मार्किट रिसर्च एनालिस्ट (Market Research Analyst) कैसे बनें?
नमस्कार! आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि मार्किट रिसर्च एनालिस्ट (Market Research Analyst) कैसे बनें? यहां बता दें कि जब भी कोई नया बिजनेस या प्रोडक्ट कराया जाता है तो उसके लिए मार्केट रिसर्च करना बहुत जरूरी होती है जिसको केवल वही कैंडिडेट कर सकता है जिसको इस क्षेत्र के बारे में सारी जानकारी होती है।
वैसे यहां बता दें कि इस फील्ड में किसी भी व्यक्ति को सफलता केवल तभी मिलती है जब उसे मार्केट रिसर्च एनालिस्ट से जुड़ी हुई सभी बातों की अनिवार्य जानकारी होती है। परंतु इस इंडस्ट्री में काम करने के लिए कैंडिडेट को मार्केट से संबंधित सारी बातों का पता होना चाहिए और अगर आप भी एक ऐसे छात्र हैं जो 12वीं के बाद मार्केट रिसर्च एनालिस्ट बनने में रुचि रखते हैं तो हमारे आज के इस आर्टिकल को सारा पढ़े और जानें कि आप किस प्रकार से मार्केट रिसर्च एनालिस्ट बन सकते हैं।
मार्किट रिसर्च एनालिस्ट क्या होता है (what is Market Research Analyst in Hindi)
यहां आपको बता दें कि मार्केट रिसर्च एनालिस्ट एक ऐसा प्रोफेशनल होता है जिसका काम किसी भी नए प्रोडक्ट को बाज़ार में लाने से पहले उसके बारे में सभी जानकारी हासिल करनी होती है जैसे कि जिस क्षेत्र में वह प्रोडक्ट लाया जा रहा है वहां पर उसकी खपत कितनी है एवं उस मार्केट में उस उत्पाद की बिक्री कितनी हो सकती है।
इसीलिए जब भी कोई कंपनी अपने नए प्रोडक्ट को मार्केट में लाती है तो सबसे पहले उसका मार्केट रिसर्च कराती है ताकि बाजार में होने वाले सभी प्रकार के बदलाव के बारे में भी सारी जानकारी सही तरीका से प्राप्त हो सके।
मार्किट रिसर्च एनालिस्ट बनने के लिए प्रक्रिया क्या है
जो कैंडिडेट मार्केट रिसर्च एनालिस्ट बनना चाहते हैं उनको सबसे पहले बारहवीं कक्षा गणित जैसे विषय के साथ पास करनी होगी और उसके बाद छात्र को चाहिए कि वह मैथमेटिक्स , कंप्यूटर साइंस , मार्केट रिसर्च जैसे विषयों में अपना ग्रेजुएशन करें। यहां बता दें कि हमारे देश में मार्केट रिसर्च एनालिस्ट बनने के लिए बहुत सारे संस्थानों में कोर्स करवाए जाते हैं जहां से छात्र अपना कोर्स मार्केट रिसर्च एनालिस्ट की फील्ड में कर सकते हैं।
योग्यता
- इच्छुक उम्मीदवार ने किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से मार्केटिंग एंड फाइनेंस में बीबीए की डिग्री हासिल की हो।
- या फिर कैंडिडेट ने बीकॉम किया होना चाहिए।
- या उम्मीदवार ने बीएससी की डिग्री ले रखी हो।
- कैंडिडेट को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है।
- उम्मीदवार वार्तालाप में निपुण होने के साथ-साथ रचनात्मक प्रवृत्ति का होना चाहिए।
आयु सीमा
जो छात्र मार्किट रिसर्च एनालिस्ट बनना चाहते हैं उन्हें यहां जानकारी के लिए बता दें कि कैंडिडेट की आयु कम से कम 20 साल होनी चाहिए और इसके लिए किसी भी तरह की अधिकतम आयु सीमा नहीं रखी गई है जिसकी वजह से कोई भी व्यक्ति इस क्षेत्र में किसी भी उम्र तक अपना कैरियर बना सकता है।
मार्किट रिसर्च एनालिस्ट बनने के कैरियर संभावनाएं क्या है
