मृत्यु आती है करीब तो मिलने लगते हैं ऐसे संकेत | NBT Life
जीवन का सबसे बड़ा सत्य मृत्यु है। जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी अवश्य होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मृत्यु से पहले कुछ ऐसे संकेत हैं जो व्यक्ति को मिलने लग जाते हैं, जी हां दोस्तों लिंग पुराण में इन्हीं संकेतों के बारे में विस्तार से बताया गया है और इन्हीं संकेतों में से कुछ के बारे में आज हम आपको अपने इस वीडियो में जानकारी देंगे।
Indicators क्या होते है?
और इस तरह टेक्निकल एनालिसिस में इंडीकेटर्स यानि संकेतक का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, ताकि चार्ट पर किसी स्टॉक के बारे में ऐसे संकेत देखे जा सके, जिस से ये पता चल सके स्टॉक के past performance के मुकाबले आज कैसा performance है, और future में कैसे performance कैसा हो सकता है,
Indicators कितने होते है,
इंडीकेटर्स की कोई निश्चित संख्या नहीं है, ट्रेडर्स को को जब कुछ नए पैटर्न समझ में आते है, इसी नए पैटर्न को वे एक इंडीकेटर्स मान कर उसे एक इंडीकेटर्स का नाम दे देते है,
और इसी कारण बहुत सारे नए इंडीकेटर्स बनते जाते है, और किसी एक इन्सान के लिए सारे इंडीकेटर्स को समझना बहुत बड़ा काम बन जाता है,
कोई व्यक्ति सारे इंडीकेटर्स के बारे में समझने की कोशिश करे तो उसका बहुत ज्यादा समय भी ख़राब हो सकता है, लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया और अंत में उसे कुछ लोकप्रिय इंडीकेटर्स पर ही वापस आना पड़ेगा,
इसलिए हमें उन्ही इंडीकेटर्स को समझने की जरुरत है, जो समय के साथ जांचे और परखे (लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया Time Tasted) गए है, ताकि हम भी उन इंडीकेटर्स के सही इस्तेमाल करके फायदा उठा सके,
Indicators के फायदे (Benefits of using Indicators)
इंडीकेटर्स के इस्तेमाल करने से ट्रेडर को होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार है –
- Price Movementकी समझ – इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हमें किसी स्टॉक के price में होने वाले बदलाव (movement) को अच्छे से समझने बहुत हेल्प मिलता है,
- Price के UP और LOW लेवल की सुचना – इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हमें किसी स्टॉक के PRICE के ऊपर और नीचे जाने के लेवल को अच्छे से समझने में बहुत हेल्प मिलता है,
- TREND की ADVANCE में समझ – इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हमें मार्केट के ट्रेंड का कन्फर्मेशन मिलने के साथ आगे आने वाले ट्रेंड को भी समझने में बहुत हेल्प मिलता है, यानी इंडीकेटर्स से CURRENT TREND की कन्फर्मेशन मिलने के साथ आने वाले TREND को भी समझा जा सकता है,
- Confirming Other Technical Tools – इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हमें technical analysis के दुसरे tools जैसे कि – कैंडलस्टिक पैटर्न, volume और सपोर्ट and रेजिस्टेंस द्वारा दिए जाने वाले signal को भी हम कन्फर्म कर सकते है , और इस से हमें double कन्फर्मेशन मिलता है कि हमें कोई ट्रेड करना चाहिए या नहीं,
और इस तरह इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हम बेहतर ट्रेड ले सकते है,
इंडीकेटर्स के प्रकार (Type of Indicators)
Indicators दो प्रकार के लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया होते है –
- Leading Indicators (लीडिंग इंडीकेटर्स )
- Lagging Indicators (लैगिंग इंडीकेटर्स)
अब आइये इसे डिटेल में समझने की कोशिस करते है –
