Profit and Loss questions are confusing questions for most of the students. Profit and Loss questions asked generally in SSC, Bank Exam and other competitive exams. So, students should practice these स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना profit and Loss questions and answers to get a good score in their competitive exams.

Trigger Price Meaning in Hindi

शुरआती निवेशकों और ट्रेडर्स को अक्सर ऐसा लगता है की वह निर्धारित कीमत पर ही शेयर को खरीद और बेच सकते है। लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है, आप चाहे तो अपने विश्लेषण के अनुसार अपने मनचाहे प्राइस पर भी शेयर का क्रय और विक्रय कर सकते है। ऐसा करने के लिए आपको ट्रिगर प्राइस दर्ज़ करना होता है। लेकिन ट्रिगर प्राइस क्या है और कैसे इस्तेमाल किया जाता है, आज इस लेख में trigger price meaning in hindi को विस्तार में जानेंगे।

हर एक ट्रेडर और निवेशक का शेयर बाजार में एक ही उद्देश्य होता है कम में खरीदकर, ज़्यादा में बेचना और ऐसा करने के लिए ज़रूरी होता है सही विशलेषण करना और सही समय पर स्टॉक को खरीदने और बेचने का निर्णय लेना ।

ऐसा करने के लिए जब भी आप शेयर मार्केट में निवेश कर रहे हो तो आप जिस भी कीमत पर शेयर को खरीदना या बेचना चाह रहे हो उस पर ट्रेड करने के लिए अपनी मनचाही वैल्यू या ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल कर सकते है ।

Limit Order Trigger Price in Hindi

लिमिट ऑर्डर में ट्रिगर प्राइस का उपयोग करके स्टॉक को कम कीमत पर खरीदने और अधिक कीमत पर बेचने के लिए किया जाता है।

उदाहरण के लिए, आप किसी कंपनी के स्टॉक को खरीदना चाहते है और उस स्टॉक का मार्केट प्राइस 50 रुपये है लेकिन आप ट्रिगर प्राइस का उपयोग करके उस स्टॉक की कीमत को 40 रुपये पर सेट कर देते स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना है। तो जब उस स्टॉक की कीमत 40 रुपये तक पहुँच जाती है तो ‘ट्रिगर प्राइस आर्डर’ के तहत आपका ऑर्डर अपने आप ही लागू हो जाएगा।

इसी तरह अगर आप 50 वाले शेयर को 30 रुपये अधिक पर बेचना चाहते है तो आप ट्रिगर प्राइस को 80 रुपये पर सेट कर सकते है और स्टॉक की कीमत 80 रुपये पहुँचने पर आपका ऑर्डर स्वचालित रूप से लागू हो जाता है।

इस आर्डर को लगाने के अपने ट्रेडिंग एप में buy/sell बटन पर टेप करें । आप ट्रेडिंग विंडो पर लिमिट प्राइस का चयन करे और स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना जिस भी प्राइस पर आप शेयर को खरीदना या बेचना चाह रहे है वह दर्ज़ करके मात्रा भरे और आर्डर को कन्फर्म करे। दर्ज़ की गयी डिटेल स्टॉक एक्सचेंज में भेज दी जाएगी और जैसे आपकी निर्धारित की हुए कीमत पर स्टॉक पहुंचेगा आपका आर्डर निष्पादित हो जाएगा।

SL Trigger Price Means in Hindi

इंट्राडे ट्रेडिंग ( intraday trading in hindi ) में स्टॉप लॉस का इस्तेमाल ट्रेडर्स को नुक्सान से बचाता है लेकिन आप चाहे तो डिलीवरी ट्रेडिंग के लिए भी स्टॉप स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना लॉस का इस्तेमाल कर सकते है । ट्रेड चाहे जिस भी तरह का हो स्टॉप लॉस में ट्रिगर प्राइस क्या है और कैसे काम करता है उसका विवरण यहाँ दिया गया है।

स्टॉप लॉस स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना ऑर्डर ( stop loss meaning in hindi ) को लागू करने के लिए आपको ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस दो तरह के वैल्यू दर्ज़ करनी पड़ती है। जब स्टॉक का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किये गए ट्रिगर प्राइस तक पहुँच जाता है तो सिस्टम की तरफ से आपका ऑर्डर सक्रिय हो जाता है और जब आपका ऑर्डर लिमिट प्राइस तक पहुंच जाता है तो आपके ऑर्डर को एक्सचेंज द्वारा लागू कर दिया जाता है।

ऑर्डर के ट्रिगर प्राइस पर पहुँचने तक आपका आर्डर आपके स्टॉक ब्रोकर के पास ही रहता है।

स्‍टॉप लॉस ऑर्डर क्‍या है, इसका कहां इस्‍तेमाल होता है?

