जानिए कैसे करें इक्विटी में निवेश की प्‍लानिंग (फोटो-Freepik)

Equity Market Investment : इक्विटी में निवेश पर चाहिए ज्यादा रिटर्न? अपनाएं ये 4 टिप्स

अगर आप शेयर मार्किट में निवेश इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न करने की सोच रहे हैं तो अपनाए ये कुछ जरूरी टिप्स, जो आपके निवेश को तो सुरक्षित करेगा ही साथ ही आप को दिलायेगा ज्यादा रिटर्न

Equity Market Investment : इक्विटी में निवेश पर चाहिए ज्यादा रिटर्न? अपनाएं ये 4 टिप्स

छोटी कंपनियों के शेयर्स में ज्यादा निवेश से ज्यादा बेहतर होगा, बड़ी कंपनियों में कम निवेश करना.

Equity Investment : अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो हम आज आपको कुछ ऐसे जरूरी टिप्स बताने वाले हैं. इन्हें अपनाकर आप न सिर्फ अपने निवेश को सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि बेहतरीन रिटर्न भी हासिल कर पाएंगे. आम तौर पर भारत में ज्यादातर लोग इक्विटी में निवेश करना पसंद करते हैं. क्योंकि इसमें कम निवेश पर भी बेहतरीन रिटर्न हासिल हो सकता है. हालांकि इसमें निवेश जोखिम बना रहता है. इसलिए इक्विटी में निवेश से पहले आपको इसके बारे में सभी जानकारी तो लेनी ही चाहिए, साथ ही आपको व्यवस्थित तरीके से निवेश करना चाहिए. ताकि आपके निवेश पर जोखिम कम से कम हो.

निवेशकों को इक्विटी में निवेश करते समय ये कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए.

1. कभी भी इन्वेस्टमेंट टिप्स के पीछे न भागें

हमारे देश में शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले 10 में से 9 व्यक्ति ऐसे हैं जिन्होंने किसी अन्य से मिली इन्वेस्टमेंट टिप्स को आधार बनाते हुए शेयर बाजार में निवेश शुरू किया है. ऐसे में सवाल उठता है कि शेयर मार्केट का जानकार या उसमें काम करने वाला व्यक्ति आप को ऐसी जानकारी या टिप्स क्यों देगा, जिससे उसकी जगह आप का फायदा होगा? उदाहरण के तौर पर हम देखेंगे कि कभी भी कोई सेफ (खाना बनाने वाला) अपनी रेसिपी का खुलासा नहीं करता है, तो फिर कोई आपको फायदा कराने वाली टिप्स की जानकारी क्यों देगा?. इसलिए किसी इन्वेस्टमेंट टिप्स के पीछे भागने से बेहतर होगा कि आप निवेश से पहले इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न स्कीम को लेकर थोड़ा रिसर्च जरूर करें, ताकि आप की मेहनत की कमाई बेकार न हो जाए.

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2. फंडामेंटल एनालिसिस

जहां तक रिसर्च की बात है तो हर व्यक्ति को न तो रिसर्च की तकनीक का ज्ञान है और न ही उसमें इतनी समझ है कि वो खुद से इन्वेस्टमेंट से जुड़े टेक्निकल वर्ड को सही मायनों में समझ सके. हालांकि वो पढ़ जरूर सकता है. वैश्विक स्तर पर बात की जाए तो इन्वेस्टमेंट सेक्टर में हमेशा वॉरेन बफे और चार्ली मुंगेर की मिसाल दी जाती है, जिन्होंने निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च किया और प्लान तरीके से निवेश किया. अपनी इसी रिसर्च और प्लान निवेश के दम पर इंटरनेशनल मार्केट में दोनों ने अपनी खास पहचान बनाई है.