1 . Leading Indicators (लीडिंग इंडीकेटर्स)
हिंदी में Lead का का अर्थ होता है – नेतृत्व, और इस तरह लीडिंग इंडीकेटर्स ऐसे इंडीकेटर्स होते है, जो price को लीड करते है,
और ये leading इंडीकेटर्स हमें किसी स्टॉक के भाव में आने वाले तेजी या मंदी (Trend Reversal) की एडवांस सुचना देते है, लेकिन लीडिंग इंडीकेटर्स द्वारा दिए जाने वाले सभी इंडिकेशन यानि signal सही नहीं होते है, और इसलिए हमें पूरी तरह से इंडीकेटर्स के ऊपर भरोसा नहीं करना चाहिए,
लीडिंग इंडीकेटर्स के इस्तेमाल के साथ साथ हमें टेक्निकल एनालिसिस के दुसरे tools को जरुर इस्तेमाल में लेना चाहिए,
Leading Indicators में आने वाले कुछ प्रमुख इंडीकेटर्स है –
- RSI (Relative Strength Index )
- MACD (Moving Convergence and Divergence)
- Lagging Indicators (लैगिंग इंडीकेटर्स)
हिंदी में Lagging का का अर्थ होता है – पिछड़ना, पीछे चलना, और इस तरह lagging इंडीकेटर्स ऐसे इंडीकेटर्स होते है, जो price के पीछे चलते है,
Lagging इंडीकेटर्स मार्केट में चल रहे ट्रेंड को कन्फर्म करने का काम अच्छे से करते है,
और इस तरह ये कहा जा सकता है कि Lagging indicators हमें ट्रेंड के बारे में तब बताता है, जब ट्रेंड आलरेडी मार्केट में बन चूका होता है, ये बस उस ट्रेंड को कन्फर्म करने का काम करता है,
चाहे बुलिश ट्रेंड हो या bearish ट्रेंड Lagging इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हमें ट्रेंड के रेवेर्सल का कन्फर्मेशन मिलता है, कि ये ट्रेंड बन चूका लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया है,
Lagging Indicators में आने वाले कुछ प्रमुख इंडीकेटर्स है –
Leading Indicators और Oscillators (ओसिलेटर)
सभी Leading indicators को oscillators कहा जाता है, oscillators का अर्थ है – एक सीमा (Boundary) के अन्दर Price ऊपर या नीचे होना, इस ऊपर या नीचे के रेंज को हम oscillation range कहा जाता है,
और इस तरह Leading Indicators को टेक्निकल एनालिसिस के चार्ट में दो वैल्यू (oscillation range) के बीच दिखाया जाता है, जैसे – 0 से 100 के बीच का वैल्यू
और सबसे प्रमुख लीडिंग इंडीकेटर RSI (Relative Strength Index ) इसका सबसे अच्छा example है, RSI को हमेशा 0 से 100 के बीच दिखाया जाता है, ये न तो 0 से नीचे जा सकता है और न 100 से ऊपर,
Momentum (Use in Indicators)
Momentum किसी स्टॉक के price में होने वाले Change का प्रतिशत (Rate) होता है, Momentum ये बताने की कोशिश करता है कि किस Rate से प्राइस में बदलाव हो रहा है,
जैसे – अगर किसी स्टॉक का price एक week में 15 % change हो रहा है, तो इस change को fast momentum कहा जा सकता है,
और इस change के मुकाबले अगर किसी दुसरे स्टॉक में 2 महीने में 15 % price change हो रहा, लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया तो उसे slow momentum कहा जायेगा,
ध्यान देने वाली बात ये है कि – किसी स्टॉक में जितना जल्दी price change देखने को मिलता है, तो इस change को उतना अधिक momentum माना जाता है,
आशा करता हु कि TECHNICAL ANALYSSIS के ये टॉपिक, आपको जरुर पसंद आया होगा, और आपसे REQUEST कि आप अपने सुझाव, लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया सवाल और कमेंट को निचे जरुर लिखिए,
पावर फैक्टर क्या है? ( What is power factor ? ) || TYPE OF POWER FACTOR || POWER FACTOR UNIT
वोल्टेज और करंट की वेवफॉर्म में आये अन्तर को ही पावर फैक्टर (Cos θ) कहते है।
पॉवर फैक्टर को समझने के लिए पहले यह समझते है की करंट और वोल्टेज की वेव क्या है?
