बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने वर्चुअल एसेट्स (Virtual Assets) के ट्रांजैक्शन से हुई कमाई पर 30% टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. क्रिप्टोकरेंसी गिफ्ट करने को भी ट्रांजेक्शन माना जाएगा. मतलब अगर आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को गिफ्ट में देते हैं तब भी 30 फीसदी टैक्स की देनदारी बनेगी. गिफ्ट किए क्रिप्टोकरेंसी सिक्योर है की नहीं? जाने के मामले में उस समय की वैल्यू पर टैक्स लगेगा. इस वैल्यू को Recipient का इनकम माना जाएगा और उसे वैल्यू पर टैक्स देना होगा.

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Cryptocurrency : क्या बिटकॉइन ब्लॉकचेन में निवेश करना सही है? कितना सेफ होता है आपका पैसा?

Cryptocurrency : क्या बिटकॉइन ब्लॉकचेन में निवेश करना सही है? कितना सेफ होता है आपका पैसा?

Bitcoin Blockchain पूरी तरह से फुलप्रूफ नहीं है, लेकिन हैकिंग आसान भी नहीं है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

क्या बिटकॉइन में निवेश (bitcoin investment) करना सुरक्षित है? लोग अक्सर इसे लेकर सवाल पूछते हैं. लोगों का ये सवाल केवल बिटकॉइन के जबरदस्त उतार-चढ़ाव को लेकर ही नहीं होता बल्कि इस डिजिटल संपत्ति की सिक्योरिटी को लेकर भी होता है. साल 2009 में लॉन्च हुआ बिटकॉइन दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी है जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) पर चलती है. ये टेक्नोलॉजी अपनी बेजोड़ सुरक्षा के लिए जानी जाती है. इस टेक्नोलॉजी को इसी वजह से तेजी से अपनाया जा रहा है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है और ये कैसे काम करती है? और यह कितनी सुरक्षित है?

क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन का डेटाबेस है ब्लॉकचेन

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ब्लॉकचेन डिजिटल मनी ट्रांजैक्शन क्रिप्टोकरेंसी सिक्योर है की नहीं? के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में बिटकॉइन और इथीरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी है. यह दुनिया भर में सभी क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन का डेटाबेस है. हालांकि, इस टेक्नोलॉजी का उपयोग मेडिकल रिकॉर्ड जैसे डेटा को स्टोर करने के लिए भी किया जाता है. ये टेक्नोलॉजी एक ऐसे बहीखाते की तरह है जो डिजिटल है और हर किसी के लिए खुला हुआ है. यह ट्रांजैक्शन करने और रिकॉर्ड करने का एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म है. क्रिप्टोकरेंसी से किए गए सभी ट्रांजैक्शन यहां रिकॉर्ड किए जाते हैं और ब्लॉक पर डेटा के रूप में रखे जाते हैं. यह सारी जानकारी टाइम-स्टैम्प्ड होती है.

क्या ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी सुरक्षित है?

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी ढेर सारे ब्लॉक की एक सीरीज है जो डेटा स्टोर करती है. हर ब्लॉक में एक यूनीक़ हैश नंबर और एक लिंक होता है जो इसे पिछले ब्लॉक से जोड़ता है. हर ब्लॉक सीक्वेंस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और इसे बदला नहीं जा सकता. यदि कोई परिवर्तन होता है, तो हैश सम (hash sum) बदल जाता है और ब्लॉक वैध नहीं रह जाता. यह invariability यानी क्रिप्टोकरेंसी सिक्योर है की नहीं? न बदली जा सकने वाली क्षमता ब्लॉकचेन की सुरक्षा की एक तरह से नींव है. इसके अलावा भी सुरक्षा के इसके तीन पहलू हैं.