मार्केट रिसर्च एनालिस्ट के तौर पर काम करने वाले लोगों को नौकरी करने के निजी और सरकारी अवसर प्राप्त होते हैं। यहां बता दें कि प्राइवेट सेक्टर के अलावा सरकार को भी सरकारी नीतियों, योजनाओं एवं मुद्दों के बारे में भी पब्लिक की राय जानने के लिए मार्केट रिसर्च करवाना पड़ता है जिसके लिए उन्हें मार्केट रिसर्चर की आवश्यकता होती है। इसके अलावा शिक्षा संस्थानों , मार्केटिंग संगठनों , और मल्टीनेशनल कंपनियों में भी मार्केट रिसर्च एनालिस्ट की जरूरत पड़ जाती है।
वेतन
आप यहां आपको जानकारी दे दें कि जो व्यक्ति मार्केट रिसर्च एनालिस्ट के रूप में काम करते हैं उन्हें हर महीने शुरुआत में 25 , 000 से लेकर 35 , 000 तक का सैलरी पैकेज मिल जाता है। इस तरह से कुछ वर्षों का अनुभव हासिल करने के बाद कैंडिडेट को 1 लाख से भी ज्यादा का वेतन मिल सकता है जो कि पूरी तरह से उसकी मेहनत, लगन और योग्यता के ऊपर निर्भर करता है।
मार्किट रिसर्च एनालिस्ट के कार्य
मार्किट रिसर्च एनालिस्ट के तौर पर काम करने वाले व्यक्ति के सामने बहुत सारी चुनौतियां होती हैं जिन्हें उसको सफलतापूर्वक तरीके से पूरा करना होता है जो कि इस प्रकार से है –
- किसी भी नए प्रोडक्ट के बारे में रिसर्च करना।
- ग्राहक की जरूरत को समझते हुए उसके उत्पाद के बारे में जानकारी देना।
- किसी प्रोडक्ट या फिर सर्विस के बारे में फीडबैक जुटाते हैं।
- बाजार में लाए जाने वाले नए उत्पाद की बिक्री , कीमत, डिस्ट्रीब्यूशन इत्यादि के बारे में भी जानकारी जमा करते हैं।
- फील्ड सर्वे कराने का काम करते हैं।
- जिस क्षेत्र में कोई नया प्रोडक्ट लॉन्च होता है उस प्रोडक्ट से संबंधित सारी जानकारी जमा करते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों यह था हमारा आज का आर्टिकल मार्किट रिसर्च एनालिस्ट (Market Research Analyst) कैसे बनें? इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया कि मार्केट रिसर्च एनालिस्ट क्या होता है और उसके लिए किसी भी छात्र में कितनी योग्यता होनी आवश्यक है।
इसके साथ-साथ हमने आपको यह जानकारी भी दी कि मार्केट रिसर्च एनालिस्ट बनने के लिए पूरी प्रक्रिया क्या होती है और जब कोई कैंडिडेट इस पद पर काम करने लगता है तो तब उसे हर महीने कितने रुपए तक का सैलरी पैकेज मिल जाता है। साथ ही साथ हमने इस लेख के द्वारा आपको यह जानकारी भी दी कि जब कोई कैंडिडेट मार्केट रिसर्च एनालिस्ट बन जाता है तो उसे कौन-कौन से कार्य इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट करने होते हैं।
वैसे यहां अगर देखा जाए कि अगर किसी व्यक्ति को सर्वे, फील्ड वर्क और एनालिटिकल कार्य करने पसंद होते हैं तो वह इस क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकता है। अंत में हम आपसे यही कहेंगे कि अगर आपको हमारे द्वारा प्रदान की गई सारी जानकारी उपयुक्त लगी हो तो इसे अपने उन दोस्तों के साथ ही जरूर शेयर करें जो 12वीं के बाद मार्केट रिसर्च एनालिस्ट बनना चाहते हैं।
Career as Financial Advisor: फाइनेंशियल एडवाइजर है अच्छी कमाई वाली नौकरी, जानिए कैसे बनाएं इसमें करियर
Career as Financial Advisor: वित्तीय लेन- देन की अच्छी समझ है, टैक्स बिजनेस से जुड़े कामों में रूचि है और अब एक बेहतर क . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : August 27, 2022, 08:04 IST
हाइलाइट्स
फाइनेंशियल एडवाइजर बनने के लिए बारहवीं क्लास के बाद कैट की परीक्षा पास करनी होगी,
फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद से बड़ी-बड़ी कंपनियां वित्तीय फैसले लेती हैं.
