म्यूचुअल फंड उद्योग ने अक्तूबर में चार लाख से अधिक निवेशक खाते जोड़े है। इस तरह से उद्योग के कुल फोलियो का आंकड़ा 9.37 करोड़ पर पहुंच गया है। मुख्य रूप से ऋण या बांड योजनाओं से योगदान बढ़ने से फोलियो की संख्या में इजाफा हुआ है। फोलियो व्यक्तिगत निवेशक खातों को दिया गया नंबर होता है। एक निवेशक के कई फोलियो हो सकते हैं। शेयर और शेयरों से जुड़ी बचत योजनाओं के तहत फोलियो की संख्या अक्तूबर में 30,000 बढ़कर 6.39 करोड़ हो गई।

LIC IPO से जीवन बदलने की है चाहत? निवेश से पहले जान लीजिए क्या हैं जोखिम

देश की सबसे और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी बीमा कंपनी- लाइफ इंश्यॉरेंस कॉर्पोरेशन (LIC) स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो चुकी है. इसके शेयर खरीदने के लिए 4 मई से लेकर 9 मई तक अर्जी भेजी जा सकेगी.

अब निवेशकों के बीच काफी उत्साह है, लेकिन कुछ ऐसी बातें जो निवेश करने से पहले जान लें तो जोखिम कम हो सकता है. एलआईसी के इस आईपीओ को लेकर एक्सपर्ट क्या राय रख रहे हैं, उनकी क्या सलाह है, ये जानते हैं.

LIC अपनी 3.5 फीसदी की हिस्सेदारी को बेचकर 21 हजार करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी में हैं. इसके बाद कंपनी के वैल्यूएशन को 6 लाख करोड़ के आसपास आकां जा रहा है.

एलआईसी आईपीओ के लिए प्राइस बैंड ₹902-949 प्रति इक्विटी शेयर तय किया गया है. एक लॉट में 15 इक्विटी शेयर होंगे. निवेशक कम से कम 15 इक्विटी शेयर या 1 लॉट के लिए बोली लगा सकेंगे.

LIC के बारे में जान लीजिए कुछ जरूरी जानकारी

जिस कंपनी में आप निवेश करने जा रहे हैं आपको उस कंपनी के बारे कुछ जानकारी जरूर होनी चाहिए. 1 सितंबर, 1956 को 245 निजी जीवन बीमा कंपनियों का विलय किया गया और उसका राष्ट्रीयकरण कर एलआईसी की शुरूआत हुई. उस समय कंपनी की पूंजी 5 करोड़ रुपये थी जो अब लगभग 40 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का प्रबंधन करती है.

यह दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी जीवन बीमाकर्ता और देश में सबसे बड़ी परिसंपत्ति (एसेट) प्रबंधक है. 31 दिसंबर, 2021 तक, इसकी पहुंच देश के 91% जिलों तक हैं और इसके साथ 10.30 लाख हजार एजेंट हैं.

प्रीमियम या GWP (ग्रॉस) के मामले में इसकी बाजार में हिस्सेदारी 61.6% है. न्यू बिजनेस प्रीमियम के संदर्भ में 61.4%, जारी की गई व्यक्तिगत नीतियों की संख्या के संदर्भ में 71.8% और ग्रुप पॉलिसी की संख्या के संदर्भ में 88.8% हिस्सेदारी है.

"ग्लोबल मार्केट कमजोर होने जा रहे हैं इसलिए IPO के जरिए पैसा कमाने का आइडिया अच्छा नहीं है"

Biz2Credit और Biz2X के को-फाउंडर और सीईओ रोहित अरोड़ा क्विंट हिंदी से बातचीत में कहते हैं कि, "वैश्विक बाजार कमजोर होने जा रहे हैं इसलिए आईपीओ के जरिए पैसा कमाने का आइडिया अच्छा नहीं है. निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी लिस्टिंग से तुरंत प्रॉफिट की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. कम से कम 3-5 साल का समय देना होगा. हर कोई आईपीओे में निवेश कर रहा है तो केवल इस आधार पर निवेश नहीं करना चाहिए. सुनी-सनाई बतों से बचें."

