अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो अच्छी कंपनी के शेयर खरीदकर उसे कम से कम पांच साल के लिए रखें तभी आप कंपनी के विकास का सही फायदा उठा सकेंगे. छोटी अवधि या 3 से 6 महीने किसी कंपनी के शेयर का प्रदर्शन कंपनी के मूल सिध्दांत से कम और बाजार की भावना से अधिक प्रेरित होता है. लंबी अवधि में शेयर की सही कीमत की प्रासंगिकता कम हो जाती है.
शेयर बाजार के नियम
चाहे आप ट्रेडर हो या निवेशक आपके लिए शेयर बाजार नाम अनसुना नहीं होगा लेकिन शेयर बाजार में निवेश कर अच्छा शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें? मुनाफा कमाने के लिए सिर्फ पैसो की ज़रुरत नहीं, ज़रूरी है की आपको शेयर बाजार के नियम की जानकारी हो?
शेयर बाजार के नियमो का अनुसरण कर आप जान पाएंगे की कब और कैसे शेयर बाजार में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है, तो आइये आज इस लेख में जानते है शेयर मार्केट में निवेश करने से जुड़ी आवश्यक बातें ।
Share Market Rules in Hindi
स्टॉक मार्केट एक निवेशक को ज़्यादा पैसे और मुनाफा कमाने का मौका देते है, एक सही स्ट्रेटेजी और नियमो की जानकारी प्राप्त कर आप स्टॉक मार्केट में निवेश कर अपनी इनकम को कई गुना तक बढ़ा सकते है, लेकिन ये तभी मुमकिन है जब आप शेयर बाजार से सही तरह से वाकिफ हो ।
जैसे की अगर आपको डीमैट खाता खोलना हो तो उसके लिए ज़रूरी है की आप एक सही स्टॉकब्रोकर का चयन करे और उसके बाद मार्केट में सही समय में ट्रेड या निवेश करे ।
अब ये शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें? सब बातो को सही से जानने के लिए नीचे दिए गए स्टॉक मार्केट नियम को जाने और उसके अनुसार सही सोच और समझ के साथ निवेश करें ।
1. अनरेगिस्टर्ड स्टॉकब्रोकर से दूर रहे
स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग और निवेश करते समय, आपको ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता होती है। ट्रेडिंग के लिए अकाउंट खोलने समय ब्रोकर के ब्रांड और बाजार में पकड़ की जांच करना चाहिए। आपको केवल प्रसिद्ध और भरोसेमंद ब्रोकर के साथ ही अकाउंट खुलवाना चाहिए।
सेबी के नए मार्जिन नियम
वैसे स्टॉक मार्केट के नियम सभी सेगमेंट के लिए एक जैसे ही होते है लेकिन अगर हम डिलीवरी नियम (delivery trading rules in hindi) के अतिरिक्त इंट्राडे ट्रेडिंग के नियमो की बात करे तो सेबी कुछ नियम आया है जिससे रिटेल ट्रेडर डे ट्रेडिंग में किसी भी तरह के नुक्सान से बचे रहे । अब शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें? इसी तरह से 2020 दिसंबर मार्जिन के लिए एक नियम लेकर आया था जिसके अनुसार हर तिमाही मार्जिन में 25% की गिरावट आती रहेगी और सितम्बर 01, 2021 में ये नियम पूरी तरह से लागू हो जायेगा जिसमे ट्रेडर सिर्फ 5 गुना तक का मार्जिन ही प्राप्त कर पाएंगे।
इंट्राडे ट्रेडर हालांकि इस नियम से खुश नहीं थे क्योंकि पहले जहाँ वह कम राशि के साथ भी ज़्यादा ट्रेड कर पाते थे, इस नियम के बाद उन्हें कम मार्जिन का उपयोग कर हे ट्रेड करने का अवसर प्राप्त होगा ।
अलग-अलग निवेश की तुलना में शेयर बाजार में निवेश करके मुनाफा कमाना ज्यादा बेहतर है। लेकिन इसके भी दो पहलू हैं, शेयर मार्केट में मुनाफा कमाने के साथ जोखिम की संभावना भी जुड़ी होती है।
Stock Market में कैसे करें निवेश और किस तरह की बरतें सावधानियां ? जानिए एक्सपर्ट से हर सवालों के जवाब
क्या आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं लेकिन नहीं जानते कि इसकी शुरुआत कैसे हो ? क्या आपको शेयर बाजार की दुनिया जटिल और उलझन भरी लगी लगती है ? क्या किसी और को हुए फायदे और नुकसान का सुनकर आप फैसला नहीं कर पाए हैं कि आपके लिए शेयर बाजार सही रहेगा या नहीं ? तो आज हम आपको बताएंगे शेयर बाजार से जुड़ी हर वो बात साथ ही एक्सपर्ट से जानेंगे की शेयर बाजार में निवेश कैसे करें और क्या सावधानियां बरतें.
