वे चिंता का सामना कर सकते हैं क्योंकि वे अकेले रहते हैं, एक निश्चित आय या पेंशन पर बसर करते हैं, अब ड्राइव नहीं करते हैं और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग नहीं कर सकते हैं और उनके नियमित स्वास्थ्य जांच में भी देरी होती है।वे अनिर्धारित या खराब प्रबंधित डिप्रेशन के मरीज भी हो सकते हैं। लाखों बुजुर्गों के लिए COVID-19 ने उनकी पहले से मौजूद चिंताओं को बढ़ा दिया है।
बुजुर्गों के लक्षण
सभी को अपनी ज़िन्दगी में बुजुर्ग बुजुर्गों के लक्षण होने का एहसास करना पड़ता है और उसमे होने वाली परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे सवाल उठता है की बुजुर्गों की देखभाल कैसे करें ताकि वह स्वस्थ रहें। दरअसल बुढ़ापे में शरीर शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। आपकी किसी भी बुजुर्गों के लक्षण काम करने की प्रतिक्रिया धीमी हो जाती है, हड्डियों और मांसपेशियों की ताकत कम होने लगती है, दृष्टि कमजोर होती है, शरीर के कई अंग ठीक से काम नहीं करते हैं।
इन सभी चीजों को ध्यान बुजुर्गों के लक्षण में रखते हुए बुजुर्गों की देखभाल करना और भी चुनौती पूर्ण हो जाता है। बुजुर्गों को एक साथ कई तरह की समस्या होती है। तो पहले उन समस्याओं के बारे में जाने
बुजुर्गों की देखभाल क्यों करनी पड़ती है
बुजुर्गों को बुढ़ापे में होने वाली समस्याएं :
- जोड़ो में दर्द रहता है : जैस जैसे उम्र बढ़ती जाती है हड्डियां कमजोर होने लगती है इसलिए जोड़ो में दर्द रहने लगता है।
- खाना पचने में दिक्कत : बुजर्गो द्वारा खाना खाए जाने पर बुजुर्गों के लक्षण भी उनका खाना पचने में दिक्कत होती है।
- हृदय रोग : बुजुर्गों की देखभाल करना कोई आम बात नहीं है, ऐसे बहुत से बुजुर्ग लोग हैं जिन्हें हृदय रोग की समस्या भी होती है।
- अधिक थकान होना : बुजुर्गों को उम्र बढ़ने की वजह से थकान जल्दी होती है, थोड़ा बहुत काम करने पर भी उन्हें थकान बुजुर्गों के लक्षण महसूस होती है।
- हड्डियां कमजोर होना : जैसे जैसे उम्र बढ़ती है शरीर की काम करने की क्षमता भी कम होने लगती है और इसका सीधा असर बुजुर्गों की हड्डियों पर होता है और बुढ़ापे में उनकी हड्डियां कमजोर शुरू हो जाती है।
बुजुर्गों की देखभाल कैसे करें
मानसिक स्वास्थ्य पर रखें नजर
यदि उन्हें किसी तरह की तकलीफ हैं, तो इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है बुजुर्गों के लक्षण इसलिए उनके साथ रहने वाले को इस बात का ध्यान रखना बहुत बुजुर्गों के लक्षण जरूरी है। उनके होने वाले मानसिक परिवर्तनों पर नजर रखें जैसे अधिक भूलने की शिकायत, रास्ता भूल जाना और चलते समय संतुलन खोना आदि उन्हें बाहर अकेले ना जाने दें।
नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह लें
यदि बुजुर्ग सदस्य का स्वास्थ्य खराब हो रहा है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। क्योंकि तकलीफ के समय एक डॉक्टर ही इसे समझ पता है और उसके अनुसार उन्हें दवाई देता है ताकि उन्हें आराम मिल जाए। बुजुर्गों को डॉक्टर बार-बार ना बदलें इससे उन्हें काफी परेशानी हो सकती है क्योंकि जब आप दूसरे डॉक्टर से सलाह लेते हैं तो कई बार डॉक्टर दवाइयां बदल देता हैं जिसकी वजह से उनकी स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता है।
बुजुर्गों के प्रति अपनापन दिखाएँ, भूलने की बीमारी से बचाएं
लखनऊ, उम्र बढ़ने के साथ ही तमाम तरह की बीमारियाँ हमारे शरीर को निशाना बनाना शुरू कर देती हैं । इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदतों (अल्जाइमर्स -डिमेंशिया) की है, ऐसे बुजुर्गों की तादाद बढ़ रही है । इसीलिए इस बीमारी की जद में आने से बचाने के लिए हर साल 21 सितम्बर को विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है । इसका उद्देश्य जागरूकता लाना है ताकि घर-परिवार की शोभा बढ़ाने वाले बुजुर्गों को इस बीमारी से बचाकर उनके जीवन में खुशियाँ लायी जा सकें । इसी के तहत 21 से 27 सितम्बर तक चलने वाले राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह के तहत प्रदेश के हर जिले में विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये इस बीमारी की सही पहचान और उससे बचाव के उपायों के बारे में जागरूकता लाने की बड़ी कोशिश की जायेगी ।