फाइनेंशियल एडवाइजर की शुरुआती सैलरी 20-25 हजार रुपये प्रतिमाह होती है.
नई दिल्ली: वित्तीय लेन- देन की अच्छी समझ है, टैक्स इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट बिजनेस से जुड़े कामों में रूचि है और अब एक बेहतर करियर की तलाश में तो ऐसे कैंडिडेट्स फाइनेंशियल एडवाइजर के रूप में अपना करियर बना सकते हैं. बी. कॉम या इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन करने वाले इसमें करियर बना सकते हैं.
एक फाइनेंशियल एडवाइजर का काम होता है कि वो अपने क्लाइंट की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए उसे जरूरी सलाह दे. इसके अलावा क्लाइंट को निवेश, बीमा, बचत योजनाओं और कर्ज आदि के बारे में सही इंफोर्मेशन दें. जो उसके हित से जुड़ा हो. फाइनेंशियल एडवाइजर को फाइनेंस मार्केट की अच्छी समझ होनी चाहिए. स्टैटस को सही तरीके से मैनेज करना आना चाहिए, ताकि वह अपने क्लाइंट को पूरी जानकारी और सही फाइनेंशियल एडवाइज दे सके.
फाइनेंशियल एडवाइजर की डिमांड
आज के समय में फाइनेंशियल एडवाइजर या प्लानर की सबसे ज्यादा जरूरत मध्यम व छोटे स्तर की कंपनियों में होती है. जहां इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट इनकी मदद से बड़ी-बड़ी कंपनियां वित्तीय फैसले लेती हैं. फाइनेंशियल एडवाइजर के अलावा क्रेडिट एनालिस्ट, फाइनेंशियल एनालिस्ट, इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट, कमर्शियल रियल एस्टेट एजेंट, पोर्टफोलियो मैनेजर, स्टॉक ब्रोकर की भी काफी मांग है.
सैलरी
फाइनेंशियल एडवाइजर के रूप में शुरुआत में किसी कंपनी से जुड़ने पर सैलरी 20-25 हजार रुपये प्रतिमाह मिलता है. जबकि 5-7 साल का एक्सपीरियंस होने पर सैलरी बढ़कर 45-55 हजार रुपये प्रतिमाह तक पहुंच जाती है. आज कई ऐसे इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट पेशेवर लोग भी हैं, जो डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह तक कमा रहे हैं.
फाइनेंशियल एडवाइजर के लिए योग्यता
फाइनेंशियल एडवाइजर बनने के लिए 12वीं क्लास के बाद कैट की परीक्षा पास करनी होगी. इसके लिए कॉमर्स स्ट्रीम का स्टुडेंट होना जरूरी नहीं है. हालांकि फाइनेंस में आगे की स्टडी के लिए लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है. ग्रेजुएशन करने के बाद एमबीए इन फाइनेंस, एमएस इन फाइनेंस, मास्टर डिग्री इन फाइनेंशियल इंजिनियरिंग, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बैंकिंग ऐंड फाइनेंस, एडवांस डिप्लोमा इन बैंकिंग ऐंड फाइनेंस, मास्टर्स इन कमोडिटी एक्सचेंज आदि जैसे कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं.इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट
फाइनेंशियल एडवाइजर में स्कोप
फाइनेंस में ज्यादातर बी.कॉम के छात्र आना पसंद करते हैं. इसमें नौकरी की चाहत करने वाले युवाओं से कम से कम इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट होने की उम्मीद की जाती है. ऐसे युवा, जिन्होंने चार्टेर्ड एकाउंटेंसी और कॉस्ट एंड वर्क्स एकाउंटेंसी किया है, वो आगे फाइनेंस में एमबीए करने की ओर कदम बढ़ाना पसंद करते हैं. इस क्षेत्र में करियर बनाने की चाहत रखने वाले युवा अक्सर फाइनेंशियल मैनेजमेंट में मास्टर, इकोनॉमिक्स या कॉमर्स में पीजी करने के बाद ही कदम रखते हैं.
