गीता चिन्तन -हनुमान प्रसाद पोद्दार पृ. 422
आपके प्रश्नों का उत्तर इस प्रकार है- (1) अन्तःकरण में जो मनन या संकल्प-विकल्प करने की वृत्ति है, उसी का नाम मन है। मन संशयात्मक होता है, उस संशय या संकल्प-विकल्प पर विचार करके किसी निश्चय पर पहुँचाने वाली जो वृत्ति है, उसे बुद्धि कहते हैं। बुद्धि विचार पूर्वक निर्णय देती है। आत्मा इन दोनों वृत्तियों का साक्षी अथवा द्रष्टा है। वह मन और बुद्धि दोनों के कार्यों को तटस्थ रहकर देखता है। उसी के सहज प्रकाश से मन, बुद्धि अपने कार्य में समर्थ होते हैं। आत्मा मन का भी मन और बुद्धि की भी बुद्धि है। यदि मन और बुद्धि को आत्मा का आश्रय न प्राप्त हो, वे सत्ता शून्य की भाँति हो जाते हैं, फिर वे कुछ नहीं कर सकते। यही इन तीनों का अन्तर है।
(2) मन जिस कार्य के लिये आज्ञा देता है, उसमें उसका कुछ राग या द्वेष अवश्य रहता है। वह प्रायः ऐसी प्रेरणाएँ देता है, जिनसे उसकी इच्छा पूर्ण हो। विषय सेवन या भोगसंग्रह की प्रेरणा मन के द्वारा ही प्राप्त होती है। वह रूप, रस, गन्ध, शब्द और स्पर्श-भोगों के प्रति आसक्त होता है, अतः उनकी ओर वह हमें आकृष्ट करना चाहता है। जीव को वह अपने पीछे चलाना चाहता है। किसी शत्रु से बदला लेने की भावना भी मनमें होती है, अतः वैसे कार्य भी उसी की पे्ररणा से होते हैं। उनमें द्वेष छिपा रहता है। राग और द्वेष ही क्रमशः काम और क्रोध के रूप में परिणत होते हैं। इन्द्रिय, मन और बुद्धि- ये ही तीनों राग-द्वेष या काम-क्रोध के निवास-स्थान हैं, अतः इनका प्रत्येक कार्य राग या द्वेष से पे्ररित होता है। आत्मा इन सबसे ऊपर है, वह जब तक मन आदि के मोह जाल में फँसकर अपने स्वरूप को भूला हुाअ है, तभी तक मन के इशारे पर चलता है। ‘मैं इन सबका स्वामी, शासक और इनसे सर्वथा विलक्षण हूँ। मै। सर्वत्र व्यापक एवं नित्य शुद्ध-बुद्ध-मुक्त स्वरूप हूँ।’-यह ज्ञान होते ही वह इन मन आदि का शासक हो जाता है; फिर तो ये ही आपके आत्मा के अनुशासन में चलते हैं। विशुद्ध आत्मा से पे्ररित होकर जो कार्य होगा, उसमें राग-द्वेष की गन्ध भी नहीं होगी। सबके प्रति मैत्री, दया, परोपकार, सेवा, भगवद्भजन, सत्संग तथा सत्कर्म आदि के भाव मन में तभी जगते हैं, जब विशुद्ध आत्मा की पे्ररणा होती है। मन, इन्द्रिय आदि जब आत्मा के अधीन होते हैं, तब इनके द्वारा कोई अशुभ कर्म नहीं होता। थोड़े में इतना समझ लें कि सद्धर्म एवं सद्भाव पूर्ण कार्यों के लिये प्रेरणा आत्मा से मिलती है और राग-द्वेष पूर्ण कार्यों की पे्ररणा मन की ओर से प्राप्त होती है।
प्रासंगिका मध्यमक सिद्धांत: भाग बुद्धि विकल्प पर काम के सिद्धांतों 4
आदरणीय सांगे खद्रो द्वारा चार बौद्ध सिद्धांत विद्यालयों पर एक पाठ्यक्रम के दौरान दी गई शिक्षाओं की एक श्रृंखला का हिस्सा श्रावस्ती अभय. पाठ्यक्रम के लिए हैंडआउट्स शामिल हैं "सिद्धांतों के चार स्कूल, उनके संस्थापक और प्रस्तावक" और "आदरणीय मंजुश्री चोकी ज्ञलत्सेन द्वारा सिद्धांतों की प्रस्तुति". वहाँ भी थे स्लाइड्स बातचीत के दौरान इस्तेमाल किया।