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Power Factor खराब होने का कारण सिर्फ करंट और वोल्टेज के वेव में अंतर होता है| जब यह करंट ओर वोल्टेज दोनो की Waveform एक साथ न चलके आगे पीछे हो जाती है| तो इससे पॉवर फैक्टर ख़राब होता है| जितना ज्यादा वेव में अंतर होगा पॉवर फैक्टर उतना ही खराब होगा| यह बदलाव हमारे घर में या इंडस्ट्रीज़ में अलग अलग प्रकार के लोड के कारण होता है|
power factor
जब WAVE FORM एक साथ चलना स्टार्ट होती है और एक साथ ख़त्म हो जाती है| तो इसका मतलब हमारा पावर फैक्टर सही है| इसे Unity Power Factor कहते है|
यदि करंट और वोल्टेज की WAVE एक साथ शूरू होती है और अलग अलग समय में ख़त्म होती है| तो पॉवर फैक्टर ख़राब होता है| इसे CAPACITOR लगाकर सही किया जा सकता है|
पॉवर फैक्टर के प्रकार
पावर फैक्टर तीन प्रकार के होते है|
1- Lagging power factor – लेग्गिंग पावर फैक्टर
2- Leading power factor – लीडिंग पावर फैक्टर
3- Unity power factor – यूनिटी पावर फैक्टर
Lagging Power factor
यह सबसे खराब पावर फैक्टर होता है, यदि करंट current का Angle, voltage के एंगल से पीछे रह जाये तो इसे Lagging power कहा जाता है।
लैगिंग पावर फैक्टर inductive Load में ज्यादा होता है। यह बड़े बड़े उद्योगों में आम घटना है क्योंकि इंडक्शन मोटर्स के कारण inductive load बढता है|
इसे capacitor को सर्किट से जोड़कर सुधारा जा सकता है|
Leading power factor
यदि current का angle, voltage के angle आगे रहता है तो पावर फैक्टर leading पावर फैक्टर कहलाता है। यह capacitive load के कारण होता है|
जब सर्किट में आवश्यकता से ज्यादा capacitor जोड़ दे तो यह समस्या आती है| इसलिए अनावश्यक कापसिटर हटाना चाहिए|
Unity power factor
यदि पावर फैक्टर जब एक होता है तब इसे यूनिटी पॉवर फैक्टर कहा जाता है| leading और lagging इसी पॉवर फैक्टर के उपर निचे की स्थिति होती है|
जब लोड में Load पूर्ण रूप लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया registance होता है तब पावर फैक्टर 1 (unity) होता है।
क्या पॉवर फैक्टर एक से अधिक हो सकता है?
जैसे की हम जानते हैं कि पावर फैक्टर Current और voltage के बीच का Cosine Angle है। Cosine कभी भी एक से ज्यादा नहीं हो सकता।
किजुन लाइन (बेस लाइन)
किजुन रेखा, जिसे बेस लाइन या किजुन-सेन भी कहा जाता है, पांच घटकों में से एक है जो इचिमोकू क्लाउड संकेतक बनाती है। जब वे पार करते हैं तो व्यापार संकेतों को उत्पन्न करने के लिए किजुन लाइन का उपयोग आम तौर पर रूपांतरण लाइन (तेनकान-सेन) के साथ किया जाता है । इन संकेतों को इचिमोकू संकेतक के अन्य घटकों के माध्यम से आगे फ़िल्टर किया जा सकता है।
किजुन रेखा पिछले 26 अवधियों में उच्च और निम्न मूल्य का मध्य बिंदु है।
चाबी छीन लेना
- जब कीमत किजुन रेखा से ऊपर होती है तो यह इंगित करता है कि हाल की कीमत गति ऊपर की ओर है। जब कीमत किजुन लाइन से नीचे है, तो हाल की कीमत में गिरावट है।
- किजुन रेखा और तेनकान लाइन का उपयोग व्यापार संकेतों को उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
- बेस लाइन पिछले 26-अवधि का मध्य बिंदु मूल्य है।
- किजुन रेखा इचिमोकू संकेतक के पांच घटकों में से एक है।
किजुन रेखा (बेस लाइन) के लिए सूत्र है
किजुन रेखा (बेस लाइन) की गणना कैसे करें
- पिछले 26 अवधियों से उच्चतम मूल्य ज्ञात कीजिए।
- पिछले 26 अवधियों में सबसे कम कीमत ज्ञात कीजिए।
- उच्च और निम्न को मिलाएं, फिर दो से विभाजित करें।
- प्रत्येक अवधि समाप्त होने के बाद गणना को अपडेट करें।
क्या कहती है किजून रेखा?