जाहिर है कि पिछले साल की तुलना में इस बार शेयर बाजार में उत्साह नहीं है. खुद एलआईसी ने ही अपने आईपीओ को लेकर कई फैसले बदले क्योंकि इस समय यूक्रेन और रूस के बीच जंग का असर भी बाजाप पर पड़ा है.

"एलआईसी के पास आईडीबीआई बैंक के अधिकतर (मेजॉरिटी) स्टेक्स हैं और आईडीबीआई बैंक के पास बाकी निजी बैंकों की तुलना में सबसे ज्यादा NPA हैं तो अगर खुद आईडीबीआई अच्छा परफॉर्म नहीं करेगी तो एलआईसी की परफॉर्मेंस पर असर पड़ेगा ही."

एक निवेशक को क्या-क्या ध्यान में रखना होता है?

अगर आप एलआईसी में निवेश कर रहे हैं या नहीं, ये एक अलग बात हैं लेकिन एक निवेशक होने के नाते कुछ बेसिक से बेसिक बातें होती हैं जिनको लेकर समझ होनी चाहिए. क्विंट हिंदी से बातचीत में सेबी रजिस्टर्ड फाइनेंशियल एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी एलआईसी के आईपीओ में निवेश को लेकर तीन बातों पर जोर देते हैं-

लॉन्ग टर्म फोकस: इक्विटी में निवेश करने वालों को बंपर फायदा हमेशा लॉन्ग टर्म में ही मिलता है. इसके जरिए कम समय में पैसा बनाने के निवेशकों के लिए कुछ जोखिम क्या हैं बारे में ज्यादा न सोचें, खासकर इस तरह की लिस्टिंग (LIC IPO) में.

कोई गारंटी नहीं: यह एक इक्विटी का शेयर है. केवल ये सोच कर निवेश ना करें कि ये 'एलआईसी'. आपका फायदा-नुकसान एलआईसी के शेयर की परफॉर्मेंस निर्धारित करते हैं.

उधार लेने से बचें: उधार लेकर निवेश करना ठीक नहीं है. एलआईसी का शेयर कहीं नहीं भाग रहे. स्टॉक मार्केट में आने के बाद भी उसे खरीदा जा सकता है. भविष्य में ऐसे कई मौके आएंंगे जब आप इसके शेयर खरीद सकेंगे वो भी कम दाम में.

म्यूचुअल फंड को मिली तीन स्तरीय सुरक्षा, निवेशकों के लिए जोखिम होगा कम

म्यूचुअल फंड को मिली तीन स्तरीय सुरक्षा, निवेशकों के लिए जोखिम होगा कम

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के निवेश को और सुरक्षित बनाने के लिए दो नए नियम लाए हैं। सेबी ने निश्चित आय वाले उत्पादों में निवेशकों के लिए सुरक्षा की एक अतिरिक्त लेयर और इक्विटी निवेशकों को अपने जोखिम की प्राथमिकता के अनुसार निवेश करने के लिए एक अतिरिक्त श्रेणी दी है। सेबी ने निश्चित आय वाले प्रतिभूतियों में तरलता जोखिम को मान्यता दी है।

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सेबी के इस कदम से निवेशकों को निवेशकों के लिए कुछ जोखिम क्या हैं अपने डेट म्यूचुअल फंड पर मिलने वाला ब्याज और जोखिम को पता लगाना आसान होगा। सेबी ने सभी ओपन-एंडेड डेट फंडों को नकदी, ट्रेजरी बिल और सरकारी प्रतिभूतियों जैसे निवेश माध्यमों में अपनी संपत्ति का 10% कम से कम निवेश करना बाध्य कर दिया है। यह बदलाव म्यूचुअल फंड निवेशकों को तीन स्तरीय सुरक्षा देने का काम करेगा। पहला तरलता जोखिमों से सुरक्षा, कैश बफर, सरकारी प्रतिभूतियों जैसे तरल संपत्ति और एएए-रेटेड प्रतिभूतियां में निवेश की सुविधा प्रदान करेगा। यह निवेशकों को किसी फंड के जोखि को आंकने की की क्षमता प्रदान करेगा। अगर कोई फंड कम-रेटेड पोर्टफोलियो रखता है तो वह अपने 10 प्रतिसत संपत्ति का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। इसके साथ ही डेट फंडों में जोखिम प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए सेबी ने सभी ओपन-एंडेड डेट फंडों को समय-समय पर जोखिम परीक्षण करने की आवश्यकता को बढ़ाया है। यह शुरू में केवल लिक्विड फंड श्रेणी के लिए अनिवार्य था। जोखिम परीक्षण का उद्देश्य किसी योजना की भेद्यता और उसके शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य को ब्याज दर जोखिम, ऋण जोखिम और तरलता और मोचन जोखिम को निर्धारित करना है।