3. पोर्टफोलियो में लाएं डायवर्सिटी

क्या आप जाने हैं कि एक ही स्टॉक या सेक्टर में निवेश करना आप के लिए बड़ा जोखिमभरा साबित हो सकता है. इसलिए आप को निवेश करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि आप अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों में थोड़ा-थोड़ा निवेश करें, ताकि अगर एक सेक्टर या एक स्टॉक में कोई दिक्कत आती है तो आप की सारी रकम एक साथ न डूब जाएये. यही वजह है कि निवेशकों को अपने निवेश पोर्टपोलियों में विविधता लाने की सलाह दी जाती है.

4. जोखिमों के बारे में रखें जानकारी

स्टॉक में निवेश करने वाले निवेशकों को ये पता होता है कि उसे कब शेयर खरीदना और बेचना है. आम तौर पर 20 से 30 फीसदी के लाभ पर शेयर होल्डर्स अपने शेयर को बेच देते हैं, लेकिन मंदी के दौर में निवेशकों को इसे लेकर बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत होती है. क्योंकि कई बार लोग सोचते हैं कि मंदी के समय इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न में सस्ते शेयर लेकर इन्हें बाद में प्रॉफिट के साथ बेच देंगे. तो ये सोच कभी-कभी निवेशक के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकती है.

इक्विटी में निवेश की है प्‍लानिंग, इन तरीकों से पा सकते हैं बेहतर रिटर्न; जानिए डिटेल

Stock Investment Planning: अगर आप भी इक्विटी निवेश की प्‍लानिंग कर रहे हैं तो कुछ तरीकों से आप अपने इक्विटी निवेश पर अच्‍छा मुनाफा कमा सकते हैं।

इक्विटी में निवेश की है प्‍लानिंग, इन तरीकों से पा सकते हैं बेहतर रिटर्न; जानिए डिटेल

जानिए कैसे करें इक्विटी में निवेश की प्‍लानिंग (फोटो-Freepik)

भविष्‍य की चिंताओं और पैसे की जरूरत को लेकर लोग तरह-तरह इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न के निवेश की प्‍लानिंग करते हैं। कोई सरकारी योजनाओं में पैसा निवेश करता है तो वही कोई शेयर मार्केट में पैसा लगाता है। साथ ही इक्विटी निवेश की भी तैयारी लोगों की ओर से की जाती है। अगर आप भी इक्विटी निवेश की प्‍लानिंग कर रहे हैं तो कुछ तरीकों से आप अपने इक्विटी निवेश पर अच्‍छा मुनाफा कमा सकते हैं।

फंड की अनिश्चितता

निवेश करने पर भविष्‍य में बेहतर रिटर्न मिलता है, इस कारण मुनाफे का एक अनुमान लगाया जा सकता है। खासकर इक्विटी फंड में निवेश की निश्चितता नहीं है। इसलिए सलाह दी जाती है कि बेहतर इक्विटी फंड का चयन करके ही निवेश करना चाहिए।

एक अच्‍छा प्रॉसेस

उन प्रॉसेस पर आपको विशेष ध्‍यान देना चाहिए, जिन्हें आप इक्विटी फंड चुनने के लिए अपनाते हैं। वह समय बिंदु जिस पर आप निवेश करते हैं और वह अवधि जिसके लिए आप निवेश करते हैं। आप एक अच्छे प्रॉसेस का उपयोग करके अपने निवेश को उच्च जोखिम से बचा सकते हैं और निवेश पर मार्केट लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।

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ऐतिहासिक रिटर्न

ऐतिहासिक रिटर्न को देखना सबसे आसान काम है। जब इक्विटी की बात आती है, तो रिटर्न बहुत अस्थिर हो सकता है। आप ऐसे फंड का चयन करें, जो मार्केट में अच्‍छा वैल्‍यू रखता हो और जिसपर आपको अच्‍छा रिटर्न मिलने का अनुमान हो। हालाकि इसके बारे में आपको अच्‍छे से जानकारी ले लेना चाहिए।