COVID-19 महामारी के दौरान बुजुर्गों की देखभाल
खासकर बुजुर्गों में कोरोनोवायरस रोग (COVID-19) महामारी ने अभूतपूर्व बुजुर्गों के लक्षण भय और अनिश्चितता ला दी है।बुजुर्ग सामाजिक रिश्तों पर अधिक से अधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है।बुजुर्गों और सेवानिवृत्त लोगों को कभी-कभी मदद की ज़रूरत होती है और उन्हें अक्सर अपने आस-पास के लोगों की आवश्यकता होती है।भारत एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के दौर से गुजर रहा है, जहां कमजोर वरिष्ठ नागरिक सामान्य से अधिक अकेले महसूस कर सकते हैं।
कई कारण हैं कि बुजुर्ग कुछ अधिक असुरक्षित क्यों होते हैं -उनके पास युवा वर्ग की तुलना में अधिक क्रानिक बिमारीयां हैं, उन की उम्रदराज प्रतिरक्षा प्रणाली बीमारियों, संक्रमण और वायरस से लड़ने के लिए कमजोर हो जाती हैं।
बुजुर्गों का रखें विशेष ख्याल, डिमेंशिया के लक्षण को पहचाने
उम्र से जुड़ी एक बीमारी है डिमेंशिया । आमतौर पर यह बुजुर्गों के लक्षण बीमारी बड़ी उम्र के लोगों में देखा जाता है। इसमें लोग बुजुर्गों के लक्षण बुजुर्गों के लक्षण अपनी सोचने-समझने की शक्ति खो देते हैं। साधारण भाषा में कहें तो यह भूलने की बीमारी है। लोगों की मानसिक क्षमता कम हो जाती है। इसकी वजह से रोज-मर्रा के काम में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। लोग खुद का भी नाम भूल जाते हैं। लंबे समय तक डिमेंशिया की समस्या गंभीर होती जाती है, जो कि दूसरे कारणों के साथ मिलकर जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि, डिमेंशिया के लक्षण को पहचानकर जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाने चाहिए।
डिमेंशिया क्या है?
डिमेंशिया अलग-अलग तरह की ख़ास मेडिकल कंडीशन के साथ एक धीरे-धीरे बढ़ने वाली समस्या है. डिमेंशिया की समस्या दिमाग़ में ऐसे बदलावों की वजह से होती है, जो सामान्य नहीं होते. इन बदलावों की वजह से व्यक्ति की सोचने-समझने की काबिलियत कम होने लगती है, जिससे उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी पर असर पड़ता है और उन्हें अपने रोज़ाना के सामान्य कामों के लिए दूसरों का सहारा लेना पड़ता है. 4 डिमेंशिया की अहम वजहों में चोट लगना और बीमारियां होना शामिल हैं. वैस्कुलर डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर्स डिसीज़, डिमेंशिया के सबसे आम रूप हैं.
उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की जांच कैसे करें:
कोविड-19 ने हम सभी को प्रभावित किया, लेकिन इसने हमारे बुजुर्गों को घर के बाहर उनके सामान्य चलने और सामाजिककरण में हस्तक्षेप करके सबसे अधिक प्रभावित किया, क्योंकि वे संक्रमण के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील थे। नीचे, हमने कुछ सुझाव दिए हैं जो वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद कर सकते हैं।
1. परामर्श: डॉक्टर से सलाह लें, किसी भी शारीरिक व्यायाम में शामिल होने से पहले यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुरक्षित है। चूंकि बहुत से वयस्कों के पास सीमित गतिशीलता हो सकती है, इसलिए वे ऐसी गतिविधियों को करने में सक्षम नहीं होंगे जो जोरदार आंदोलनों या चरम मोड़ की मांग करते हैं।
2. सावधानी: वरिष्ठ नागरिकों के वहां व्यायाम करने से पहले सुनिश्चित करें कि मैदान सूखा है। आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्होंने गतिविधि के लिए उपयुक्त जूते पहने हैं और चिकनी और फिसलन वाली सतहों की जांच करें। यह उन्हें फ्रैक्चर और गिरने से रोक सकता है।
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