Do you want to invest in the stock market but don't know how to start? Do you find the world of stock market complicated and confusing?
'ब्लास्ट Lumpsum' टेक्निक के दूसरे पार्ट में समझिए उतार-चढ़ाव से भरे मार्केट में निवेश कैसे करें?
Written By: ANISH KUMAR SINGH
Updated on: November 21, 2022 17:01 IST
Photo:FILE 'ब्लास्ट Lumpsum' टेक्निक के दूसरे पार्ट को समझिए
इस आर्टिकल के पहले पार्ट में हमने जाना था(आर्टिकल के पहले पार्ट का लिंक सबसे नीचे दिया गया है) कि अगर निफ्टी-50 लगातार गिर रहा है तो 'ब्लास्ट Lumpsum' तकनीक के जरिए कैसे आप नीचे के लेवल पर पैसा इन्वेस्ट कर लॉन्ग टर्म में बढ़िया पैसा बना सकते हैं। अब हम सीखेंगे अगर निफ्टी-50 में Volatility यानी अस्थिरता ज्यादा हो तो उस स्थिति में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए कौन सी तकनीक अपनाएं। चूंकि नए निवेशकों के लिए मैंने अभी तक Index Fund की ही सलाह दी है। उन्हें सीधे शेयरों को खरीदने और बेचने का जोखिम नहीं उठाना है। Mutual Fund में करीब एक-दो साल समय गुजारने के बाद आप शेयरों को डायरेक्ट खरीदने योग्य बन सकते हैं। शुरुआत में शेयरों को बिना उनके फंडामेंटल एनालिसिस किए खरीदना खतरे से खाली नहीं है। इसलिए नए इन्वेस्टर्स के लिए Index Fund सबसे ज्यादा सुरक्षित माना गया है। चलिए अब हम अपने मुद्दे पर आते हैं। सवाल ये है कि जब शेयर मार्केट में ज्यादा उथल-पुथल हो रही है तो उस वक्त Index Fund में इन्वेस्ट कैसे करना है।
ग्राफ से जानिए निवेश का तरीका
इसे आसानी से समझने के लिए आप नीचे दिए गए ग्राफ को देख सकते हैं। हम एक बार फिर यही मानकर चल रहे हैं कि निफ्टी-50 अभी 18000 के लेवल पर है। मान लीजिए कि उसमें करीब 200 अंकों की गिरावट आई(जैसा की पहले वाले आर्टिकल में समझाया था, उसे देखें) तो आपने अपने पहले 10 हजार रुपये इन्वेस्ट कर दिए। और इसी तरह मानकर चलते हैं कि गिरावट धीरे-धीरे 17,200 के लेवल तक पहुंच गई। इस दौरान आपने पांच बार अपने पैसे लगा दिए होंगे। यानि आपका 1 लाख का इन्वेस्टमेंट हो चुका होगा।
Image Source : INDIA TV
अब मान लेते हैं कि निफ्टी-50 बढ़ना शुरू करता है और कुछ ही दिन के अंदर 18,000 के आंकड़े को पार कर जाता है। तब आपको धैर्य रखना है और देखते ही देखते वो कुछ ही महीने में 18,300 के लेवल तक पहुंच जाता है, और फिर वहां से गिरना शुरू करता है। उसके गिरने का दौर फिर शुरू हो जाता है। अब यहां आपको एक दूसरे Index Fund से स्टार्ट करना चाहिए। मतलब पहले वाले Index Fund में आप lumpsum तब करेंगे, जब निफ्टी-50 अपने 17 हजार के लेवल पर आए। चूंकि निफ्टी अभी 18,300 के लेवल से गिरना शुरू हुआ है इसलिए फिर से हर 200 प्वाइंट नीचे गिरने पर 'ब्लास्ट lumpsum' वाला तरीका अपनाएं। यानी 10-10-20-20-40 हजार के हिसाब से हर 200 अंकों की गिरावट पर पैसे लगाते जाएं। इस तरह आपके दो इन्वेस्टमेंट शुरू हो चुके होंगे। पहले वाले में जैसा कि मैं बता चुका हैं कि पैसे तब डालने हैं जब निफ्टी-50 अपने 17,000 के लेवल तक गिर जाए और दूसरे वाले में इन्वेस्टमेंट तब करना है जब निफ्टी-50 गिरकर 18,100 तक पहुंच जाए। फिर ऐसे ही हर 200 प्वाइंट या डेढ़ से 2 फीसदी की गिरावट पर ब्लास्ट lumpsum करते जाएं। इस तरह आपके पैसे निफ्टी-50 में अच्छे लेवल पर लग जाएंगे और जैसे ही करेक्शन का फेज खत्म होगा। यानी बाजार के गिरने का फेज खत्म शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें? होगा, आप मुनाफे में आ जाएंगे।
अनुशासन एवं निवेश में विविधता
शेयर में निवेश करना वास्तव में सीखने की एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें आप अपनी गलतियों और दूसरों के अनुभव से सीखते हैं. ये कुछ तथ्य हैं जिनसे यह प्रक्रिया सरल हो सकती है. किसी एक शेयर में अपनी निवेश की कुल रकम का 10% से ज्यादा न डालें. बहुत अधिक शेयरों में भी निवेश न करें क्योंकि उनकी निगरानी करना मुश्किल होता है. अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं और कम सक्रिय हैं तो आपके लिये 15-20 अलग शेयर में निवेश करना ठीक कदम है.