क्रिप्टोग्राफी

सभी ब्लॉकचेन ट्रांजैक्शन क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित हैं. प्रत्येक ब्लॉक में अनिवार्य रूप से एक यूनिक और प्राइवेट की (Key) होती है जिसे पब्लिक Key से सत्यापित किया जा सकता है. यदि ट्रांजैक्शन से संबंधित डेटा में कोई परिवर्तन होता है, तो ब्लॉक की यूनीक Key अमान्य हो जाती है. नतीजतन, ब्लॉक को चेन से हटा दिया जाता है.

डिजिटल करेंसी नहीं एसेट पर लगा है टैक्स

सबसे पहले तो ये समझिए सरकार ने जो टैक्स लगाया है वो डिजिटल एसेट या यूं कहें क्रिप्टोकरेंसी (Cyrptocurrency) जैसे बिटकॉइन पर लगा है, जो फिलहाल लीगल नहीं है. गौर करने की बात ये है कि सरकार इसे करेंसी नहीं मान रही है. तो अब भारत में डिजिटल एसेट (Cryptocurrency) से होने वाली कमाई पर 30% टैक्स लगेगा. मतलब अब अगर कोई व्यक्ति किसी डिजिटल एसेट (Digital Asset) में निवेश करके 100 रुपए का मुनाफा कमाता है, तो उसे 30 रुपए टैक्स के रूप में सरकार को देने होंगे.

क्रिप्टोकरेंसी के हर एक ट्रांजैक्शन (Transaction) पर अलग से 1% TDS (Tax deduction at source) सरकार को देना होगा. मान लीजिए, किसी ने कोई क्रिप्टोकरेंसी खरीदी हुई है. ये उसका निवेश है. मतलब उसका ये Asset हुआ. अब अगर खरीदने वाला इस एसेट को किसी और को ट्रांसफर करता है, तो उसे अलग से उस Asset की कुल कीमत पर 1% के हिसाब से TDS चुकाना होगा. TDS किसी Source पर लगाया जाता है. जैसे आपको हर महीने मिलने वाली तनख्वाह पर सरकार जो टैक्स लेती है, वो TDS होता है. कुल मिलाकर सरकार डिजिटल करेंसी को एक इनकम सोर्स मान रही है. इसकी कमाई पर 30% टैक्स भी लगा दिया गया है.

तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?

बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank of India-RBI जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर कोई आपसे कहे क्रिप्टोकरेंसी सिक्योर है की नहीं? कि ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.

वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?

आसान तरीके से समझें तो आप जो सोना खरीदते हैं या जो घर खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.

सरकार के प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.

क्रिप्टोकरेंसी में पैसे लगाने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान

क्रिप्टोकरेंसी में पैसे लगाने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम है जो ट्रांजेक्शन को वैरिफाई करने के लिए किसी भी बैंक पर निर्भर नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी को फाइनेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर में क्रांति लाने के इरादे से लॉन्च किया गया था। लेकिन, हर क्रांति के अपने फायदे और नुकसान होते हैं।

क्रिप्टोकरेंसी — क्रिप्टोग्राफी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की देन है। आज, यहां आप पढ़ेंगे क्रिप्टोकरेंसी के कुछ फायदों और इससे होने वाले नुकसान के बारे में।

क्रिप्टोकरेंसी के फायदे

क्रिप्टोकरेंसी सबसे सिक्योर करेंसी मानी जाती है, क्योंकि यह क्रिप्टोग्राफी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से मिलकर बनीं है।

क्रिप्टोकरेंसी पैसे के लिए एक नया सेंट्रलाइज्ड सिस्टम डिफाइन करती है। इस सिस्टम में ट्रांजेक्शन को वैरिफाई करने के लिए किसी भी बैंक पर निर्भर होने की जरूरत नहीं हैं। फलस्वरूप, समय और रिसॉर्स दोनों की बचत होती है।

क्रिप्टोकरेंसी किसी विश्वसनीय थर्ड पार्टी जैसे बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी की जरूरत के बगैर, दो पार्टी के बीच सीधे फंड ट्रांसफर करना आसान बनाती है।

