रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए आरबीआई ने उठाया कदम, कम होगी डॉलर पर निर्भरता

Reerve Bank

भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वह भारतीय मुद्रा यानी रुपये में आयात-निर्यात के निपटारे का पर्याप्त इंतजाम करें। यह एक बड़ा फैसला माना जा रहा है, क्योंकि इससे देश को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में काफी मदद मिलेगी और डॉलर पर भारत की निर्भरता भी कुछ कम होगी।

केंद्रीय बैंक ने यह कदम वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए उठाया है।

रिजर्व बैंक ने एक परिपत्र में कहा कि बैंकों को यह व्यवस्था लागू करने के पहले उसके विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्व-अनुमति लेना जरूरी होगा।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि आरबीआई का लक्ष्य वैश्विक व्यापार और भारतीय अर्थव्यवस्था को डी-डॉलराइज करना है।

आरबीआई द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, भारत से निर्यात बढ़ाने पर जोर और भारतीय रुपये में वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वैश्विक व्यापार को बढ़ाने के लिए यह तय किया गया है कि बिल बनाने, भुगतान और रुपए में आयात/निर्यात के निपटान के लिए एक अतिरिक्त इंतजाम किया जाए।

हालांकि यह एक स्वागत योग्य पहल की तरह लगता है, हम मानते हैं कि यह एक लंबी प्रक्रिया है और दशकों में पूरी तरह से चलने की संभावना है।

इस प्रक्रिया के कार्यान्वयन के लिए व्यापारिक भागीदारों के साथ व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता होगी। इस उपाय की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि उनमें से कितने भारतीय रुपये में व्यापार करने के इच्छुक हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी संभावना है कि यदि भारत भारतीय रुपये (आईएनआर) में अपने आयात निपटान के लिए जाता है, तो व्यापारिक भागीदार अपनी स्थानीय मुद्रा में इसके आयात निपटान के लिए कह सकता है, जो इंगित करता है कि आरबीआई को अन्य केंद्रीय बैंकों के साथ, कई मुद्राओं में अपने विदेशी मुद्रा भंडार को रिजर्व रखना होगा।

आरबीआई के पास रखे गए विदेशी मुद्रा भंडार में चार घटक शामिल हैं - विदेशी मुद्रा संपत्ति (एफसीए), सोना, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ आरक्षित किश्त स्थिति (आरटीपी)।

यह कदम यूक्रेन पर आक्रमण के कारण रूस पर हाल ही में लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों की प्रभावशीलता को कम करने में भी मदद कर सकता है।

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आरबीआई ने कार्ड से 'ऑफलाइन' पेमेंट के लिए 200 रुपये की सीमा तय की

आरबीआई ने कहा कि खासकर दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट का अभाव या उसकी कम गति डिजिटल भुगतान के रास्ते में बड़ी बाधा है.

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पायलट योजना के अंतर्गत, यह पेमेंट कार्ड, वॉलेट या मोबाइल उपकरणों या अन्य किसी माध्यम से किया जा सकता है. इसके लिए किसी अन्य प्रकार के सत्यापन की जरूरत नहीं होगी. इसमें एक बार में भुगतान की अधिकतम सीमा 200 रुपये होगी. हालांकि, इसके जरिये किसी भी समय 2,000 रुपये तक कुल भुगतान की सीमा होगी.

'ऑनलाइन' तरीके से अतिरिक्त सत्यापन के साथ सीमा को दोबारा निर्धारित किया जा सकता है. पायलट स्‍कीम 31 मार्च, 2021 तक चलेगी. पायलट स्‍कीम से प्राप्त अनुभव के आधार पर आरबीआई इस संदर्भ में औपचारिक व्यवस्था स्थापित करने के बारे में निर्णय करेगा.

आरबीआई के अनुसार, ''पीएसओ ट्रांजेक्‍शन होते ही यूजर को लेनदेन राशि के बारे में रियल टाइम पर सूचना उपलब्ध कराएगा.'' केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि पीएसओ को ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) लागू करना होगा. डिजिटल लेनदेन बढ़ने के साथ विवाद और शिकायतें भी बढ़ी हैं.