लालच से बचना जरूरी
शेयरों में निवेश के लिए मोबाइल या ई-मेल पर आने वाले हॉट टिप्स पर ध्यान न दें. अगर ये टिप्स सच में काम करती तो उसे पढ़ने वाले सभी लोग करोड़पति होते. अधिक शेयर खरीदने के लालच से बचें क्योंकि हर नई खरीद एक नये निवेश के फैसले की तरह है. किसी कंपनी के उतने ही शेयर खरीदें जितने आपके कुल आवंटन योजना के अनुसार हैं.
निवेश की निगरानी और समीक्षा
अपने निवेश की नियमित निगरानी व समीक्षा करें. आपके खरीदी कंपनियों के तिमाही परिणाम पर नजर रखें और सप्ताह में कम से कम एक बार अपने पोर्टफोलियो वर्कशीट पर शेयर की कीमतों में आये उतार-चढ़ाव को नोट करें. जब शेयर बाजार में अस्थिरता हो, तब यह जरूर करें. इसमें आपको यह ध्यान रखना है कि आप 50 पैसे के सिक्के से 1 रुपये के सिक्के किस तरह खरीद सकते हैं. इसके साथ ही जिन कारणों से आपने पहले शेयर खरीदा था वे अभी भी वैध हैं य़ा आपके पहले के अनुमान और उम्मीद में महत्वपूर्ण बदलाव आया है.
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म्यूचुअल फंड में एक फंड टैक्स सेविंग फंड भी होता है जिसे आम तौर पर ELSS (Equity Link Saving scheme) कहते हैं. चूंकि यह एक टैक्स सेविंग स्कीम है तो इसके साथ कुछ पाबंदियां भी आती हैं. यानि इस योजना में कुछ लॉकिन इन समय है. इससे साफ है कि इस दौरान आप निवेश की गई राशि को निकाल नहीं सकते हैं. अमूमन यह लॉकइन समय कम से कम तीन साल का होता है.
ELSS ईएलएसएस ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं, जिनका सर्वाधिक भाग (65% से अधिक) शेयरों (equity) में और इक्विटी लिंक्ड सिक्योरिटीज में निवेश कि जाता है. साथ ही इसका एक हिस्सा फिक्स्ड इंकम प्रतिभूति (fixed-income securities) आदि में भी लगाया जाता है.
चूंकि इनमें निवेश लॉकइन समय के साथ आता है. तो सरकार की ओर से आयकर की धारा 80 सी के तहत टैक्स में छूट का लाभ लिया जा सकता है. यह साफ करना भी जरूरी है कि इस सेक्शन के तहत केवल 150000 रुपये सालाना ही टैक्स में छूट का दायरा है. क्योंकि यहां पर टैक्स में छूट के साथ कमाई भी हो रही है तभी इसे टैक्स सेविंग स्कीम भी कहा जा रहा है.
जानकारी के लिए बता दें कि आयकर के सेक्शन 80 सी के तहत कुछ अन्य निवेश और खर्च भी आते हैं. इनमें EPF, PPF, NSC, सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम, सुकन्या समृद्धि योजना, जीवन बीमा आदि भी सम्मिलित हैं. टैक्स की लिमिट में इन सभी को शामिल किया जाता है.
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