह की पहल के जरिए भारत भी यही कोशिश कर रहा है.
HDFC बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरूआ का कहना है, रुपये को इंटरनेशल ट्रेड सेटलमेंट की मंजूरी से डॉलर की पोजिशन पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. भारतीय रुपये में अभी इतनी ताकत नहीं है कि वह इंटरनेशनल पेमेंट को ज्यादा प्रभावित कर सके. इससे पहले, चीन ने भी यह कोशिश की है, लेकिन वो भी बहुत सफल नहीं हुआ.
बरूआ का कहना है, यूरो जैसी मजबूत करेंसी में भी इंटरनेशनल ट्रेड की ज्यादा बिलिंग अभी नहीं होती है. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि इसका ज्यादा फर्क पड़ेगा. इस मूव का फायदा यह होगा कि हम रूस और कुछ अन्य ट्रेड पार्टनर के साथ घरेलू करेंसी में ट्रेड कर सकेंगे. इसे हमें डॉलर डॉमिनेंस से नहीं जोड़ना चाहिए, क्योंकि इसका कोई असर नहीं होगा.
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RBI के इस मैकेनिज्म से भारत को क्या लाभ?
सुजान हजरा कहते हैं, हाल के समय में कुछ इमर्जिंग मार्केट फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व की कमी से जूझ रहे हैं, ऐसे में इन देशों के साथ भारत का व्यापार प्रभावित हो सकता है. आरबीआई की ओर से रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट को मंजूरी दिए जाने से कुछ हद तक स्थिति में बदलाव आ सकता है. बायलेटरल ट्रेड बैलेंस के नेट सेटलमेंट का एक मैकेनिज्म आने वाले समय में इस प्रक्रिया को और सुविधाजनक बना सकता है. उनका कहना है, रुपये में इनवॉयस और पेमेंट से ट्रांजैक्शन कॉस्ट और फॉरेन करेंसी में ट्रांजैक्शन से जुड़े मार्केट रिस्क भी कम होंगे.
अभीक बरूआ का कहना है, आरबीआई के इस कदम से कई 2023 में विदेशी मुद्रा व्यापार व्यवसाय के साथ सफलता सारे देशों के साथ ट्रेड भारतीय करेंसी में हो सकते हैं. जैसे, अभी रूस में डॉलर पेमेंट पर रोक लगी है. ऐसे में अगर रुपये में सेटलमेंट शुरू होता है, तो इस तरह के रिस्क वाले काफी ट्रेड आसानी से हो सकते हैं. इस मैकेनिज्म के बाद भारत- रूस के साथ ट्रेड सेटलमेंट में दिक्कत नहीं होगी.
क्या है RBI का मैकेनिज्म?
RBI के नोटिफिकेशन के मुताबिक, रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए ऑथराइज्ड डीलर (AD) को RBI से अनुमति लेनी होगी. विदेशी मुद्रा अधिनियम कानून 1999 के तहत रुपये में इनवॉयस की व्यवस्था होगी. जिस देश के साथ कारोबार होगा, उसकी मुद्रा और रुपये की कीमत बाजार आधारित होगी.
नोटिफिकेशन के मुताबिक, रुपये में भी सेटलमेंट के नियम दूसरी करेंसीज की तरह ही होंगे. एक्सपोर्टर्स को रुपये की कीमत में मिले इनवॉयस के बदले एडवांस भी मिल सकेगा. वहीं, कारोबारी लेनदेन के बदले बैंक गारंटी के नियम भी FEMA (Foreign Exchange Management Act- 1999) के तहत कवर होंगे. नोटिफिकेशन के मुताबिक, ट्रेड सेटलमेंट के लिए संबंधित बैंकों को पार्टनर कारोबारी देश के AD बैंक के स्पेशल रुपया वोस्ट्रो (VOSTRO) अकाउंट की जरूरत होगी.
नहीं चलेगी Dollar की दादागिरी, रुपये में होगा इंटरनेशनल ट्रेड, भारत को होंगे ये फायदे!
कई जानकार ये भी बता रहे हैं कि बदली वैश्विक परिस्थितियों में कई देश रुपये को स्वीकार करना पसंद करेंगे. खासकर रूस पर हाल में लगे प्रतिबंध के बाद देशों को आभास हुआ है कि डॉलर पर निर्भरता कितनी खतरनाक साबित हो सकती है और इस कारण दुनिया भर में इसके विकल्प तलाशे जा रहे हैं.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 12 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 12 जुलाई 2022, 9:58 AM IST)
- अब रुपये में भी होगा इंटरनेशनल ट्रेड
- पूरी दुनिया में बढ़ेगा रुपये का महत्व
बदलते वैश्विक घटनाक्रमों (Global Events) के चलते भारत का व्यापार घाटा (India Trade Deficit) नियंत्रण करना मुश्किल हो रहा है. इस कारण रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने एक ऐसा कदम उठाने का ऐलान किया है, जिसकी मांग कई अर्थशास्त्री (Economists) लंबे समय से कर रहे थे. सेंट्रल बैंक ने अंतत: तय कर लिया कि अब इंटरनेशनल ट्रेड का सेटलमेंट (International Trade Settlement) रुपये में भी होगा. जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक के इस कदम से जहां एक ओर डॉलर पर भारत की निर्भरता (Dollar Dependence) कम होगी, वहीं दूसरी ओर यह व्यापार घाटे को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.
