मौलिक विश्लेषण के घटक
प्राकृतिक संसाधनों को संसाधित कर के अधिक उपयोगी एवं मूल्यवान वस्तुओं में बदलना विनिर्माण कहलाता है। ये विनिर्मित वस्तुएँ कच्चे माल से तैयार की जाती हैं। विनिर्माण उद्योग में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल या तो अपने प्राकृतिक स्वरूप में सीधे उपयोग में ले लिये जाते हैं जैसे कपास, ऊन, लौह अयस्क इत्यादि अथवा अर्द्ध-संशोधित स्वरूप में जैसे धागा, कच्चा लोहा आदि जिन्हें उद्योग में प्रयुक्त कर के और अधिक उपयोगी एवं मूल्यवान वस्तुओं के रूप में बदला जाता है। अतः किसी विनिर्माण उद्योग से विनिर्मित वस्तुएँ दूसरे विनिर्माण उद्योग के लिये कच्चे माल का कार्य करती हैं। अब यह सर्वमान्य तथ्य है कि किसी भी देश की आर्थिक-प्रगति या विकास उसके अपने उद्योगों के विकास के बिना संभव नहीं है।
औद्योगिक विकास के स्तर का किसी देश की आर्थिक सम्पन्नता से सीधा सम्बन्ध है। विकसित देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, रूस की आर्थिक सम्पन्नता इन देशों की औद्योगिक इकाइयों की प्रोन्नत एवं उच्च विकासयुक्त वृद्धि से जुड़ा है। औद्योगिक दृष्टि से अविकसित देश अपने प्राकृतिक संसाधानों का निर्यात करते हैं तथा विनिर्मित वस्तुओं को अधिक मूल्य चुकाकर आयात करते हैं। इसीलिये आर्थिक रूप से ये देश पिछड़े बने रहते हैं।
भारत में विनिर्माण उद्योग का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30% का योगदान है। इन औद्योगिक इकाइयों द्वारा करीब 280 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए जाते हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि निर्माण उद्योग राष्ट्रीय आय तथा रोजगार के प्रमुख स्रोत हैं।
इस पाठ के अन्तर्गत हम भारत में विकसित विभिन्न प्रकार के निर्माण उद्योग, उनके वर्गीकरण तथा उनके क्षेत्रीय वितरण कर अध्ययन करेंगे।
उद्देश्य
इस पाठ का अध्ययन करने के पश्चात आपः
- भारत में विनिर्माण उद्योगों के ऐतिहासिक विकास को जान सकेंगे;
- हमारे देश के आर्थिक विकास एवं प्रगति में इन औद्योगिक इकाइयों के योगदान को समझ सकेंगे;
- उद्योगों का विभिन्न लक्षणों के आधार पर वर्गीकरण कर सकेंगे;
- औद्योगिक विकास का सम्बन्ध कृषि, खनिज तथा ऊर्जा के साथ स्थापित कर सकेंगे;
- उद्योगों के स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले कारकों का परीक्षण कर सकेंगे;
- कुछ प्रमुख कृषि-आधारित उद्योगों तथा खनिज आधारित उद्योंगों के स्थानिक वितरण का वर्णन कर सकेंगे;
- भारत के मानचित्र पर कुछ चुने हुए उद्योगों की अवस्थितियों को दर्शा सकेंगे और उनकी पहचान कर सकेंगे;
- भारत में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिये बनाई गई विभिन्न नीतियों के योगदान को समझा सकेंगे;
- औद्योगिक विकास और क्षेत्रीय विकास के बीच सम्बन्ध स्थापित कर सकेंगे;
- स्थान-विशेष पर स्थापित उद्योगों के विकास एवं वृद्धि पर आर्थिक उदारीकरण के प्रभाव का वर्णन कर सकेंगे;
- औद्योगिक विकास के पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभाव की व्याख्या कर सकेंगे।
24.1 आधुनिक उद्योगों का संक्षिप्त इतिहास मौलिक विश्लेषण के घटक
