बिटकॉइन मूल्य अंतर क्या है

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Bitcoin तो ठीक है, ये Bitcoin Cash क्या है? समझिए ये दोनों क्रिप्टोकरेंसी कैसे हैं एक-दूसरे से अलग

Bitcoin दुनिया की सबसे पॉपुलर और मार्केट कैप के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है. इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी. वहीं, Bitcoin Cash 2017 में बिटकॉइन से अलग हुआ था, और यहां से एक अलग क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर बिटकॉइन मूल्य अंतर क्या है आगे बढ़ा. लेकिन यह सब हुआ कैसे और क्यों? आइए समझते हैं.

Bitcoin तो ठीक है, ये Bitcoin Cash क्या है? समझिए ये दोनों क्रिप्टोकरेंसी कैसे हैं एक-दूसरे से अलग

Bitcoin और Bitcoin Cash दोनों अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

बिटकॉइन और बिटकॉइन कैश (Bitcoin and Bitcoin Cash) दो अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी हैं, ये एक दूसरे से अलग-अलग स्वतंत्र रूप से काम करती हैं और इनमें कुछ तकनीकी फर्क भी हैं. हालांकि हो सकता है कि आप इन दोनों को इनके नाम या फिर टोकन सिंबल BTC (बिटकॉइन) और BCH (बिटकॉइन कैश) के नाम से न पहचानते हों. बिटकॉइन दुनिया की सबसे पॉपुलर और मार्केट कैप (Bitcoin's market cap) के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है. इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी. वहीं, बिटकॉइन कैश 2017 में बिटकॉइन से अलग हुआ था, और यहां से एक अलग क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर आगे बढ़ा. लेकिन यह सब हुआ कैसे और क्यों? आइए समझते हैं.

किस उद्देश्य से हुई थी बिटकॉइन की शुरुआत?

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कहा जाता है कि बिटकॉइन की शुरुआत सातोषी नाकामोतो के छद्म नाम से किसी शख्स या कई लोगों ने मिलकर की थी. इसकी शुरुआत असल में किसने की थी, उसकी असली पहचान अभी तक सामने नहीं आई है. जब बिटकॉइन का व्हाइट पेपर तैयार किया गया तो इसमें लक्ष्य था कि इलेक्ट्रॉनिक कैश का एक ऐसा peer-to-peer वर्जन बनाया जाए, जिसके तहत एक पक्ष दूसरे पक्ष के साथ बिना किसी सरकारी रेगुलेशन के ट्रांजैक्शन कर सके. इस बात के 12 साल हो गए हैं और वो लक्ष्य एक विशाल क्रिप्टोकरेंसी मार्केट के रूप में खड़ा हो चुका है. इसकी शुरुआत उस डिजिटल टोकन बिटकॉइन से हुई.

किसी भी क्रिप्टकरेंसी को लेकर अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव की चिंता तो रहती ही है, एक और पेचीदगी होती इनके ट्रांजैक्शन में लगने वाला टाइम. दरअसल, बिटकॉइन में ट्रांजैक्शन पहले प्रोसेस होता है, फिर वेरिफाई होता है, फिर ब्लॉकचेन नाम से जाने जाने वाले डिजिटल लेजर यानी बहीखाते में दर्ज होता बिटकॉइन मूल्य अंतर क्या है है, इस सबमें वक्त लग जाता है. जैसे उदाहरण के लिए समझिए- क्रेडिट कार्ड बिजनेस की ग्लोबल कंपनी Visa, एक सेकेंड में लगभग 1,700 ट्रांजैक्शन प्रोसेस करती है, लेकिन इस एक सेकेंड में बिटकॉइन के सात ही ट्रांजैक्शन पूरे हो पाते हैं. और अब जब ज्यादा बिटकॉइन मूल्य अंतर क्या है से ज्यादा लोग बिटकॉइन में निवेश से जुड़ रहे हैं, तो इसके ट्रांजैक्शन की रफ्तार और धीमी हो रही है.

बिटकॉइन कैश की शुरुआत क्यों हुई?

बिटकॉइन की दुनिया में शुरुआत के सालों में तो शांति रही, लेकिन फिर कुछ ही वक्त में ये बड़ा और पॉपुलर होने लगा. लेकिन ये जितना बड़ा होता गया, करेंसी बनने के अपने शुरुआती लक्ष्य से अलग यह निवेश का माध्यम ज्यादा बन गया, इसलिए इस ओरिजिनल आइडिया का हवाला देकर 2017 में बिटकॉइन कैश की शुरुआत हुई. बिटकॉइन कैश, कई मामलों में बिटकॉइन जैसा है, लेकिन इसमें कई चीजें हैं, जो इसे 2009 में लिखे गए व्हाइट पेपर वाले वर्जन से ज्यादा मिलता-जुलता बनाती हैं.

