मुद्रास्फीति में नरमी से नीतिगत दर में वृद्धि का दौर समाप्त होगा : एसबीआई अर्थशास्त्री
Retail Inflation : उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.88 प्रतिशत पर आ गयी. इस साल यह पहला मौका जब खुदरा महंगाई भारतीय मुफ्त विदेशी मुद्रा सिग्नल रिजर्व बैंक के संतोषजक दायरे में आई है.
Published: December 13, 2022 9:09 AM IST
Retail Inflation : खुदरा मुद्रास्फीति के नवंबर में घटकर 5.88 प्रतिशत पर आने के साथ नीतिगत मुफ्त विदेशी मुद्रा सिग्नल दर में वृद्धि का चक्र समाप्त होने की संभावना बढ़ी है. यह रेपो दर में वृद्धि के दौर को समाप्त करने के लिये प्रोत्साहित करती है. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के मुफ्त विदेशी मुद्रा सिग्नल मुफ्त विदेशी मुद्रा सिग्नल अर्थशास्त्रियों ने सोमवार को एक रिपोर्ट में यह कहा.
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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.88 प्रतिशत मुफ्त विदेशी मुद्रा सिग्नल पर आ गयी. इस साल यह पहला मौका जब खुदरा महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजक दायरे में आई है. आरबीआई को मुद्रास्फीति दो से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि नवंबर महीने की खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा नीतिगत दर में वृद्धि चक्र को समाप्त करने के लिये प्रोत्साहित करता है.
रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई के आक्रामक मौद्रिक नीति रुख से घरेलू मुद्रास्फीति को काबू में लाने में मदद मिल सकती है.
इसमें कहा गया है कि जबतक अमेरिका में मुद्रास्फीति काबू में नहीं आती है, वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व को नीतिगत दर में वृद्धि करनी पड़ सकती है. इससे उभरते बाजारों से पूंजी निकासी बढ़ेगी. फलत: विनिमय दर में उतार-चढ़ाव और रुपये की विनिमय दर में गिरावट आएगी.
हालांकि, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सकल (हेडलाइन) मुफ्त विदेशी मुद्रा सिग्नल मुद्रास्फीति दिसंबर, 2022 और जनवरी, 2023 में बढ़कर फिर 6.5 से 6.7 प्रतिशत हो सकती है. वहीं मार्च, मुफ्त विदेशी मुद्रा सिग्नल 2023 में इसमें उल्लेखनीय रूप से घटकर पांच प्रतिशत पर आने की संभावना है.
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति उम्मीद के उलट नवंबर महीने में छह प्रतिशत से नीचे आ गयी. यह खाद्य महंगाई के मोर्चे पर तुलनात्मक आधार कमजोर होने तथा सब्जियों के दाम में नरमी को दर्शाता है.
एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने खाद्य पदार्थों की महंगाई दर घटकर 4.67 प्रतिशत पर आ गई जो इससे पिछले महीने में 7.01 प्रतिशत थी.
हालांकि विविध जिंसों, ईंधन और प्रकाश, पान, तंबाकू जैसे उत्पादों की महंगाई मुफ्त विदेशी मुद्रा सिग्नल सालाना आधार पर बढ़ी है.
नायर ने कहा, ‘‘अब दिसंबर, 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति कितनी नरम पड़ती है, उससे मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की फरवरी में मौद्रिक नीति तय होगी.
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि हालांकि खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी है, लेकिन व्यापक स्तर पर चीजें अभी परेशान कर रही हैं. कपड़े और जूते, ईंधन और प्रकाश और विविध श्रेणियों में महंगाई दर छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है.
उन्होंने कहा कि चूंकि तुलनात्मक आधार का लाभ दिसंबर में उपलब्ध नहीं होगा, ऐसे में मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत से ऊपर रह सकती है.
सबनवीस ने कहा, ‘‘चूंकि आने वाले समय में मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत से ऊपर रहने की संभावना है, ऐसे में आरबीआई फरवरी में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की और वृद्धि कर सकता है.’’
खुदरा महंगाई दर जनवरी से केंद्रीय बैंक की छह प्रतिशत की संतोषजनक सीमा से ऊपर बनी हुई थी. अब यह 11 महीने के निचले स्तर पर आ गई है. दिसंबर, मुफ्त विदेशी मुद्रा सिग्नल 2021 में खुदरा महंगाई दर 5.मुफ्त विदेशी मुद्रा सिग्नल 66 प्रतिशत रही थी.
आरबीआई ने महंगाई को काबू में लाने के लिये पिछले सप्ताह प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था.
कोटक महिंद्रा बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि मुद्रास्फीति में कमी का प्रमुख कारण खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी है. मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति अभी भी ऊंची बनी हुई है.
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