भारत में आधुनिक औद्योगिक विकास का प्रारंभ मुंबई में प्रथम सूती कपड़े की मिल की स्थापना (1854) से हुआ। इस कारखाने की स्थापना में भारतीय पूँजी तथा भारतीय प्रबंधन ही मुख्य था। जूट उद्योग का प्रारंभ 1855 में कोलकाता के समीप हुगली घाटी में जूट मिल की स्थापना से हुआ जिसमें पूँजी एवं प्रबंध-नियन्त्रण दोनो विदेशी थे। कोयला खनन उद्योग सर्वप्रथम रानीगंज (पश्चिम बंगाल) में 1772 में शुरू हुआ। प्रथम रेलगाड़ी का प्रारंभ 1854 में हुआ। टाटा लौह-इस्पात कारखाना जमशेदपुर (झारखण्ड राज्य) में सन 1907 में स्थापित किया गया। इनके बाद कई मझले तथा छोटी औद्योगिक इकाइयों जैसे सीमेन्ट, कांच, साबुन, रसायन, जूट, चीनी तथा कागज इत्यादि की स्थापना की गई। स्वतंत्रता पूर्व औद्योगिक उत्पादन न तो पर्याप्त थे और न ही उनमें विभिन्नता थी।
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की अर्थव्यवस्था अविकसित थी, जिसमें कृषि का योगदान भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 60% से अधिक था तथा देश की अधिकांश निर्यात से आय कृषि से ही थी। स्वतंत्रता के 60 वर्षों के बाद भारत ने अब अग्रणी आर्थिक शक्ति बनने के संकेत दिए हैं।
भारत में औद्योगिक विकास को दो चरणों में विभक्त किया जा सकता है। प्रथम चरण (1947-80) के दौरान सरकार ने क्रमिक रूप से अपना नियन्त्रण विभिन्न आर्थिक-क्षेत्रों पर बढ़ाया। द्वितीय चरण (1980-97) में विभिन्न उपायों द्वारा (1980-1992 के बीच) अर्थव्यवस्था में उदारीकरण लाया गया। इन उपायों द्वारा उदारीकरण तात्कालिक एवं अस्थाई रूप से किया गया था। अतः 1992 के पश्चात मौलिक विश्लेषण के घटक उदारीकरण की प्रक्रिया पर जोर दिया गया तथा उपागमों की प्रकृति में मौलिक भिन्नता भी लाई गई।
स्वतंत्रता के पश्चात भारत में व्यवस्थित रूप से विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत औद्योगिक योजनाओं को समाहित करते हुए कार्यान्वित किया गया और परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में भारी और मध्यम प्रकार की औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की गई। देश की औद्योगिक विकास नीति में अधिक ध्यान देश में व्याप्त क्षेत्रीय असमानता एवं असंतुलन को हटाने में केन्द्रित किया गया था और विविधता को भी स्थान दिया गया। औद्योगिक विकास में आत्मनिर्भरता को प्राप्त करने के लिये भारतीय लोगों की क्षमता को प्रोत्साहित कर विकसित किया गया। इन्हीं सब प्रयासों के कारण भारत आज विनिर्माण के क्षेत्र में विकास कर पाया है। आज हम बहुत सी औद्योगिक वस्तुओं का निर्यात विभिन्न देशों को करते हैं।
पाठगत प्रश्न 24.1
1. कब और किस जगह कोयले का उत्खनन सर्वप्रथम शुरू हुआ?
2. भारत में किस वर्ष में रेलगाड़ी का प्रारंभ हुआ?
3. टाटा लौह और इस्पात संयंत्र किस जगह स्थापित किया गया था?
24.2 उद्योगों का वर्गीकरण
विभिन्न लक्षणों के आधार पर उद्योगों को कई वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। किन्तु निम्न सारिणी में उद्योगों को 5 प्रमुख आधारों पर वर्गीकृत किया गया है-
Bosch Ltd (BOSH)
बॉश शेयर (BOSH शेयर) (ISIN: INE323A01026) के बारे में। आप इस पृष्ठ के अनुभागों में से किसी एक में जा कर ऐतिहासिक डेटा, चार्ट्स, तकनीकी विश्लेषण तथा अन्य के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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बॉश समाचार
मालविका गुरुंग द्वारा Investing.com -- घरेलू बाजार ने शुक्रवार को दो सत्रों के नुकसान को तोड़ते हुए एक उच्च समापन किया, इक्विटी बेंचमार्क सूचकांकों ने सप्ताह के अंत में 2% लाभ के.