आरबीआई गवर्नर ने क्‍या कहा?
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ''केंद्रीय बैंक इकाइयों को 'ऑफलाइन पेमेंट सॉल्‍यूशन' विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता रहा है. इसीलिए पायलट स्‍कीम के तहत लोगों के हितों, देनदारी की सुरक्षा आदि का ध्यान रखते हुए छोटी राशि के भुगतान की अनुमति देने का प्रस्ताव है.''

क्‍या है मकसद?
आरबीआई ने कहा कि खासकर दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट का अभाव या उसकी कम गति डिजिटल भुगतान के रास्ते में बड़ी बाधा है. इसको देखते हुए कार्ड, वॉलेट और मोबाइल उपकरणों के माध्यम से ऑफलाइन भुगतान का विकल्प उपलब्ध कराया जा रहा है. इससे डिजिटल भुगतान को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इसमें शिकायतों के समाधान की यह व्यवस्था नियम आधारित और पारदर्शी होगी. इसमें मानवीय हस्तक्षेप नहीं होगा या अगर होगा भी तो बहुत कम. इस पहल का मकसद विवादों और शिकायतों का समय पर और प्रभावी तरीके से निपटान करना है.

क्‍या हैं निर्देश?
केंद्रीय बैंक के अनुसार, ''पीएसओ को चरणबद्ध तरीके से ओडीआर व्यवस्था स्थापित करनी होगी. इसकी शुरुआत पीएसओ को अपने संबंधित भुगतान प्रणाली में विफल लेनदेन से करनी होगी. इस बारे में प्राप्त अनुभव के आधार पर ओडीआर व्यवस्था अन्य प्रकार के विवाद और शिकायतों में लागू की जाएगी.

ओडीआर को लेकर जारी अधिसूचना के अनुसार, ग्राहकों को विवाद या शिकायतें दर्ज कराने को लेकर एक या एक से अधिक माध्यम उपलब्ध कराया जाना चाहिए. इसमें वेब आधारित या आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश कागज आधारित शिकायत फॉर्म, आईवीआर, मोबाइल एप्लीकेशन, कॉल सेंटर, एसएमएस आदि शामिल हैं.

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विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए समान बैंकिंग कानून की मांग, हाईकोर्ट में याचिका दायर

Banking Industry, pic by: Forbes India

बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। उन्होंने याचिका में कहा है कि भारतीय बैंकों में विदेशी पैसा जमा करने के लिए रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम (IMPS) का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, इसे सुनिश्चित किया जाए। इनके माध्यम से न केवल देश के विदेशी मुद्रा भंडार को नुकसान हो रहा है, बल्कि अलगाववादियों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, माओवादियों, आतंकवादियों, देशद्रोही, धर्मांतरण माफिया, सिमी और पीएफआई जैसे कट्टरपंथी संगठनों तक भी विदेशी धन पहुंच रहा है।

अपनी मांग के समर्थन में उपाध्याय ने याचिका में तर्क दिया है कि वीजा के लिए आव्रजन नियम समान हैं, चाहे विदेशी यात्री आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश बिजनेस क्लास में यात्रा करें या इकोनॉमी क्लास में। चाहे वह एयर इंडिया का इस्तेमाल करता हो या ब्रिटिश एयरवेज का या फिर चाहे वह अमेरिका से आता हो या युगांडा से।

इसीलिए उपाध्याय ने अदालत से मांग की है कि विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए विदेशी बैंक शाखाओं सहित भारतीय बैंकों में जमा की जाने वाली राशि का विवरण एक ही प्रारूप में होना चाहिए, चाहे वह चालू खाते में निर्यात भुगतान हो या बचत खाते या चैरिटी में वेतन हो। YouTuber के खातों में चालू खाते या सेवा को दान के रूप में देय शुल्क। ये सभी भुगतान प्रारूप समान होने चाहिए। चाहे पैसा पश्चिमी देशों से आ रहा हो या किसी राष्ट्रीय बैंक से या भारत में स्थित किसी विदेशी बैंक से।