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2. स्‍टॉप लॉस को निवेशक को नुकसान से बचाने के लिए बनाया गया है. वे शेयर के एक खास लेवल पर पहुंच जाने पर इसे बेच सकते हैं. यह कई मायनों में स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना निवेशकों के लिए काफी मददगार साबित होता है.

3. इंट्रा-डे ट्रेडिंग में खरीदार मुनाफे के साथ अपने सौदे को बेचकर दिन का अंत करना चाहता है. लेकिन, शेयर भाव नीचे जाने पर स्‍टॉप लॉस का ट्रिगर दब जाता है और सौदे का निपटान उसी भाव में हो जाता है. इससे नुकसान को सीमित करने में मदद मिलती है.

4. स्‍टॉप लॉस का फायदा यह है कि निवेशकों को अपनी होल्डिंग को लगातार मॉनिटर नहीं करना पड़ता है. इसके अलावा स्‍टॉप लॉस को सेट करने के लिए कोई अतिरिक्‍त कॉस्‍ट भी नहीं वसूली जाती है.

आपभी शेयर बाजार के बन सकते हैं माहिर खिलाड़ी; ट्रेडिंग के अपनाएं ये 5 नियम, होगी मोटी कमाई

आपभी शेयर बाजार के बन सकते हैं माहिर खिलाड़ी; ट्रेडिंग के अपनाएं ये 5 नियम, होगी मोटी कमाई

How To Become A Successful Traders Of Stock Market: शेयर बाजार में अगर ट्रेडिंग करना चाहते हैं स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना तो इसमें एंट्री का रास्ता आसान है. वहीं अगर सोच-समझकर और समझदारी से योजना बनाई जाए तो शेयर बाजार में बिना किसी बाधा के एक सुसंगत और स्वतंत्र बिजनेस किया जा सकता है. हालांकि बाजार में ट्रेड वाले सभी के लिए जरूरी है कि उन्हें ट्रेडर और प्रोफेशनल स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना ट्रेडर के बीच के गैप को कम करना चाहिए. अगर आप भी बाजार में प्रभावी रूप से कारोबार करना चाहते हैं तो तीन मुख्य बिंदुओं मसलन एंट्री, एग्जिट और स्टॉप लॉस का बेहद महत्व है. इसके साथ ही आपकी पोजिशन का साइज क्या है, यह भी बेहद अहम है. आपने जो ट्रेड की योजना बनाई है, उसका पालन करने में आप कितने सक्षम हैं और आपके अंतर-संचालन की क्षमता आपको बाजार में प्रभावी तरीके से ट्रेड करने में मदद कर सकती है. जिससे आप अपने पोर्टफोलियो का मैनेजमेंट सफलता से कर सकते हैं. जानते हैं शेयर बाजार के सफल ट्रेडर बनने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

  • nupur praveen
  • Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST

जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना ऑस्‍कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.

स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर

शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.

स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.

स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्‍वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्‍वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्‍वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.

स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे

Profit and Loss questions and answers in hindi:स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना

1. एक व्यक्ति ने कुछ वस्तुए रु x प्रति दर्जन के भाव से खरीदता है तथा (x/8) प्रति वस्तु के भाव से बेच देता है, उसका लाभ प्रतिशत कितना है?

2. एक व्यक्ति ने रु 2470 में 26 किग्रा चावल ख़रीदे. इसमें से उसने रु 110 प्रति किग्रा की दर से 10 किग्रा चावल बेच दिए रु 70 का लाभ कमाने के लिए उसे शेष चावल किस दर पर बेचना होगा ?

(A) रु 90 प्रति किग्रा

(B) रु 95 प्रति किग्रा

(C) रु 85 प्रति किग्रा

(D) रु 75 प्रति किग्रा

3. एक व्यक्ति ने एक घोडा तथा गाड़ी रु 20000 में ख़रीदे. उसने घोड़े को 20% लाभ पर तथा गाड़ी को 10% हानि पर बेच दिया. इस प्रकार से उसे कुल सोदे में 2% का लाभ हुआ. घोड़े का क्रय मूल्य कितना है ?

4. एक व्यक्ति ने एक वस्तु 25% हानि पर रु 6750 में बेचीं. यदि वह इसे 15% लाभ पर बेचता है तो इसका विक्रय मूल्य कितना होता है ?

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