Investing.com - बॉश ने बुधवार को दूसरी तिमाही के नतीजों में विश्लेषकों के अनुमानों को पिछाडा और आय ने सर्वोच्च करा. कंपनी ने आय प्रति स्टॉक 113.3 बताया कुल आय 35.44B पर.
मालविका गुरुंग द्वारा Investing.com -- टेलीकॉम स्टॉक्स: रिलायंस (NS:RELI) Jio 5G स्पेक्ट्रम के लिए सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में उभरा, जिसने 88,078 करोड़ रुपये की बोली के साथ कुल.
बॉश विश्लेषण
21-2-22 से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए स्विंग ट्रेडिंग वॉचलिस्ट इरादा मैं केवल समय सीमा और शेयर का नाम साझा करूंगा। मैं व्यापार के आधार को एक तरफ छोड़ दूंगा क्योंकि इरादा पाठक को.
इरादा मैं केवल समय सीमा और शेयर का नाम साझा करूंगा। मैं व्यापार के आधार को एक तरफ छोड़ दूंगा क्योंकि इसका उद्देश्य अच्छे शेयरों को खोजने की मूल बातें सीखने में पाठक को शामिल करना.
6-12-21 से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए स्विंग ट्रेडिंग वॉचलिस्ट इरादा मैं केवल समय सीमा और शेयर का नाम साझा करूंगा। मैं व्यापार के आधार को एक तरफ छोड़ दूंगा क्योंकि इसका उद्देश्य.
बॉश कंपनी प्रोफाइल
बॉश कंपनी प्रोफाइल
- प्रकार : इक्विटी
- बाज़ार : भारत मौलिक विश्लेषण के घटक
- आईसआईन : INE323A01026
- एस/न : BOSCHLTD
Bosch Limited manufactures and trades in automotive products in India and internationally. The company operates through Automotive Products, Consumer Goods, and Others segments. It provides automotive, industrial, consumer goods, and energy and building technology products. The company offers powertrain solutions, including gasoline and diesel injection products and solutions; electrified drives with battery and fuel cell technologies; and engine management systems, fuel supply modules, fuel injectors, pumps, and ignition systems for the electric vehicle, passenger car, and commercial vehicle/off-road markets. It also provides automotive aftermarket services; a range of spare parts for vehicles; and repair solutions for passenger cars and commercial vehicles. In addition, the company offers power tools, power-tool accessories, and measuring technologies मौलिक विश्लेषण के घटक for professional users in trade and industry, the DIY market, and amateur crafters; video surveillance, intrusion detection, and fire detection and voice evacuation systems, as well as access control and management systems primarily for infrastructure and commercial applications; and critical communication systems, and professional audio and conference systems for communication of voice, sound, and music. Further, it provides indoor climate and domestic hot water technologies, condensing technologies, solar thermal systems, heat pumps, and combined heat and power systems; and home appliances. Additionally, the company offers drive and control technology, energy and building solutions, engineering and business solutions, safety and security solutions, and software solutions for industry and trades. The company was incorporated in 1951 and is headquartered in Bengaluru, India. Bosch Limited operates as a subsidiary of Robert Bosch Internationale Beteiligungen AG.