ज्‍यादा फंड रखना

यदि आप अपने निवेश में विविधता लाते हैं तो आपके पास इक्विटी शेयरों का एक समूह होगा। आप जितना अधिक निवेश करते हैं, आपको उतना ही अधिक मुनाफा मिलने की उम्‍मीद होती है।

लंबी अवधि के लिए एसआईपी का चयन

अगर आप एक समय में बहुत अधिक पैसा लगाए बिना लगातार निवेश करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि यह बाजार चक्रों में लंबी अवधि के लिए निवेशित रहता है, तो आपका रिटर्न लंबी अवधि के औसत के करीब होने की संभावना है। ऐसे निवेश के लिए एसआईपी का उपयोग इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न करके हासिल किया जा सकता है।

लंबे समय तक टिके रहना

अगर आपका इक्विटी शेयर मजबूत है और आगे रिटर्न मिलने के चांस अ‍च्‍छे हैं तो इक्विटी निवेश से लंबी अवधि का रिटर्न मुद्रास्फीति के आंकड़ों को मात दे सकता है। इसमें आपको अच्‍छा रिटर्न मिल सकता है, साथ ही लंबे समय तक टिके रहने पर परिसंपत्तियों में निवेश करने और अधिक रिटर्न अर्जित करने में सक्षम बनाती है। इस व्यवसाय जोखिम की भरपाई इक्विटी निवेश पर जोखिम प्रीमियम द्वारा की जाती है।

स्थिर रिटर्न की उम्मीद न करें

भारत में व्यवस्थित रूप से निवेश करने से औसत लंबी अवधि का रिटर्न लगभग 14-16% रहा है। अगर भविष्य में महंगाई कम होती है तो इसमें कमी आएगी। यह भी गंभीर अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के अधीन होगा। इसलिए, हर साल एक स्थिर रिटर्न कमाने की उम्मीद न करें बल्कि उतार-चढ़ाव की उम्मीद करें, जो समय के साथ औसत हो जाते हैं।

म्यूचुअल फंड: निवेश पर घटा सकते हैं जोखिम, लॉन्ग टर्म रिटर्न के हिसाब से करें किसी भी फंड का चुनाव

रूस-यूक्रेन संकट के बाद से दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव जारी है। इस कारण निवेशक सीधे इक्विटी में पैसा लगाने के बजाय म्यूचुअल फंडों में निवेश कर रहे हैं। हालांकि, म्यूचुअल फंड में निवेश पर भी जोखिम है, लेकिन इसे कम किया जा सकता है। जोखिम कैसे घटाएं, पूरा गणित बताती कालीचरण की रिपोर्ट-

म्यूचुअल फंड (सांकेतिक तस्वीर)

बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि इक्विटी बाजार की तरह म्यूचुअल फंडों में निवेश पर भी जोखिम रहता है। इस जोखिम के कई कारण होते हैं। इनमें घरेलू के साथ वैश्विक कारण भी होते हैं, जिससे म्यूचुअल फंड में निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, फंड मैनेजरों की मदद से और अपनी निवेश रणनीति बदलकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं, जिसमें अपने लिए बेहतर का चयन कर निवेश कर सकते हैं।

  • एके निगम का कहना है कि अगर रिटर्न के हिसाब से अपने लिए किसी म्यूचुअल फंड योजना का चुनाव कर रहे हैं तो हमेशा लॉन्ग टर्न रिटर्न देखें।
  • लॉन्ग टर्म यानी 8-10 साल के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो इससे लिवाली और बिकवाली दोनों परिस्थितियों में फंड के प्रदर्शन को समझने में मदद मिलती है।
  • 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड देखें, फंड के पूरे प्रदर्शन को समझने में मिलती है मदद।
  • ऐसे फंड का चयन करें, जिसने कम-से-कम 2-3 साल की अवधि में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया हो