भाजपा नेता ने याचिका में कहा है कि विदेशी आवक प्रेषण प्रमाणपत्र (FIRC) अनिवार्य रूप से जारी किया जाना चाहिए और आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश सभी अंतरराष्ट्रीय और भारतीय बैंकों को SMS के माध्यम से भुगतान लिंक भेजना होगा। यदि विदेशी मुद्रा को रुपये में परिवर्तित कर किसी खाते में राशि जमा की जाती है तो उसकी जानकारी इस प्रकार देनी चाहिए।

आरटीजीएस, एनईएफटी और आईएमपीएस के माध्यम से भारत में एक खाते से दूसरे खाते में धन के आंतरिक अंतरण की अनुमति केवल किसी व्यक्ति या कंपनी को ही दी जानी चाहिए, किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक को नहीं। इस घरेलू बैंकिंग उपकरण का उपयोग केवल घरेलू बैंक लेनदेन के आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश लिए किया जाना चाहिए।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.9 अरब डॉलर बढ़ा.

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 25 नवंबर को आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश समाप्त सप्ताह में 2.9 अरब डॉलर बढ़कर 550.142 अरब डॉलर पहुंच गया। 18 नवंबर वाले हफ्ते में भंडार 2.54 अरब डॉलर बढ़कर 547.25 अरब डॉलर पहुंचा था। अक्तूबर, 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड 645 अरब डॉलर रहा था। आरबीआई के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान विदेशी मुद्रा संपत्ति 3 अरब डॉलर बढ़ी है। हालांकि, देश के सोने का भंडार 7.3 करोड़ डॉलर घटकर 39.938 अरब डॉलर रह गया।नई दिल्ली। यूको बैंक ने 2 करोड़ रुपये से कम एफडी पर 1.35 फीसदी तक ब्याज बढ़ा दिया है। बैंक ने कहा, 46 से 90 दिन पर 0.50 फीसदी ज्यादा ब्याज मिलेगा। जबकि 181 से 364 दिन के एफडी पर 6 फीसदी ब्याज मिलेगा जो आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश पहले की तुलना में 1.35% अधिक है।भारत रूस सहित सभी देशों से कच्चा तेल खरीदता रहेगा। यूरोपीय संघ ने 27 सदस्य देशों से रूसी तेल की कीमत को 60 डॉलर पर सीमित करने को कहा है। उधर, तेल मंत्रालय कंपनियों को होने वाले घाटे की भरपाई वित्त मंत्रालय से करने की मांग कर सकता है।भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ने यूपीआई सुविधा देने वाली इकाइयों को राहत दी है। इसके तहत थर्ड पार्टी प्रदाताओं के लिए डिजिटल भुगतान लेनदेन की सीमा 30% तक सीमित करने की समय सीमा दो साल बढ़ाकर दिसंबर, 2024 कर दी गई है।

Bigg Boss 16: दर्शकों के तीखे सवालों से आएगी शालीन और टीना के बीच दरार.

महिला रोज़गार बढ़ाने पर योगी सरकार कर रही काम

सरकार हाल ही में प्रदेश में निवेश और रोज़गार के नये अवसर उपलब्ध कराने के लिए नई औद्योगिक निवेश एवं रोज़गार प्रोत्साहन नीति 2022 लेकर आई है ताकि प्रदेश में बड़े पैमाने पर उद्योग जगत को आकर्षित किया जा सके।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

न्यूज़ग्राम डेस्क

न्यूज़ग्राम डेस्क

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी ने प्रदेश में लगने वाले उद्योगों में यूपी के युवाओं को सुनिश्चित रोज़गार उपलब्ध कराने के मानक तय कर दिये हैं। सरकार ने यूपी में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ाने और उसमें प्रदेश के युवाओं के लिए सुनिश्चित रोज़गार को ध्यान में रखते हुए इंडस्ट्री को चार श्रेणियों में बांट दिया है। इसी के अनुसार उद्योगों को विभिन्न मदों में सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा और इन्हीं के अनुसार इंडस्ट्री को यूपी के युवाओं को रोज़गार उपलब्ध कराना होगा। सीएम योगी ने इसके लिए अधिकारियों को निर्देश भी दिए हैं कि वह समय-समय पर इंडस्ट्री की विजिट करें कि तय मानक के अनुरूप प्रदेश के युवाओं को रोज़गार मिल रहा है या नहीं।