मौखिक भाषा विकास क्या है? (साक्षरता घटक) || मौखिक भाषा विकास हेतु गतिविधियाँ || Oral language development
कक्षा 1 व 2 में बच्चे बेहतर ढंग से तथा समग्रता में पढ़ना लिखना सीख सकें इस हेतु साक्षरता विकास को निम्न घटकों में विभाजित किया गया है।
1. मौखिक भाषा विकास
2. ध्वनि जागरूकता
3. वर्ण ज्ञान
4. शब्द भण्डार
5. धाराप्रवाह पठन
6. समझ लेखन
7. स्वतन्त्र पठन।
साक्षरता विकास के प्रमुख घटकों में 'मौखिक भाषा विकास' का महत्वपूर्ण स्थान है। बगैर मौखिक भाषा विकास के अन्य भाषाई कौशलों में बच्चे का विकास सम्भव नहीं है। बच्चे में अपनी भाषा में सुनने और बोलने के कौशलों का विकास करके ही ध्वनि जागरूकता, वर्ण ज्ञान, शब्द भंडार, धाराप्रवाह पठन, समझ, लेखन एवं स्वतन्त्र पठन के कौशलों का विकास किया जा सकता है।
मौखिक चर्चाओं द्वारा बच्चों के सोचने समझने एवं अभिव्यक्त करने की क्षमता बेहतर होती है। वे सुनी गई बात को अपने अनुभवों से जोड़ते हैं। विश्लेषण और तर्क-वितर्क करते हैं। नए शब्द सीखते, कल्पना को शब्दों में ढालते हैं जिससे बच्चे अपनी सोच को और विस्तारित रूप देते हैं। विभिन्न शोध हमें बताते हैं कि जिन बच्चों के साथ उच्च स्तरीय मौखिक चर्चाएँ होती हैं उनमें पढ़कर समझने और लेखन द्वारा बेहतर अभिव्यक्त कर पाने की क्षमता भी बेहतर होती है। भाषा के यही कौशल पढ़कर समझने की भी बुनियाद हैं। यदि बच्चे की घर की भाषा विद्यालय की भाषा से अलग होती है तब बच्चे को विद्यालय की भाषा में सहज करने के लिए मौखिक भाषा विकास की गतिविधियाँ करनी मौलिक विश्लेषण के घटक और भी ज़रूरी हो जाती हैं। विद्यालय की औपचारिक भाषा का मौखिक अभ्यास उसे शिक्षक व अन्य बच्चों के साथ सहज होने में मदद करता हैं। बच्चों के साथ मौखिक चर्चा के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ हैं।
1. वार्तालाप - चित्र या चित्र कथा (Picture Story) पर मौखिक चर्चा -
बच्चों को चित्र दिखाकर अनुमान लगाने के लिए कहा जाता है कि चित्र में क्या-क्या है और क्या हो रहा है? चित्रों में से चीजें ढूँढने के लिए कहा जाता है। यदि एक से अधिक घटना वाले चित्र हैं तो बच्चों से चर्चा कर घटना के क्रम को समझकर और कहानी बनवाना होता है। अन्त में बच्चों से चर्चा की जाती है कि इन चित्रों से क्या कहानी बन पा रही है।
2. अनुभव या विषय पर चर्चा -
किसी विषय पर बातचीत करते समय बच्चों को प्रश्नों के माध्यम से अलग-अलग तरह से सोचने और अभिव्यक्त करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके लिए आवश्यक है कि बच्चों से खुले छोर वाले प्रश्न पूछे जाते हैं। जैसे उस विषय के बारे में क्या जानकारी मौलिक विश्लेषण के घटक मौलिक विश्लेषण के घटक है? उसका उपयोग, फायदे और नुकसान क्या हैं आदि। बच्चों के द्वारा दिए गए उत्तर पर चर्चा की जाती है और ज़रूरी प्रश्न पूछे जाते हैं।
3. खेल के माध्यम मौलिक विश्लेषण के घटक से चर्चा -
बच्चों के साथ जिस दिवस को जो खेल करना हो उससे संबंधित यदि कोई सामग्री की ज़रुरत हो तो उसे पहले ही बना लिया जाता है। खेल में दिए गए निर्देश के अनुसार खेल को प्रारंभ करते हैं। यदि खेल से संबंधित कोई चर्चा की आवश्यकता हो तो उस पर चर्चा की जाती है। विशेष तौर से भाग-दौड़ वाले खेलों में बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है।