निवेशकों के लिए कुछ जोखिम क्या हैं

शेयर बाजार और इससे जुड़ी योजनाओं में निवेश करने से पहले अपने जोखिम का आकलन जरूर कर लेना चाहिए। वित्तीय योजनाकार अक्सर इस तरह की यह सलाह देते हैं। इससे यह जानने में मदद मिलती है कि कोई निवेशक जोखिम से परहेज करता है या उसकी जोखिम उठाने की क्षमता है।
जोखिम से परहेज करने वाले लोग उस श्रेणी में आएंगे जो एक सीमा से आगे जाकर जोखिम नहीं लेते हैं भले ही मुनाफा अर्जित करने की संभावनाओं से उनको हाथ ही क्यों न धोना पड़ जाए? इससे उलट जोखिम उठाने वाले निवेशक वे होते हैं जो ऊंचे प्रतिफल के लिए कुछ भी जोखिम उठाने से परहेज नहीं करते हैं। जो जोखिम से बचते हैं, वे निवेश के सुरक्षित साधनों को तवज्जो देते हैं जबकि जोखिम उठाने वाले निवेशक अपने धन का हिस्सा शेयरों में लगाना चाहते हैं। कई वित्तीय वेबसाइट और वित्तीय योजनाकारों ने विभिन्न तरह की प्रश्नावली तैयार कर रखी हैं जिससे यह जानने में मदद मिलती है निवेशक किस साधन में निवेश करने को तवज्जो देंगे।
हालांकि यह तर्क दिया जा सकता है कि एक बेहतर निवेश पोर्टफोलियो बनाने के लिए श्रेणी सृजित करनी जरूरी है लेकिन कठिन दौर में यह निवेशकों के व्यवहार का पता लगा पाने में पूरी तरह सफल नहीं हो सकती है।

निवेशकों के लिए कुछ जोखिम क्या हैं

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एक्‍सपेंस रेश्‍यो जरूर देखें

म्‍यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले एक्‍सपेंस रेश्‍यो जरूर देख लें. आमतौर पर आपको लगता होगा कि अगर किसी फंड का रिटर्न 15 फीसदी या 18 फीसदी है तो आपको भी निवेश करने पर उतना ही फायदा होगा. लेकिन ऐसा नहीं होता क्‍योंकि इसके बीच एक्सपेंस रेश्यो आ जाता है. आपके म्‍यूचुअल फंड को मैनेजमेंट का जो भी खर्च आता है उसे एक्‍सपेंस रेश्‍यो कहा जाता है. किसी भी फंड का एक्सपेंस निवेशकों के लिए कुछ जोखिम क्या हैं रेश्यो ही ये तय करता है कि आपको कोई फंड कितना सस्ता मिलेगा. एक्‍सपेंस रेश्‍यो कम या ज्‍यादा होने का असर आपके रिटर्न पर भी पड़ता है.

म्‍यूचुअल फंड पर महंगाई का जोखिम भी होता है क्‍योंकि इसमें लंबे समय के लिए निवेश किया जाता है. हालांकि आपको इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि यहीं पर आपके फंड मैनेजर का अनुभव भी काम करता है. फंड मैनेजर फंड्स के रिटर्न को ऐसे स्तर तक बनाए रखने की कोशिश करते हैं जिससे महंगाई के असर के बाद भी मुनाफा बेहतर हो.

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