अपने जोखिम का आकलन करें
सेबी के मुताबिक, एसेट मैनेजमेंट कंपनी को अपने सभी फंड के लिए रिस्क-ओ-मोटर दिखाना होता है। इसमें म्यूचुअल फंड से जुड़े सभी जोखिम के स्तर के बारे में जानकारी देनी होती है। इससे पहले रिस्क-ओ-मीटर में किसी खास श्रेणी से जुड़े जोखिम को दिखाया जाता था, लेकिन अब किसी फंड में निवेश से पहले इस मीटर से जांच लें कि किस फंड से जुड़ा जोखिम आपकी क्षमता के अनुकूल है। इसका स्तर लिक्विडिटी, क्रेडिट, ब्याज दर, बाजार पूंजीकरण और उतार-चढ़ाव जैसे जोखिमों के आधार पर तय होती है।

सभी एनएफओ में निवेश से बचें
पूंजी जुटाने के लिए एएमसी इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न न्यू फंड ऑफर (एनओफओ) लाती हैं। िवेशक अधिक रिटर्न के लिए एनएफओ में निवेश करते हैं। हालांकि, सभी एनएफओ में निवेश से बचना चाहिए। ये नए ऑफर होते हैं और इनके बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं होती है। इसलिए सावधानी से इसमें निवेश करना चाहिए। यह भी देखना देना है कि इनमें क्या नया है और लागत कितनी है।

लार्जकैप में लगाएं पैसा
मिडकैप और स्मॉलकैप में निवेश पर अधिक रिटर्न मिलने की संभावना रहती है, लेकिन इसमें जोखिम भी अधिक रहता है। लार्जकैप में निवेश इसलिए बेहतर है क्योंकि बाजार की गिरावट के दौरान भी इसका प्रदर्शन बेहतर रहता है।

लार्जकैप में निवेश का पैसा उन बड़ी कंपनियों में लगाया जाता है, जिनकी अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ होती है। अगर बाजार की गिरावट के दौरान इनमें नरमी आती भी है तो कुछ समय बाद इनके शेयर चढ़ जाते हैं।

फंडामेंटल की जांच जरूर करें
किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले इसका फंडामेंटल जरूर जांच लें। फंड के पोर्टफोलियो में देख लें कि यह कितना मजबूत है और इसका पैसा सभी सेक्टर्स की टॉप कंपनियों में लगा है या नहीं। कमजोर फंडामेंटल वाले फंड में निवेश से शॉर्ट टर्म में थोड़ा मुनाफा हो सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में बड़ा घाटा उठाना पड़ सकता है। -अतुल गर्ग, निवेश सलाहकार

विस्तार

बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि इक्विटी बाजार की तरह म्यूचुअल फंडों में निवेश पर भी जोखिम रहता है। इस जोखिम के कई कारण होते हैं। इनमें घरेलू के साथ वैश्विक कारण भी होते हैं, जिससे म्यूचुअल फंड में निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, फंड मैनेजरों की मदद से और अपनी निवेश रणनीति बदलकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं, जिसमें अपने लिए बेहतर का चयन कर निवेश कर सकते हैं।

  • एके निगम का कहना है कि अगर रिटर्न के हिसाब से अपने लिए किसी म्यूचुअल फंड योजना का चुनाव कर रहे हैं तो हमेशा लॉन्ग इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न टर्न रिटर्न देखें।

अपने जोखिम का आकलन करें
सेबी के मुताबिक, एसेट मैनेजमेंट कंपनी को अपने सभी फंड के लिए रिस्क-ओ-मोटर दिखाना होता है। इसमें म्यूचुअल फंड से जुड़े सभी जोखिम के स्तर के बारे में जानकारी देनी होती है। इससे पहले रिस्क-ओ-मीटर में किसी खास श्रेणी से जुड़े जोखिम को दिखाया जाता था, लेकिन अब किसी फंड में निवेश से पहले इस मीटर से जांच लें कि किस फंड से जुड़ा जोखिम आपकी क्षमता के अनुकूल है। इसका स्तर लिक्विडिटी, क्रेडिट, ब्याज दर, बाजार पूंजीकरण और उतार-चढ़ाव जैसे जोखिमों के आधार पर तय होती है।