सबसे बड़ा फर्क दोनों में ये है कि भले ही नाम दोनों का बहुत कुछ एक जैसा हो, ये दोनों बिल्कुल अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी हैं.

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बिटकॉइन और बिटकॉइन कैश अलग-अलग कैसे हैं?

यह देखने के लिए बहुत से लोग सबसे पहले दोनों को निवेश के माध्यम के तौर पर देखकर इनकी वैल्यू की तुलना करेंगे. 18 अगस्त, 2021 की दोपहर में 2-3 बजे के आसपास बिटकॉइन की कीमत 35 लाख से ऊपर दर्ज की जा रही थी, वहीं बिटकॉइन कैश की 50,000. जाहिर सी बात है कि एक निवेशक के तौर पर कॉइन की कीमत उतनी अहम नही हैं, जितना कि ये देखना कि बाजार में उसकी कितनी वैल्यू है.

इनमें एक और बड़ा फर्क ये है कि बिटकॉइन की तुलना में बिटकॉइन कैश का ट्रांजैक्शन कॉस्ट कम होता है और डेटा ज्यादा जल्दी ट्रांसफर होता है, इसका मतलब है कि इसका इस्तेमाल एक वक्त पर ज्यादा लोग कर सकते हैं. लेकिन हां यहां बता दें कि बिटकॉइन कैश में निवेशकों का भरोसा अभी उतना नहीं है, जितना कि बिटकॉइन में.

बिटकॉइन कैश का अधिकतम ब्लॉक साइज 32MB है और बिटकॉइन का 1MB. इससे ये बिटकॉइन की तुलना में ज्यादा लचीला है और एक सेकेंड में बिटकॉइन की अपेक्षा ज्यादा ट्रांजैक्शन कर सकता है. इससे पर्यावरण पर बिटकॉइन की तुलना में कम असर पड़ता है. इससे एक करेंसी के तौर पर इसकी व्यावहार्यता यानी viability भी बढ़ती है. उसकी वेबसाइट पर बिटकॉइन कैश का दावा है कि वो एक सेकेंड में 200 ट्रांजैक्शन प्रोसेस करता है, जिससे कि ट्रांजैक्शन की लागत भी कम होती है.

जानिए क्या है बिटकॉइन और क्यों चढ़ रही है कीमत?

इन दिनों निवेश की दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चा में बिटकॉइन है. मगर क्या आप जानते हैं कि क्या है बिटकॉइन? लगातार क्यों चढ़ रही हैं इसकी कीमतें?

जानिए क्या है बिटकॉइन और क्यों चढ़ रही है कीमत?

भारत में भी नियामक संस्थाएं बिटकॉइन से खुश नहीं हैं. आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी सुदर्शन सेन ने सितंबर में कहा था कि केंद्रीय बैंक इस तरह की 'गैर-व्यवस्थित' क्रिप्टोकरेंसी में कारोबार से सहज नहीं है. मगर सवाल उठना लाजमी है कि बिटकॉइन क्या है और यह कैसे काम करता है?

क्या है बिटकॉइन
बिटकॉइन एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है. अंग्रेजी शब्द 'क्रिप्टो' का अर्थ गुप्त होता है. यह एक प्रक्रार की डिजिटल करेंसी है, जो क्रिप्टोग्राफी के नियमों के आधार पर संचालित और बनाई जाती है. क्रिप्टोग्राफी का अर्थ को कोडिंग की भाषा को सुलझाने की कला है.

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बिटकॉइन को आप छू नहीं सकते यानी की यह डिडिटल फॉर्म में ही रहती हैं. यही इसकी सबसे खास बात है. दूसरे शब्दों में आप इसे विकेंद्रीकृत डिजिटल करेंसी भी कह सकते हैं. बिटकॉइन का आविष्कार साल 2009 में सतोषी नाकामोटो ने किया था.

कैसे करता हैं यह काम?
बिटकॉइन विशेषज्ञ हितेश मालवीय का कहना है कि बिटकॉइन वर्चुअल कॉइन (कृत्रिम सिक्के) हैं, जो अपनी कीमत बनाने और बढ़ाने के लिए डिजाइन किए गए हैं. इस तरह पैसों के लेन-देन के लिए आपकों बैंकों तक जाने की जरूरत नहीं है.