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खालीपन पर
- मन के बारे में मुख्य प्रासंगिका का दावा:
- प्रसंगिका निःस्वार्थता पर जोर देती है:
- स्वातंत्रिका और प्रसांगिक की तुलना विचारों खालीपन पर
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आदरणीय संगये खद्रो
कैलिफ़ोर्निया में जन्मे, आदरणीय सांगे खद्रो को 1974 में कोपन मठ में एक बौद्ध नन के रूप में नियुक्त किया गया था, और वह लंबे समय से एबी के संस्थापक वेन के मित्र और सहयोगी हैं। थुबटेन चोड्रोन। वेन। सांगे खद्रो ने 1988 में पूर्ण (भिक्षुनी) दीक्षा ग्रहण की। 1980 के दशक में फ्रांस के नालंदा मठ में अध्ययन के दौरान, उन्होंने आदरणीय चोड्रोन के साथ दोर्जे पामो ननरीरी शुरू करने में मदद की। आदरणीय सांगे खद्रो ने लामा ज़ोपा रिनपोछे, लामा येशे, परम पावन दलाई लामा, गेशे न्गवांग धारग्ये और खेंसुर जम्पा तेगचोक सहित कई महान आचार्यों के साथ बौद्ध धर्म का अध्ययन किया है। उन्होंने 1979 में पढ़ाना शुरू किया और 11 साल तक सिंगापुर के अमिताभ बौद्ध केंद्र में एक रेजिडेंट टीचर रहीं। वह 2016 से डेनमार्क के FPMT केंद्र में रेजिडेंट टीचर हैं और 2008-2015 से उन्होंने इटली के लामा त्सोंग खापा संस्थान में मास्टर्स प्रोग्राम का पालन किया। आदरणीय संग्ये खद्रो ने सबसे अधिक बिकने वाली सहित कई पुस्तकें लिखी हैं ध्यान करने के लिए कैसे , अब इसकी 17 वीं छपाई में है, जिसका आठ भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उन्होंने 2017 बुद्धि विकल्प पर काम के सिद्धांतों से श्रावस्ती अभय में पढ़ाया है और अब एक पूर्णकालिक निवासी हैं।
त्रितंत्रीय सिद्धांत के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा बुद्धि का एक प्रकार नहीं है?
DWQA Questions › Category: Questions › त्रितंत्रीय सिद्धांत के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा बुद्धि का एक प्रकार नहीं है?
(1) विश्लेषणात्मक
(2) सृजनात्मक
(3) सैध्दांतिक
(4) व्यवहारिक
Q. मुरे द्वारा प्रतिपादित “प्रासंगिक अन्तर्बोध परीक्षण” व्यक्तित्व के किस सिद्धान्त से संबंधित है ?
(A) शील गुण सिद्धान्त
(B) शील गुण प्रकार सिद्धान्त
(C) प्रकार सिद्धान्त
(D) मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त
Q. निम्नलिखित में से कौन-सी उन्मुखता कोहलबर्ग के द्वारा दिए गए नैतिक विकास सिद्धान्त के उत्तर रूढ़िगत स्तर के अन्तर्गत आती है ?
(A) दण्ड एवं आज्ञाकारिता
(B) सामाजिक अनुबंध
(C) उत्तम लड़का/अच्छी लड़की
(D) कानून और सामाजिक व्यवस्था
Q. निम्नलिखित में से कौन-सी जुंग द्वारा प्रदत्त अंतर्मुखी चिन्तन प्रकार व्यक्तित्व की विशेषता नहीं है?
(A) आत्मकेंद्रित
(B) आशावादी
(C) अपने स्वयं के बौधिक कामकाज में मगन
(D) तथ्यों के आधार पर सिद्धान्तों का साथ देने वाला
Q. उन ज्ञान अथवा कौशलों का कथन जिन्हें विद्यार्थी को अनुदेशन के बाद सीख जाना चाहिए, कहलाते हैं :
(A) विषयवस्तु विश्लेषण
(B) वैयक्तिक शिक्षा कार्यक्रम (IEP)