क्योंकि यह थर्ड-पार्टी मिडिएटर का उपयोग नहीं करती है, दो ट्रांजेक्शन करने वाली पार्टियों के बीच क्रिप्टोकरेंसी ट्रांसफर, स्टैंडर्ड मनी ट्रांसफर की तुलना में ज्यादा फास्ट होते हैं।

क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्ट करने से लाभ मिल सकता है। क्रिप्टोकरेंसी मार्केट की वैल्यू पिछले एक दशक में आसमान छू गई है, एक पॉइंट पर तो यह लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई।

क्रिप्टोकरेंसी के नुकसान

क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें बेहद अस्थिर हैं। दुनिया भर में 24×7 इस पर ट्रेडिंग चलती रहती है। अक्सर, किसी भी देश में नियामक कार्रवाई की फुर्ती से कीमतों में गिरावट आ सकती है। इसी तरह, अटकलें कीमतों को बढ़ा सकती हैं।

एक पीयर-टू-पीयर सिस्टम, जो किसी को भी, कहीं भी पेमेंट भेजने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है, होने की वजह से इस पर किसी भी बैंक, या सरकार का कंट्रोल नहीं है।

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दुनियाभर में सरकारें एक मत नहीं है। कुछ देशों में सरकार ने इसे लीगल करार दे दिया है तो कहीं पर अभी भी इस पर कानून की तलवार लटकी हुई है।

मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध खरीदारी जैसी नापाक गतिविधियों के लिए क्रिप्टोकरेंसी अपराधियों के लिए एक लोकप्रिय उपकरण बन गई है। कुछ रिपोर्ट्स ने डार्क वेब पर ड्रग्स बेचने के लिए इसका इस्तेमाल किए जाने के संकेत दिए हैं। क्रिप्टोकरेंसी भी हैकर्स की पसंदीदा बन गई है जो उनका इस्तेमाल हानिकारक गतिविधियों के लिए करते हैं।

BitCoin पर सरकार का मन तैयार! क्रिप्टो करेंसी नहीं, आपकी संपत्ति होगा, समझिए सबकुछ

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भारत सरकार ने Crypto पर अलग रवैया अपनाने का फैसला किया है। भारत में क्रिप्टो करेंसी को मुद्रा के रूप में अनुमति नहीं दी जाएगी। इसका मतलब यह है कि अगर किसी के पास बिटकॉइन या इथेरियम जैसी क्रिप्टो करेंसी है तो वह उससे शेयर, गोल्ड या बॉन्ड की तरह रख सकते हैं, लेकिन उसे करेंसी की तरह पेमेंट करने में उपयोग नहीं कर सकते।

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क्रिप्टो को बढ़ावा नहीं

इस मामले से जुड़े लोगों की सरकार के साथ एक बैठक हुई है जिसमें फैसला लिया गया है कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज और ट्रेडिंग प्लेटफार्म द्वारा बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने की अनुमति नहीं मिल पाएगी। इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया है कि सरकार क्रिप्टो के मामले में एक विधेयक को अंतिम रूप देने में जुटी है।

बिटकॉइन से पेमेंट नहीं

मोदी सरकार देश में क्रिप्टो ट्रेडिंग के नियम तैयार कर रही है। भारत में सरकार वर्चुअल करेंसी के जरिए पेमेंट ट्रांजैक्शन पर रोक लगाने जा रही है। इस बारे में क्रिप्टो बिल को अंतिम रूप दिया जा रहा है।एक सरकारी सूत्र ने इस बारे में कहा, "देश में लोग गोल्ड, शेयर या बांड की तरह क्रिप्टो को संपत्ति के रूप में रख सकेंगे। इतना साफ़ है कि क्रिप्टो एक्सचेंज और ट्रेडिंग प्लेटफार्म को एक्टिव सोलिटिसेशन की अनुमति नहीं दी जाएगी।"

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