4. कहानी सुनाना और मौखिक चर्चा -
कहानी सुनाना और उस पर चर्चा करने से बच्चों के शब्द भण्डार में वृद्धि होती है। बच्चों में सुनकर समझने का कौशल और उच्च स्तरीय चिन्तन कौशल बढ़ता है। इसके अलावा बच्चे कहानी सुनकर अपने अनुभवों के बारे में बातचीत कर पाते हैं। कहानी के घटना, पात्रों से स्वयं को जोड़ पाते हैं और अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर पाते हैं।
5. कविता के माध्यम से मौखिक चर्चा -
कविता कराने से पहले उससे सम्बन्धित चर्चा कर उन्हें बच्चों के पूर्व अनुभवों से जोड़ें। गतिविधि के दौरान कविता को हावभाव और रोचक तरीके से बच्चों को सुनाया जाता है। कविता की एक पंक्ति पढ़कर बच्चों को दोहराने के लिए कहा जाता है। इसके बाद कविता को बच्चों के जीवन से, उनके आसपास घटित घटनाओं के अनुभवों से जोड़ते हुए चर्चा की जाती है।
6. कल्पनात्मक चर्चा -
बच्चों से कल्पनात्मक विषय पर चर्चा करने से बच्चों में कल्पना करने की क्षमता का विकास होता है। बच्चे अपनी दुनिया से हट कर दूसरी काल्पनिक दुनिया का सफ़र करते हैं, आनन्द लेते हैं आदि। विभिन्न विषयों जैसे- अगर पेड़ भी चलते होते? अगर हमारे पंख होते आदि विषयों पर बातचीत कर सकते हैं।
उपरोक्त गतिविधियों के अलावा बच्चों के साथ अन्य खेल एवं गतिविधियाँ की जा सकती है जिससे उनकी मौखिक भाषा का विकास होता है।
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com
मौखिक भाषा विकास क्या है? (साक्षरता घटक) || मौखिक भाषा विकास हेतु गतिविधियाँ || Oral language development
कक्षा 1 व 2 में बच्चे बेहतर ढंग से तथा समग्रता में पढ़ना लिखना सीख सकें इस हेतु साक्षरता विकास को निम्न घटकों में विभाजित किया गया है।
1. मौखिक भाषा विकास
2. ध्वनि जागरूकता
3. वर्ण ज्ञान
4. शब्द भण्डार
5. धाराप्रवाह पठन
6. समझ लेखन
7. स्वतन्त्र पठन।
साक्षरता विकास के प्रमुख घटकों में 'मौखिक भाषा विकास' का महत्वपूर्ण स्थान है। बगैर मौखिक भाषा विकास के अन्य भाषाई कौशलों में बच्चे का विकास सम्भव नहीं है। बच्चे में अपनी भाषा में सुनने और बोलने के कौशलों का विकास करके ही ध्वनि जागरूकता, वर्ण ज्ञान, शब्द भंडार, धाराप्रवाह पठन, समझ, लेखन एवं स्वतन्त्र पठन के कौशलों का विकास किया जा सकता है।
मौखिक चर्चाओं द्वारा बच्चों के सोचने समझने एवं अभिव्यक्त करने की क्षमता बेहतर होती है। वे सुनी गई बात को अपने अनुभवों से जोड़ते हैं। विश्लेषण और तर्क-वितर्क करते हैं। नए शब्द सीखते, कल्पना को शब्दों में ढालते हैं जिससे बच्चे अपनी सोच को और विस्तारित रूप देते हैं। विभिन्न शोध हमें बताते हैं कि जिन बच्चों के साथ उच्च स्तरीय मौखिक चर्चाएँ होती हैं उनमें पढ़कर समझने और लेखन द्वारा बेहतर अभिव्यक्त कर पाने की क्षमता भी बेहतर होती है। भाषा के यही कौशल पढ़कर समझने की भी बुनियाद हैं। यदि बच्चे की घर की भाषा विद्यालय की भाषा से अलग होती है तब बच्चे को विद्यालय की भाषा में सहज करने के लिए मौखिक भाषा विकास की गतिविधियाँ करनी और भी ज़रूरी हो जाती हैं। विद्यालय की औपचारिक भाषा का मौखिक अभ्यास उसे शिक्षक व अन्य बच्चों के साथ सहज होने में मदद करता हैं। बच्चों के साथ मौखिक चर्चा के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ हैं।