(C) अनुदेशनात्मक उद्देश्य
(D) सामान्य लक्ष्य
Q. निम्नलिखित बुद्धि विकल्प पर काम के सिद्धांतों में से कौन-सी किशोरावस्था की सही विशेषता नहीं है ?
(A) किशोरावस्था बाल्यावस्था और वयस्कावस्था के बीच की परिवर्ती अवस्था है।
(B) किशोरावस्था में एक अस्पष्ट वैयक्तिक स्थिति होती है।
(C) किशोरावस्था वयस्कावस्था की दहलीज होती है।
(D) किशोरावस्था वास्तविकताओं का समय होता है।
Q. एरिक्सन के अनुसार व्यक्तित्व विकास’ की पाँचवी अवस्था कौन-सी है?
(A) परिश्रम प्रियता बनाम हीनता
(B) पहचान बनाम भूमिका संभ्रांति
(C) प्रगाढ़ता बनाम विलगन
(D) उत्पादनशीलता बनाम स्थिरता
Q. निम्नलिखित में से कौन-सी प्रेरकों के मापन हेतु अप्रत्यक्ष विधि है ?
(A) वाक्य पूर्ति तकनीकी
(B) प्रश्नावली
(C) चैक लिस्ट
(D) साक्षात्कार
Q. निम्नलिखित में से कौन-सी किशोरावस्था की विशेषता नहीं है ?
(A) संवेगात्मक स्थिरता
(B) विरोधी मानसिक दशाएँ
(C) व्यवसाय की चिन्ता
(D) वीर पूजा की भावना
Q. एक अंग्रेजी के अध्यापक ने अपने विद्यार्थियों को पढ़ाते समय कैट का बहुवचन कैट्स, हाऊस का बहुवचन हाउसेस, पेन का बहुवचन पेन्स उसी क्रम में विद्यार्थी ने माउस का बहुवचन गलती से बुद्धि विकल्प पर काम के सिद्धांतों माउसेस बना दिया। यह किस प्रकार के अधिगम स्थानान्तरण का उदाहरण है ?
(A) धनात्मक अन्तरण
(B) ऋणात्मक अन्तरण
(C) शून्य अन्तरण
(D) लम्बवत अन्तरण
भाग – II / PART – II भाषा (हिन्दी एवं अंग्रेजी)
निर्देश : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए।
Q. शुद्ध वाक्य का चयन कीजिए :
(A) यह काम कोई वकील से ही हो सकता है।
(B) मैंने उनका धन्यवाद किया।
(C) कृपया दरवाजा बंद करने की कृपा करें।
(D) हम सभी में मानवीय दुर्बलताएँ हैं।
Q. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण चुनिए :
(A) पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अधिक बुद्धि विकल्प पर काम के सिद्धांतों वर्षा हुई।
(B) सब्जी में थोड़ा-सा नमक डालिए।
(C) सारा काम मुझे ही करना होगा।
(D) सारे देश आतंकवाद के खिलाफ खड़े हैं।
Q. किस विकल्प में ‘इल’ प्रत्यय का प्रयोग नहीं हुआ है ?
(A) उर्मिल
(B) मरियल
(C) फेनिल
(D) जटिल
Q. वाक्यांश के लिए एक शब्द की दृष्टि से असंगत विकल्प चुनिए :
(A) किसी कथा के अन्तर्गत आने वाली कोई दूसरी कथा – अन्तर्कथा
(B) सर्वाधिकार सम्पन्न शासक या अधिकारी – अधिनायक
(C) बिना किसी प्रयास के – आयास
(D) जिसे शाप दिया गया है – अभिशप्त
Q. वार्तनिक दृष्टि से अशुद्ध विकल्प चुनिए :
(A) मृत्योपरान्त
(B) योगिराज
(C) प्रोज्ज्वल
(D) प्रज्वलित
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कैरियर विकास के सिद्धांत
इस पाठ में, हम इस बारे में बात करेंगे कि कैरियर के विकास के सिद्धांत हमें कैसे विकल्प बनाने में मदद करते हैं जो एक कैरियर मार्ग का नेतृत्व करते हैं। कैरियर विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक व्यक्ति की कार्य पहचान बचपन से जीवन भर बनती है। हम निम्नलिखित कैरियर विकास सिद्धांतों को देख रहे होंगे: हॉलैंड के कैरियर टाइपोलॉजी सिद्धांत, सुपर के विकासात्मक आत्म-अवधारणा सिद्धांत, बंडुरा का सामाजिक-संज्ञानात्मक सिद्धांत, और जिनजबर्ग के करियर विकास का सिद्धांत।
गुण-कारक सिद्धांत
विशेषता-कारक सिद्धांतों पर जोर देना है कि व्यक्तियों के हितों, मूल्यों, व्यक्तित्व, और aptitudes सहित उनके लक्षण, विकसित करने के लिए की जरूरत है। ट्रेट-फैक्टर सिद्धांत 1900 के शुरुआती दिनों में वापस चला जाता है, और कई विचारों का आज भी उपयोग किया जा रहा है। विशेषता-कारक सिद्धांत के सबसे लोकप्रिय ऑफ-शूट में से एक जॉन हॉलैंड का कैरियर टाइपोलॉजी सिद्धांत है। उन्होंने प्रस्तावित किया कि हमें व्यक्तिगत विशेषताओं और व्यावसायिक कार्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
उनके सिद्धांत का मानना था कि व्यावसायिक पसंद यादृच्छिक नहीं है, लेकिन हमारे व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति है, और यह व्यावसायिक उपलब्धि, स्थिरता, और संतुष्टि किसी के व्यक्तित्व और नौकरी के माहौल के बीच अनुरूपता , या समझौते पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व प्रकार छह श्रेणियों में आते हैं:
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