कहां से करें कोर्स –
– डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल स्टडीज (डीयू), (नई दिल्ली)
– इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल प्लानिंग, (नई दिल्ली)
– बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (वाराणसी)
– पटना यूनिवर्सिटी (पटना- बिहार)
– जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (जमशेदपुर- झारखंड)
– नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (मुंबई- महाराष्ट्र)
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नए साल में इन पांच तरीकों से करें फाइनेंशियल प्लानिंग, सुधरेगी वित्तीय स्थिति
नया साल आने ही वाला है। हालांकि, संवत कैलेंडर के अनुसार दिवाली से ही संवत 2077 की शुरुआत हो चुकी है। किसी न किसी तरह से यह क्षण आपके वित्तीय रूप से स्वस्थ होने के विषय को छूने के लिए सटीक है। इस वजह से मौजूदा परिदृश्य में तैयारी करना ही सफलता की कुंजी है।
तो आइए एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट श्री जयकिशन परमार के अनुसार जानते हैं इस नए साल में आर्थिक रूप से स्वस्थ रहने के पांच तरीकों के बारे में।
बजट को अपनी प्राथमिकता बनाएं
भले ही एक स्प्रेडशीट बनाने के बारे में सोचना ही परेशानी का सबब बन सकती है, फिर भी वित्तीय रूप से चतुर लोग यह जरूर करते हैं। निवेश करते समय या अन्यथा संतुलन बनाने के लिए एक गाइडिंग फ्रेमवर्क की आवश्यकता होती है। खर्च और बचत को तयशुदा और कुछ मापदंडों में रखने से पर्सनल फाइनेंस के दोनों तत्वों के बीच संतुलन सुनिश्चित होगा। संक्षेप में बजट पर काम करना चार्ट बनाने के समान है कि आप किसी नए क्षेत्र में खुद को कैसे नेविगेट करना चाहते हैं।
सभी के लिए बजट निर्धारित करना प्रमुख प्राथमिकता है क्योंकि यह सुनिश्चित करेगा कि आप हर कदम सोच-समझकर उठाएं और मॉडरेशन और संतुलन के रास्ते पर चलें।
एक आपातकालीन निधि बनाएं
वर्ष 2020 दुनियाभर में सभी के लिए एक रोलरकोस्टर की राइड रहा है। नया साल हमें 2020 की स्थिति से विदाई दे भी सकता है और नहीं भी। हम कुछ नहीं कर सकते, लेकिन उम्मीद कर सकते हैं कि अगले वर्ष में चीजें बेहतर हो जाएंगी।
इस बीच आपात फंड हमारी किसी भी रणनीति का शुरुआती बिंदु होना चाहिए जिसे हम बनाने का इरादा रखते हैं। हमारे पास हमेशा कुछ न कुछ मुद्दे रहेंगे, जिनसे हमें निपटना होगा। यदि हम उसके लिए पहले से सोचकर रखेंगे तो बिना किसी दिक्कत के ऐसी स्थिति से बाहर निकलने में मदद मिलेगी।
उस संपत्ति में निवेश करें जो अंत तक आपके साथ रहे: यानी खुद पर
साल 2020 ने हमारे जीवन में जो बदलाव लाए, वह अच्छे ही हैं। अगर संकेतों को समझें तो महामारी के बाद की दुनिया में पहले जैसा जीवन कभी नहीं रहेगा। शायद, कई डाइनामिक्स की वजह से नौकरियों का परिदृश्य सबसे अधिक बदल रहा है। इनमें से कुछ डायनामिक्स भविष्य की दुनिया और नौकरियों की प्रकृति के साथ-साथ इसमें निवेश को फिर से बनाएंगे।