सभी एनएफओ में निवेश से बचें
पूंजी जुटाने के लिए एएमसी न्यू फंड ऑफर (एनओफओ) लाती हैं। िवेशक अधिक रिटर्न के लिए एनएफओ में निवेश करते हैं। हालांकि, सभी एनएफओ में निवेश से बचना चाहिए। ये नए ऑफर होते हैं और इनके बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं होती है। इसलिए सावधानी से इसमें निवेश करना चाहिए। यह भी देखना देना है कि इनमें क्या नया है और लागत कितनी है।

लार्जकैप में लगाएं पैसा
मिडकैप और स्मॉलकैप में निवेश पर अधिक रिटर्न मिलने की संभावना रहती है, लेकिन इसमें जोखिम भी अधिक रहता है। लार्जकैप में निवेश इसलिए बेहतर है क्योंकि बाजार की गिरावट के दौरान भी इसका प्रदर्शन बेहतर रहता है।

लार्जकैप में निवेश का पैसा उन बड़ी कंपनियों में लगाया जाता है, जिनकी अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ होती है। अगर बाजार की गिरावट के दौरान इनमें नरमी आती भी है तो कुछ समय बाद इनके शेयर चढ़ जाते हैं।

फंडामेंटल की जांच जरूर करें
किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले इसका फंडामेंटल जरूर जांच इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न लें। फंड के पोर्टफोलियो में देख लें कि यह कितना मजबूत है और इसका पैसा सभी सेक्टर्स की टॉप कंपनियों में लगा है या नहीं। कमजोर फंडामेंटल वाले फंड में निवेश से शॉर्ट टर्म में थोड़ा मुनाफा हो सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में बड़ा घाटा उठाना पड़ सकता है। -अतुल गर्ग, निवेश सलाहकार

कैसे दूर हों पीएफ के इक्‍व‍िटी निवेश में जोखिम की आशंकाएं, इस विषय पर क्‍या कहते हैं बाजार के जानकार

क्या प्रोविडेंट फंड के इक्विटी निवेश से मिलने वाला अतिरिक्त फायदा इसके खतरों की तुलना में सही है या नहीं? आंकड़े बतलाते हैं कि असल रिस्क इक्विटी के बजाए फिक्स्ड इनकम में है। जानिये इस मसले पर क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ.

धीरेंद्र कुमार, नई दिल्‍ली। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में इक्विटी निवेश को शामिल करने की बहस सिरे से खारिज हो गई है। कुछ दिन पहले ईपीएफओ निवेश डेटा संसद में रखा गया। इसके मुताबिक इक्विटी में कुल निवेश 1.59 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.27 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसमें लाभ की रकम 67,619 करोड़ रुपये है। ये सुनने इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न में अच्छा लगता है। पर ये आंकड़ा इस पूरे निवेश के लाभ का असल रेट नहीं बताता, और यही बात हमारे जानने की है।

Investment lesson for investors from football (Jagran File Photo)

क्‍या अतिरिक्त फायदा खतरों की तुलना में सही है

बहस का विषय यह है कि क्या इक्विटी निवेश से मिलने वाला अतिरिक्त फायदा इसके खतरों की तुलना में सही है या नहीं? निष्कर्ष पर पहुंचने के इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न लिए आपको दोनों हिस्सों से मिलने वाले वार्षिक लाभ का रेट चाहिए। फिक्स्ड इनकम के हिस्से का रिटर्न-रेट पता करना आसान है- ये 6.5 और 7.5 प्रतिशत के बीच होना चाहिए। इक्विटी के मामले में मुश्किल इसलिए होती है, क्योंकि इसके डेटा का विस्तृत विवरण आम लोगों के लिए जारी नहीं किया जाता।