कई सालों से चल रही थी इस व्यवस्था की चर्चा
रिजर्व बैंक ने सोमवार को शाम में एक परिपत्र जारी किया. उसमें बताया गया कि अब रुपये में इनवॉयस बनाने, पेमेंट करने और आयात-निर्यात का सेटलमेंट करने की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है. बताया जा रहा है कि रिजर्व बैंक का यह कदम ट्रेड सेटलमेंट की करेंसी के तौर पर रुपये को बढ़ावा देने वाला साबित होगा. इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए रुपये का इस्तेमाल करना लंबे समय से चर्चा के केंद्र में रहा है. हालांकि हर बार बात यहां अटक जाती थी कि आयात और निर्यात के सेटलमेंट के लिए रुपये को किस हद तक स्वीकार किया जाएगा. हालांकि अभी रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से जारी लड़ाई तथा करेंट अकाउंट के घाटे (CAD) ने रिजर्व बैंक को ऐसा करने के लिए प्रेरित कर दिया.
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इस तरह होगा रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड
रिजर्व बैंक ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि यह वैश्विक व्यापार (Global Trade) को बढ़ावा देने और भारतीय रुपये में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को सपोर्ट करने के लिए उठाया गया कदम है. इस व्यवस्था को अमल में लाने से पहले मंजूरी प्राप्त डीलर बैंकों को रिजर्व बैंक के फॉरेन एक्सचेंज डिपार्टमेंट से पूर्व अनुमति लेने की जरूरत होगी. इस व्यवस्था के तहत दो देशों की मुद्रा की विनिमय दर बाजार पर निर्भर रह सकती है. जो भारतीय आयातक इस व्यवस्था के तहत आयात करेंगे, उन्हें रुपये में भुगतान करना होगा. रुपये में प्राप्त भुगतान पार्टनर कंट्री के संबंधित बैंक के स्पेशल वॉस्ट्रो अकाउंट में जमा होगा. वहीं जो भारतीय निर्यातक इस व्यवस्था को अपनाएंगे, वे भी पार्टनर कंट्री के संबंधित बैंक के स्पेशल वॉस्ट्रो अकाउंट में रुपये में ही भुगतान लेंगे.
इन फैक्टर्स ने रिजर्व बैंक को किया मजबूर
आपको बता दें कि कच्चा तेल समेत अन्य ग्लोबल कमॉडिटीज की कीमतों में हालिया समय में तेजी आई है. खासकर भारत के तेल आयात का बिल (Oil Import Bill) गंभीर तरीके से बढ़ा है. इसने भारत के चालू खाता घाटे को चिंताजनक स्तर पर पहुंचा दिया है. अभी ऐसी आशंका है कि 2022-23 में भारत का चालू खाता घाटा बजट के अनुमान के डबल से भी ज्यादा होकर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. यह चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) ऐसे समय बढ़ रहा है, जब दुनिया भर में ब्याज दर बढ़ने लगे हैं. भारत में भी रिजर्व बैंक महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ा रहा है. इससे सरकार के लिए चालू खाता घाटे की भरपाई करना महंगा होता जा रहा है. दूसरी ओर दुनिया भर में बढ़ती ब्याज दरों के चलते विदेशी निवेशक (FPI) भारतीय बाजार को छोड़कर जा रहे हैं.
बदले हालात में रुपये को होगा फायदा
जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक के इस नए कदम की सफलता पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि कितने पार्टनर देश रुपये में भुगतान को स्वीकार करते हैं. चूंकि रिजर्व बैंक ने कहा है कि पार्टनर देश की करेंसी और रुपये की विनिमय दर बाजार पर निर्भर रह सकती है, लेकिन ऐसा तभी संभव होगा जब अमुक देश के साथ भारत का ठीक-ठाक व्यापार हो. हालांकि दूसरी ओर कई जानकार ये भी बता रहे हैं कि बदली वैश्विक परिस्थितियों में कई देश रुपये को स्वीकार करना पसंद करेंगे. खासकर रूस पर हाल में लगे प्रतिबंध के बाद देशों को आभास हुआ है कि डॉलर पर निर्भरता कितनी खतरनाक साबित हो सकती है और इस कारण दुनिया भर में इसके विकल्प तलाशे जा रहे हैं.
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