1. वार्तालाप - चित्र या चित्र कथा (Picture Story) पर मौखिक चर्चा -
बच्चों मौलिक विश्लेषण के घटक को चित्र दिखाकर अनुमान लगाने के लिए कहा जाता है कि चित्र में क्या-क्या है और क्या हो रहा है? चित्रों में से चीजें ढूँढने के लिए कहा जाता मौलिक विश्लेषण के घटक है। यदि एक से अधिक घटना वाले चित्र हैं तो बच्चों से चर्चा कर घटना के क्रम को समझकर और कहानी बनवाना होता है। अन्त में बच्चों से चर्चा की जाती है कि इन चित्रों से क्या कहानी बन पा रही है।
2. अनुभव या विषय पर चर्चा -
किसी विषय पर बातचीत करते समय बच्चों को प्रश्नों के माध्यम से अलग-अलग तरह से सोचने और अभिव्यक्त करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके लिए आवश्यक है कि बच्चों से खुले छोर वाले प्रश्न पूछे जाते हैं। जैसे उस विषय के बारे में क्या जानकारी है? उसका उपयोग, फायदे और नुकसान क्या हैं आदि। बच्चों के द्वारा दिए गए उत्तर पर चर्चा की जाती है और ज़रूरी प्रश्न पूछे जाते हैं।
3. खेल के माध्यम से चर्चा -
बच्चों के साथ जिस दिवस को जो खेल करना हो उससे संबंधित यदि कोई सामग्री की ज़रुरत हो तो उसे पहले ही बना लिया जाता है। खेल में दिए गए निर्देश के अनुसार खेल को प्रारंभ करते हैं। यदि खेल से संबंधित कोई चर्चा की आवश्यकता हो तो उस पर चर्चा की जाती है। विशेष तौर से भाग-दौड़ वाले खेलों में बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है।
4. कहानी सुनाना और मौखिक चर्चा -
कहानी सुनाना और उस पर चर्चा करने से बच्चों के शब्द भण्डार में वृद्धि होती है। बच्चों में सुनकर समझने का कौशल और उच्च स्तरीय चिन्तन कौशल बढ़ता है। इसके अलावा बच्चे कहानी सुनकर अपने अनुभवों के बारे में बातचीत कर पाते हैं। कहानी के घटना, पात्रों से स्वयं को जोड़ पाते हैं और अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर पाते हैं।
5. कविता के माध्यम से मौखिक चर्चा -
कविता कराने से पहले उससे सम्बन्धित चर्चा कर उन्हें बच्चों के पूर्व अनुभवों से जोड़ें। गतिविधि के दौरान कविता को हावभाव और रोचक तरीके से बच्चों को सुनाया जाता है। कविता की एक पंक्ति पढ़कर बच्चों को दोहराने के लिए कहा जाता है। इसके बाद कविता को बच्चों के जीवन से, उनके आसपास घटित घटनाओं के अनुभवों से जोड़ते हुए चर्चा की जाती है।
6. कल्पनात्मक चर्चा -
बच्चों से कल्पनात्मक विषय पर चर्चा करने से बच्चों में कल्पना करने की मौलिक विश्लेषण के घटक क्षमता का विकास होता है। बच्चे अपनी दुनिया से हट कर दूसरी काल्पनिक दुनिया का सफ़र करते हैं, आनन्द लेते हैं आदि। विभिन्न विषयों जैसे- अगर पेड़ भी चलते होते? अगर हमारे पंख होते आदि विषयों पर बातचीत कर सकते हैं।
उपरोक्त गतिविधियों के अलावा बच्चों के साथ अन्य खेल एवं गतिविधियाँ की जा सकती है जिससे उनकी मौखिक मौलिक विश्लेषण के घटक भाषा का विकास होता है।
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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