किजुन रेखा या बेस लाइन इचिमोकू क्लाउड संकेतक का हिस्सा है।
इचिमोकू क्लाउड एक तकनीकी संकेतक है जो सिग्नल खरीदता और बेचता है । इसके विकासकर्ता, गोइची होसोदा, ने संकेतक को “एक नज़र संतुलन चार्ट” होने के लिए डिज़ाइन किया था।
इचिमोकू क्लाउड संकेतक में कई अलग-अलग लाइनें शामिल हैं।
- तेनकान-सेन-रूपांतरण लाइन
- किजुन-सेन-बेस लाइन
- सेन्को स्पान ए-लीडिंग स्पैन ए
- सेनको स्पैन बी-लीडिंग स्पैन बी
- चिको स्पैन लैगिंग स्पैन
जबकि “क्लाउड”, लीडिंग स्पैन ए और बी से बना है, जो इकिमोकू क्लाउड इंडिकेटर की सबसे प्रमुख विशेषता है, किजुन लाइन तेनकान लाइन द्वारा पार किए जाने पर व्यापारिक संकेत उत्पन्न करती है। तेनकान रेखा 9-अवधि मूल्य मध्य-बिंदु है, इसलिए यह किन्जुन रेखा की लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया तुलना में अधिक तेज चलती है जो 26 अवधियों को देखती है।
जब टेनकान रेखा किजुन रेखा के ऊपर से गुजरती है तो यह संकेत देती है कि अल्पकालिक मूल्य गति उल्टा चल रही है, और इसे खरीद संकेत के रूप में व्याख्या किया जा सकता है।
जब टेनकान लाइन किजुन लाइन के नीचे से गुजरती है तो यह गति को नीचे की ओर स्थानांतरित कर देती है और इसकी बिक्री सिग्नल के रूप में हो सकती है।
इचिमोकू संकेतक के अन्य घटकों के संदर्भ में संकेतों को खरीदने या बेचने का उपयोग किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक व्यापारी केवल खरीद के संकेतों का व्यापार करना चाह सकता है यदि कीमत “क्लाउड” या लीडिंग स्पैन ए से ऊपर है।
जब तेनकान लाइन और किजुन लाइन आगे-पीछे हो रही हैं, तो कीमत में कमी का रुख है, या एक तड़का हुआ फैशन चल रहा है, और इसलिए क्रॉसओवर विश्वसनीय व्यापार संकेतों का उत्पादन नहीं करेंगे।
अपने आप पर, किजुन लाइन का उपयोग मूल्य गति का विश्लेषण करने के लिए भी किया जा सकता है। किजुन लाइन के ऊपर की कीमत के साथ, इसका मतलब है कि कीमत 26-अवधि के मध्य बिंदु से ऊपर है और इसलिए इसमें ऊपर की ओर पूर्वाग्रह है। यदि कीमत किजुन रेखा से नीचे है, तो यह मध्य-बिंदु मूल्य से नीचे है, और इसलिए नीचे की ओर पूर्वाग्रह है।
एक किजुन रेखा का उदाहरण
निम्नलिखित चार्ट एसपीडीआर एसएंडपी 500 ईटीएफ ( एसपीवाई ) पर लागू एक इचिमोकू क्लाउड संकेतक का एक उदाहरण दिखाता है ।
ऊपर दिए गए चार्ट में, किजुन रेखा लाल है और तेनकान रेखा नीली है। एक संक्षिप्त बिक्री के बाद, तेनकन 2016 की शुरुआत में किजुन से ऊपर चला गया। यह संभावित खरीद संकेत था। 2018 तक दोनों लाइनें फिर से पार नहीं हुईं, जो कि बेचने के संकेत प्रदान करतीं। अधिकांश समय के लिए, कीमत किजुन लाइन और “क्लाउड” से ऊपर रही, जिससे अपट्रेंड की पुष्टि हुई ।
किजुन रेखा और एक चलती औसत के बीच अंतर
किजुन रेखा एक चलती हुई मध्य-बिंदु है, जो एक निर्धारित अवधि में उच्च और निम्न पर आधारित है। इसकी गणना उच्च और निम्न को जोड़कर और दो से विभाजित करके की जाती है। एक चलती औसत (एमए) अलग है। यह समयावधि की समयावधि के समापन मूल्यों को बताता है और फिर उस अवधियों को विभाजित करता है। 26-अवधि कीजुन लाइन और 26-अवधि एमए विभिन्न मूल्यों का उत्पादन करेंगे, और इसलिए व्यापारियों को अलग-अलग जानकारी प्रदान करते हैं।
Kijun लाइन का उपयोग करने की सीमाएं
जब तक बहुत मजबूत प्रवृत्ति नहीं है, किजुन लाइन अक्सर कीमत के पास दिखाई देगी। जब किजुन लाइन अक्सर अंतर-रेखा या कीमत के पास होती है, तो यह प्रवृत्ति दिशा का आकलन करने में मदद करने के लिए उतना उपयोगी नहीं है।
वही तेनकन लाइन के साथ क्रॉसओवर के लिए जाता है। जब कीमत दृढ़ता से बढ़ती है, तो क्रॉसओवर सिग्नल काफी लाभदायक हो सकते हैं। यदि क्रॉसओवर के बाद मूल्य प्रवृत्ति में विफल रहता है, तो कई क्रॉसओवर सिग्नल अप्रभावी होंगे।