खरा नहीं उतरते ये अनुमान

इसका पता करने के लिए मैंने तर्क के आधार पर अंदाजा लगाया और इक्विटी के हिस्से का मोटा-मोटा हिसाब बनाया। वर्ष 2015-2019 में 39,662 करोड़ रुपये, 2019-20 में 31,501 करोड़ रुपये, 2020-21 में 32,070 करोड़ रुपये, 2021-22 में 43,568 करोड़ रुपये और 2022-23 के पहले तीन महीनों में 12,199 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। मान लेते हैं कि इनमें से हर एक अवधि में निवेश, एसआइपी स्टाइल में, हर महीने एक जैसा किया गया होगा। हालांकि, बाद की चार अवधियों के लिए शायद ये आंकड़ा काफी सटीक बैठे। मगर 2015-19 में मासिक निवेश शायद एक बराबर न रहकर बढ़ता गया।

लाभ का सालाना रेट 13.6 प्रतिशत

इन अनुमानों के आधार पर, मैंने एक स्प्रेड-शीट बनाई है जिसका XIRR फंक्शन दिखाता है कि लाभ का सालाना रेट 13.6 प्रतिशत रहा। ये कतई बुरा नहीं है। खासतौर पर फिक्स्ड इनकम वाले हिस्से के कमजोर रिटर्न के मुकाबले। जैसा कि मैंने पहले कहा कि लाभ की असल दर कुछ ज्यादा ही रही होगी। 2015-19 के लिए थोड़ा अलग तरीका अपनाएं (जो असल में हुआ), तो बढ़ते हुए मासिक निवेश की गणना करने पर लाभ का नतीजा एक प्रतिशत ज्यादा ही निकलेगा, जो इस बहस में मेरी बात और साबित ही करता है।

ऐसे मिलेगा सही जवाब

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को इस आंकड़े की गणना करनी चाहिए और समय-समय पर जारी करते रहना चाहिए। इससे इक्विटी के जोखिम को लेकर जताई जा रही चिंताओं का सही जवाब मिलेगा। पूरे लाभ का आंकड़ा जारी करने से बात नहीं बनेगी। अगर मार्केट तेजी से गिरता है तो पूरा लाभ घट जाएगा। हालांकि, अब से सालाना लाभ का रेट बेहतर ही रहेगा और ईपीएफओ के लाभ में फिक्स्ड इनकम के हिस्से से कहीं ऊपर होगा। इसका सबसे तर्कसंगत नतीजा ये निकाला जा सकता है कि ईपीएफ में इक्विटी का प्रतिशत ज्यादा होना चाहिए।

असल रिस्क इक्विटी के बजाए फिक्स्ड इनकम में

डेटा दिखाता है कि असल रिस्क इक्विटी के बजाए फिक्स्ड इनकम में है। फिक्स्ड इनकम का हिस्सा शायद ही कभी महंगाई के साथ-साथ चल पा रहा है। फिक्स्ड इनकम की आपकी रिटायरमेंट बचत की असल (मंहगाई से एडजस्ट की गई) ग्रोथ बुनियादी तौर पर शून्य है। ये रिटायर होने वालों को असल रिस्क से रूबरू कराता है।

इक्विटी का अनुपात बढ़ाना ही सही

ईपीएफ निवेश दशकों से किए जा रहे हैं। इस लंबे समय के दौरान इक्विटी के रिस्क और रिवार्ड का संतुलन साफ तौर पर इक्विटी के पक्ष में है और फिक्स्ड इनकम के लिए बड़े रूप से नकारात्मक है। अगर आप सिर्फ डेटा देखें तो इक्विटी का अनुपात बढ़ाना कर्मचारियों की भलाई का सबसे अच्छा तरीका होगा। जितना जल्दी भारतीय बचतकर्ता और रिटायरमेंट की बचत मैनेज करने वाले लोग इसे समझ जाते हैं और इसकी ख़ूबियों को स्वीकार कर लेते हैं, उतना ही ये सबके लिए बेहतर होगा।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं, ये उनके विचार हैं।)

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