यदि आपके पास बिटकॉइन है, तो इसकी कीमत और वैल्यू उसी बिटकॉइन मूल्य अंतर क्या है तरह मानी जाएगी जैसे ईटीएफ में कारोबार करते समय सोने की होती है. आप बिटकॉइन के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं और इसे निवेश के रूप में भी रख सकते हैं.

बिटकॉइन एक पर्सनल ई-वॉलेट से दूसरे पर्सनल ई-वॉलेट में ट्रांसफर किए जाते हैं. ये ई-वॉलेट्स आपका निजी डेटाबेस होते हैं, जिसे आप अपने कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, टैबलेट या किसी ई-क्लाउड पर स्टोर करते हैं.

बिटकॉइन का रिटर्न
बिटकॉइन ने अपनी एंट्री के साथ ही गगनचुंबी रिटर्न दिए हैं. सात सालों में बिटकॉइन ने 10 रुपये के निवेश को 6.2 लाख रुपये कर दिया. इस साल बिटकॉइन ने जनवरी से नवंबर के दौरान 900 फीसदी का रिटर्न दिया है.

Bitcoin

Bitcoin is a digital currency that is not tied to a bank or government and allows users to spend money anonymously.

बुधवार को ही अमेरिकी बाजार में इस क्रिप्टोकरेंसी की कीमत $10,000 के स्तर के पार गई. कमाल की बात यह है कि इसकी मांग और लोगों की बिटकॉइन के लिए दिवानगी का आलम यह था कि चंद ही घंटों में यह करेंसी 20 फीसदी की छलांग लगाकर $11,000 का स्तर भी पार कर गई.

इस करेंसी की अस्थिरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक ही दिन में इसकी कीमत $11,434 के सर्वोच्च स्तर को छूने के बाद $9,009 तक भी लुढ़क गई. अमेरिकी बाजार पर काफी समय तक इसकी कीमतों में कोई फेरबदल देखने को नहीं मिला.

चिंता के बादल
गौरतलब है कि इस सितंबर के अंत तक इस क्रिप्टोकरेंसी की कीमत $4,171.25 थी. कई विशेषज्ञ इस गु्ब्बारे ही हवा निकलने के संकेत दे रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इतने कम समय में दोगुना रिटर्न देने के बाद असली सवाल यह कि वे निवेशकों को कब बाहर जाने कि सलाह दें.

इसमें कोई दो राय नहीं कि बिटकॉइन के रिटर्न असाधारण हैं. इस बुलबुल के फूटने के संकेत इस बात से भी लगाए जा रहे हैं कि जहां एक तरफ बिटकॉइन मूल्य अंतर क्या है बिटकॉइन मूल्य अंतर क्या है कुछ दिग्गजों को उम्मीद हैं कि बिटकॉइन 2018 के अंत तक $40,000 डॉलर के स्तर को पार कर जाएगा, वहीं 2017 में यह तीन दफा एक ही सत्र में 25 फीसदी तक टूट चुका है.

Digital currency vs cryptocurrency: क्रिप्टो करेंसी और भारत सरकार की डिजिटल करेंसी में क्या है अंतर

कई लोग कंफ्यूज हैं कि अभी डिजिटल करेंसी को सरकार हां कर रही है लेकिन बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को बिटकॉइन मूल्य अंतर क्या है ना क्यों कह रही है. इस अंतर को समझ कर ही हम डिजिटल करेंसी के फायदे और नुकसान को समझ सकेंगे.

  • डिजिटल रुपये केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में शामिल होगी
  • इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है

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Digital currency vs cryptocurrency: क्रिप्टो करेंसी और भारत सरकार की डिजिटल करेंसी में क्या है अंतर

नई दिल्ली: Digital currency vs cryptocurrency-डिजिटल रुपया या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए RBI का अगला प्रयास होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट 2022-23 में डिजिटल रुपये को लेकर कई घोषणाएं की गई हैं. लेकिन कई लोग कंफ्यूज हैं कि अभी डिजिटल करेंसी को सरकार हां कर रही है लेकिन बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को ना क्यों कह रही है. इस अंतर को समझ कर ही हम डिजिटल करेंसी के फायदे और नुकसान को समझ सकेंगे.