यदि इसके बारे में सोचें तो निश्चित तौर पर अपने ऊपर निवेश करना नई दुनिया में आने वाली बाधाओं का जवाब दे सकता है। आपको नए इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट स्किल सीखना चाहिए। यदि आप ट्रेडिंग नहीं करते हैं, तो जानें कि कैसे कर सकते हैं। अगर आप पहले से ही शेयर बाजारों में निवेश कर रहे हैं, तो अपने आपको पायथन या आर पर क्रैश कोर्स के लिए एनरोल करें। एल्गो-ट्रेडिंग जैसे नए विचारों में गहराई से इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट उतरें और देखें कि कैसे आप प्रोग्रामिंग नॉलेज के साथ या उसके बिना अपनी एल्गो-ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी बना सकते हैं।
Explained: जानिए ऑटो सेक्टर में क्यों है मंदी, इस तरह है अच्छा मौका
ऑटो सेक्टर में जारी मंदी की वजह से फिलहाल कई कंपनियों के शेयर आकर्षक वैल्यूएशन पर उपलब्श हैं। लंबी अवधि का नजरिया रखने वाले निवेशकों के लिए यह खरीदारी का अच्छा मौका है, हालांकि इस सेक्टर में स्थिरता के लिए कुछ तिमाही और इंतजार करना पड़ सकता है।
दरअसल, वाहन बनाने वाली कंपनियों की मौजूदा मंदी ढांचागत नहीं, बल्कि चक्रीय है। ऐसा इएलिए है, क्योंकि भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी जैसे हालात का सबसे ज्यादा असर ऑटो सेक्टर पर पड़ा है। ऐसा भी नहीं है कि ये फौरी दिक्कते हैं, जिनका निराकरण कुछ हफ्तों या महीनों में हो जाएगा। मौजूदा हालात संकेत दे रहे हैं कि यह कमजोरी कुछ और तिमाही जारी रह सकती है। बावजूद इसके, निवेशकों को इसे एक मौके के तौर पर देखना चाहिए।
मंदी के प्रमुख कारण
1. एनबीएफसी सेक्टर में नकदी की किल्लत
2. बीएस-6 जैसे सख्त उत्सृजन मानदंड
3. ऊंची बीमा लागत, और
4. कुछ तिमाहियों से कमजोर मांग
इसलिए भी घटी बिक्री
शहरी क्षेत्रः ओला और उबर जैसी एप आधारित टैक्सी एवं परिवहन के अन्य सुविधाजनक साधन वाजिब कीमतों पर उपलब्धहोने के कारण बाजार में इनका बढ़ता दबदबा।
ग्रामीण क्षेत्रः मानसून सीजन में अब तक सामान्य से कम बारिश और आगे भी जरूरत से कम बरसात की आशंका।
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का असर
केंद्र सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसे सफल बनाने के लिए सरकार को उचित बुनियादी ढांचा, सप्लाई चेन प्रबंधन और सबसे महत्वपूर्ण एक स्पष्ट नीति मुहैया कराने की जरूरत है। हालांकि इसके लिए सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी पर 1.5 लाख रुपए तक की छूट दी है। यह एक सुनहरा लक्ष्य है, जो भारत को बहुत ऊंचाई तक लेकर जाएगा। लेकिन, इसके कारण कुछ समय के लिए ही सही, लेकिन वाहन कंपनियों के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।
इन कंपनियों ने टॉप गियर में डाला ई-वाहन प्रोजेक्ट
- मारूति सुजुकी इंडिया, अशोक लीलैंड, महिंद्रा एंड महिंद्रा
1. डीजल पर कम निर्भरता के कारण मारूति सुजुकी इलेक्ट्रिक कार के क्षेत्र में सुचारू रूप से आगे बढ़ सकती है।
2.अशोक लेलैंड और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के साथ कई रणनीतिक साझेदारी की है।
3. बैटरी बनाने वाली कंपनियां, मसलन अमराराजा बैटरीज और फास्टनर बनाने वाली कंपनिया जैसे सुंदरम फास्टनर भी आगे अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।
(डिस्क्लेमरः आर्टिकल में उल्लेखित कंपनियों में हमारा या हमारे क्लाइंट्स का निवेश हो सकता है। इनके शेयर भाव में आगे की दिशा को लेकर हमारी कोई जवाबदेही नहीं है।)
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