सरकार हाल ही में प्रदेश में निवेश (investment) और रोज़गार के नये अवसर उपलब्ध कराने के लिए नई औद्योगिक निवेश एवं रोज़गार प्रोत्साहन नीति 2022 लेकर आई है ताकि प्रदेश में बड़े पैमाने पर उद्योग जगत को आकर्षित किया जा सके और प्रदेश के युवाओं को रोज़गार के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े। नई नीति के तहत प्रदेश में निवेश को बढ़ाने के लिए उद्योग जगत को चार श्रेणी में बांटा गया है। निवेशकों को चार श्रेणी के आधार पर ही सब्सिडी (subsidy) का लाभ देने के साथ उन्हे अपने संस्थान में यूपी के युवाओं को रोज़गार देना सुनिश्चित करना होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने उद्योग जगत को लार्ज, मेगा, सुपर मेगा और अल्ट्रा मेगा में बांटा है। इसी आधार पर रोज़गार को भी सुनिश्चित किया गया है। इसके तहत लार्ज इंडस्ट्री को अपने संस्थान में कम से कम हर वर्ष यूपी के 300 युवाओं को रोज़गार देना होगा। वहीं मेगा इंडस्ट्री को अपने संस्थान में कम से कम हर वर्ष 600 युवाओं को रोज़गार के साधन उपलब्ध कराने होंगे तो अल्ट्रा मेगा इंडस्ट्री को कम से कम हर वर्ष 1500 युवाओं को रोज़गार देना होगा। इसी तरह अल्ट्रा मेगा इंडस्ट्री को प्रति वर्ष 1500 से अधिक युवाओं को रोज़गार देना होगा।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अगर कोई इंडस्ट्री न्यूनतम रोज़गार के साथ 75 प्रतिशत महिलाओं को रोजगार मुहैया कराती है तो उसे इंडस्ट्री की तय विभिन्न श्रेणियों के अनुसार बूस्टर सब्सिडी अलग-अलग मद में दी जाए। इसके तहत मेगा इंडस्ट्री को न्यूनतम रोज़गार सुनिश्चित करने के साथ 75 प्रतिशत महिलाओं को रोज़गार देने पर 2 प्रतिशत की बूस्टर सब्सिडी दी जाएगी। सुपर मेगा इंडस्ट्री को न्यूनतम रोज़गार से दोगुने से अधिक के साथ 75 प्रतिशत महिलाओं को रोज़गार देने पर 3 प्रतिशत जबकि अल्ट्रा मेगा इंडस्ट्री को न्यूनतम रोज़गार से तीन गुना से अधिक के साथ 75 प्रतिशत आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश महिलाओं को रोजगार देने पर 4 प्रतिशत की बूस्टर सब्सिडी दी जाएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

नई नीति को लागू करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्च अधिकारियों को निर्देश दिए कि तय समय में निवेशकों को सब्सिडी का लाभ दिया जाए ताकि प्रदेश में जल्द से जल्द बड़े पैमाने पर इंडस्ट्री स्थापित हो सकें। उन्हे सरकारी योजनाओं के लाभ में किसी प्रकार की समस्या न आए इसका भी विशेष ध्यान रखा जाए। सीएम योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि निवेशकों को इंडस्ट्री स्थापित करने के लिए उनके अनुकूल वातावरण भी उपलब्ध कराया जाए इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं इंडस्ट्री में तय मानक के अनुरूप प्रदेश के युवाओं को रोज़गार उपलब्ध हों इसका भी विशेष ध्यान दिया जाए।

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