विशेषज्ञों के मुताबिक डिजिटल रुपये की अवधारणा बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी से प्रेरित है, लेकिन केंद्रीय बैंक के नियमों के साथ. यानी बिटक्वाइन अनियंत्रित होती है जबकि डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक की ओर से जारी की जाती है. क्रिप्टोकरेंसी का प्रबंधन एक कंप्यूटर एल्गोरिथम द्वारा किया जाता है. वहीं डिजिटल करेंसी को अथारिटी द्वारा नियंत्रित किया जाता है. डिजिटल रुपये को सरकार की मान्यता मिली होती है. डिजिटल रुपये केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट में भी शामिल होगी और इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है. प्रस्ताव है कि देश में डिजिटल करेंसी को बैंक नोट की परिभाषा में रखा जाए. इसके लिए RBI ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया है.

डिजिटल करेंसी भी दो तरह की होती है
- रिटेल डिजिटल करेंसी का प्रयोग आम जनता और कंपनियां करती हैं.
- होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं के लिए होगा.

डिजिटल करेंसी के चार फायदे
- बिटकॉइन मूल्य अंतर क्या है तेज लेन-देन और नोट छापने की तुलना में कम खर्चीला
- बाजार में करेंसी को सरकार बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पाएगी
- बैंक खाते की जरूरत नहीं और ऑफलाइन लेन-देन संभव होगा.
- हर डिजिटल रुपये पर सरकार की नजर होगी और कोई गैरकानूनी लेन-देन नहीं हो पाएगा

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Crypto News: प्राइवेट और पब्लिक क्रिप्टो करेंसी में क्या अंतर है?

Private Crypto: आपको यह पता होना चाहिए कि क्रिप्टोकरेंसी दो तरह की होती है। इनमें से एक प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी है और दूसरी पब्लिक क्रिप्टो करेंसी। अगर आप इन दोनों के बीच अंतर नहीं जानते तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं।​

क्रिप्टो ट्रेड

पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी
ऐसी सभी क्रिप्टो करेंसी जिनके ट्रांजैक्शन एक-दूसरे से लिंक हो उन्हें पब्लिक क्रिप्टो करेंसी कहते हैं। पब्लिक क्रिप्टो करेंसी में यह पता किया जा सकता है बिटकॉइन मूल्य अंतर क्या है कि यह करेंसी किस किस व्यक्ति के पास से गुजरी है। बिटकॉइन, इथर या टेलर से लेकर तमाम बड़ी क्रिप्टो करेंसी पब्लिक क्रिप्टो करेंसी हैं।

प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी
कई क्रिप्टोकरेंसी ऐसी हैं जिनके लेनदेन की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है, इन्हें प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं। Monero, Dash और दूसरे Crypto token भी प्राइवेट क्रिप्‍टोकरेंसी में आते हैं। इन प्राइवेट क्रिप्‍टोकरेंसी में यूजर की प्राइवेसी बनी रहती है, उनका डेटा सुरक्षित रहता है। इसे प्राइवेट टोकन भी कहते हैं।

प्राइवेट कॉइन की खासियत

प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी यूजर के वॉलेट का बैलेंस और उसका पता जाहिर नहीं होने देते। इसी विशेषता के चलते इनका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में हो सकता है। भारत में सरकार क्रिप्टो करेंसी पर जो कानून ला रही है उसके तहत प्राइवेट किसको करेंसी को बैन किया जा सकता है।

प्राइवेट क्रिप्टो की तकनीक
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी प्राइवेट ब्लॉकचेन के सहारे चलती है। इसे ट्रेस करना लगभग नामुमकिन हो जाता है। आमतौर पर इसकी परिभाषा भी यही है। जीकैश, मोनेरो, डैश प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उदाहरण है, वहीं बिटकॉइन, डॉगकॉइन, इथेरियम ये सब पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी हैं जिनके ट्रांजेक्शन को ट्रेस किया जा सकता है।

क्रिप्टो के दुरुपयोग पर बिटकॉइन मूल्य अंतर क्या है नजरें
क्रिप्टोकरेंसी के ट्रांजेक्शन को ट्रैक करना काफी जटिल है और सरकार का मानना है कि इसका बड़े स्तर पर दुरुपयोग हो सकता है। क्रिप्टो को हवाला फंडिंग या टेरर फंडिंग के लिए उपयोग किया जा सकता है, इसलिए इसे बैन करने या रेगुलेट करने की जरूरत है।

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