किजुन रेखा प्रतिक्रियावादी है, जिसमें लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया यह पता चलता है कि अतीत में क्या कीमत हुई है। संकेतक की गणना में निहित कोई भविष्य कहनेवाला गुण नहीं हैं।
किजुन रेखा को आदर्श रूप से इचिमोकू क्लाउड संकेतक के अन्य तत्वों के साथ-साथ मूल्य कार्रवाई और अन्य तकनीकी संकेतकों के साथ संयोजन में उपयोग किया जाना चाहिए ।
अंगों के फड़कने से मिलते हैं भविष्य के संकेत, ये हैं शुभ-अशुभ विचार
अंगों के स्फुरण के संबंध में एक विचारणीय बिंदू सामने आता है कि आज के इस इंटरनैट युग में क्या अपनी इन पुरानी बातों को महत्व देंगे। यह तो अपनी-अपनी सोच पर निर्भर करता है किंतु यदि छोटी-छोटी बातों और पुरानी मान्यताओं तथा परम्पराओं की गहराई में जाकर उनका अध्ययन करके समझा जाए तो कहीं न कहीं वैज्ञानिक तथ्य भी प्राप्त हो जाएंगे।
अंग स्फुरणों के फल प्राप्ति के संबंध में कभी-कभी तो फल शीघ्र ही प्राप्त हो जाते हैं लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया किंतु कभी-कभी देर से प्राप्त होते हैं लेकिन यह सत्य है कि प्रत्येक स्फुरण एक सौर मास के अंतर्गत अपने फल को अवश्य ही प्राप्त कर लेता है। अंगों में लगातार स्फुरण ही लाभदायी व फलदायक होता है। क्षणिक स्फुरण का फल बहुत कम प्राप्त होता है।
स्त्रियों के बाएं अंगों का तथा पुरुषों के दक्षिणांगों (दाएं) का फड़कना शुभ माना गया है। अत: उपयुक्त फलितांतर्गत जो भाग दाएं-बाएं में योग्य विभाजित किए जा सकते हैं उनके फल को भी तदनुसार ही समझना चाहिए। जिन भागों में योग्य विभाजन संभव नहीं है उनके फलित स्त्री पुरुष दोनों में समान होंगे।
* सिर का बायां भाग फड़के तो मनुष्य यात्रा करेगा। दायां भाग फड़के तो धन की प्राप्ति होती है।
* दोनों नेत्र साथ फड़कें तो मित्र या बिछुड़े से मिलन व बाईं आंख नाक की ओर से फड़के तो पुत्री प्राप्ति या शुभ कार्य होंगे।
* मूंछ का दायां भाग फड़के तो विजय होती है तथा बायां भाग फड़कने पर झगड़ा होता है।
* कंठ के फड़कने पर आभूषणों की प्राप्ति हो सकती है।
* ऊपरी पीठ फड़कने पर धन मिलता है।
* पेट का ऊपरी भाग फड़के तो हानिकारक व नीचे का भाग फड़कने पर अच्छा सूचक माना जाता है।
* दायां घुटना फड़के तो स्वर्ण की प्राप्ति होती है।
* यदि किसी व्यक्ति के कंधे अथवा कंठ में स्फुरण हो तो व्यक्ति के भोग विलास के साधनों में वृद्धि होगी। ऐसे धन प्राप्ति की आशा भी होती है जिसके पाने की कोई आशा ही न हो।
* वक्ष स्फुरण यदि हो तो विजय प्राप्त होती है। शत्रु नाश होता है, मुकद्दमों में भी विजय श्री मिलती है। बार-बार जिस कार्य में असफलता मिली हो, उसमें भी सफलता प्राप्त होती है।
* कटि स्फुरण से आमोद-प्रमोद में वृद्धि होती है।
* हृदय स्फुरण से मनोवांछित सिद्धि प्राप्त होती है।
* गुदा स्फुरण से वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
* आंत अथवा आमाशय स्फुरण से रोग मुक्ति की सूचना मिलती है।
* पीठ का लगातार स्फुरण आगामी समय में किसी संकट की सूचना देता है।
* भुजाओं के फड़कने से मधुर भोजन व धन प्राप्ति की सूचना मिलती है। कहा भी गया है कि यदि किसी कंगाल की भुजा 15 दिनों तक फड़के तो वह करोड़पति हो जाता है।
* पाद तलों (पैरों की तली) से यदि स्फुरण हो तो अनायास ही मान प्रतिष्ठा लीडिंग और लैगिंग संकेतक समझाया मिलती है।
* नासिका, कटिपाश्र्व, लिंग, अधर, कपोल तथा जंघा में किसी भी भाग के स्फुरित होने पर प्रीतिसुख (प्रेम) प्राप्त होता है अर्थात प्रिय मिलन या किसी ऐसे नजदीकी व्यक्ति से मुलाकात होगी जिसके मिलन से सुख प्राप्त होगा।
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