अमित ने कहा, "बर्मा से मिली जानकारी के अनुसार, भारत के ताजा घटनाक्रम के बाद वहां उड़द के बिकवाल मायूस हैं, क्योंकि लिवाली घट गई है. उड़द एफएक्यू का भाव 435 डॉलर प्रति टन-एफओबी और एसक्यू का भाव 555 डॉलर प्रति टन था."

सरसों के तेल के गिरे रेट, चना कांटा, मसूर, मूंग के दाम में तेजी

सरसों के तेल के गिरे रेट, चना कांटा, मसूर, मूंग के दाम में तेजी

मांग कमजोर होने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में तुवर में तेजी का रुख सोमवार को सरसों तेल-तिलहन और सोयाबीन तिलहन के भाव कमजोर रहे, जबकि मलेशिया एक्सचेंज में मजबूती का रुख होने के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल की कीमतों में सुधार आया। बाकी तेल तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर ही बने रहे। वहीं, इंदौर के संयोगिता गंज अनाज मंडी में सोमवार को चना कांटा 50 रुपये, मसूर 50 रुपये और मूंग के भाव में 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी रही।

सरसों की इस बार पैदावार दोगुने से भी अधिक होने की उम्मीद

सूत्रों ने कहा कि तेल संगठन मोपा (मस्टर्ड आयल प्रोसेसिंग एसोसिएशन) और मरुधर ट्रेडिंग कंपनी ने एक आकलन में बताया है कि सरसों का मात्र 18.5 लाख टन का स्टॉक बचा है, जो पिछले महीने 30.5 लाख टन था। तेल विशेषज्ञों का मानना है कि सरसों की अगली फसल आने में कम से कम पांच महीने की देर है। इस बीच त्योहारों और जाड़े की मांग बढ़ेगी और सरकारी खरीद एजेसियों के पास सरसों का कोई स्टॉक भी नहीं है। इस स्थिति की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए आगे से सरकार को सरसों का स्टॉक स्थायी तौर पर बना कर रखने के बारे में विचार करना चाहिये क्योंकि सरसों की फसल 10-12 साल तक खराब नहीं होती है। सूत्रों कहा कि सरसों का कोई विकल्प नहीं है। इसकी अगली बिजाई अक्टूबर-नवंबर में होगी और तुवर में तेजी का रुख इस बार पैदावार दोगुने से भी काफी अधिक होने की संभावना है।

नवरात्र के दिनों में बढ़ सकती है मांग

अरहर, उड़द व मूंग की दाल के भाव को काबू में करने के लिए सरकार का अहम कदम, जानें कब तक घटेंगे दाम

राज्य एजेंसियों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दालों के स्टॉक की जांच करने की हिदायत दी गई है।

सरकार ने तत्काल प्रभाव से तीन प्रमुख दालों तुवर में तेजी का रुख के शुल्क मुक्त आयात की इजाजत दे दी है। इनमें अहरर मूंग व उड़द शामिल हैं। मांग व आपूर्ति में बढ़ रहे अंतर और महंगी होती दालों को देख सरकार ने यह फैसला किया है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार ने तत्काल प्रभाव से तीन प्रमुख दालों के शुल्क मुक्त आयात की इजाजत दे दी है। इनमें अहरर, मूंग व उड़द शामिल हैं। मांग व आपूर्ति में बढ़ रहे अंतर और महंगी होती दालों को देख सरकार ने यह फैसला किया है। दालों के आयात का यह फैसला तीन वर्षों बाद लिया गया है। दालों की आयात नीति में संशोधन करते हुए अरहर, मूंग और उड़द को प्रतिबंधित सूची से मुक्त सूची में रख दिया गया है। इससे घरेलू बाजार में दालों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगेगी। कोरोना संक्रमण के दौरान प्रोटीन के सबसे सस्ते स्रोत दालों की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इनकी आपूर्ति बढ़ाने को लेकर तुवर में तेजी का रुख केंद्रीय उपभेक्ता मामले मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर दालों के तुवर में तेजी का रुख व्यापारी, मिल मालिकों और आयातकों का स्टॉक घोषित करने का निर्देश दिया है।

अरहर दाल 100 रुपये के पार! और बढ़ेंगी कीमतें या लगेगी लगाम, सरकार के एक्शन पर नजर

अरहर दाल 100 रुपये के पार! और बढ़ेंगी कीमतें या लगेगी लगाम, सरकार के एक्शन पर नजर

उत्पादन में आंशिक गिरावट पर दाल की महंगाई 'असामान्य'. (Representative Image)

अरहर दाल की कीमतें इस समय 100 रुपये के पार चली गई हैं. कहीं-कहीं इसने 110 रुपया या 120 रुपये का भी स्तर पार कर लिया है. महंगे हो रहे दाल की वजह से सरकार पर दबाव बढ़ा है. करीब चार साल पहले 2015 के शुरुआती महीनों में इसके भाव 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए थे. कुछ दिनों पहले केंद्रीय खाद्य एवं जन वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने दालों की कीमतों में बढ़ोतरी की जांच कराने का आदेश दिया था. उन्होंने सरकारी स्टॉक भी बाजार में उतारने को कहा. इसके बावजूद तुवर में तेजी का रुख इसकी कीमतों से कोई राहत नहीं मिलती दिख रही है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन ने विशेषज्ञों से बातचीत की कि अभी लोगों को दाल की महंगाई कितनी झेलनी पड़ सकती है और इस ‘असामान्य’ उछाल की वजह क्या है.

कम उत्पादन और खराब मौसम के अनुमान से कीमतें बढ़ीं

केडिया कमोडिटी के तुवर में तेजी का रुख डायरेक्टर अजय केडिया ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी ऑनलाइन का मानना है कि तुअर (अरहर) दाल की कीमतों में आग लगने की वजह उत्पादन में कमी और आगे भी सूखे के आसार हैं. इस तुवर में तेजी का रुख बार मानसून सामान्य से कम रह सकता है, इसके कारण दाल की अगली फसल प्रभावित हो सकती है और इसकी कीमतें और भी बढ़ सकती हैं. उनका कहना है कि अभी तो फिलहाल 120-125 रुपये प्रति किलो के भाव तक जा सकता है लेकिन अगर आगे भी मौसम प्रतिकूल रहा तो इसमें और तेजी दिख सकती है. हालांकि सरकार ने हाल ही में नैफेड को बफर स्टॉक से 2 लाख टन सस्ते में अरहर बेचने के लिए दिया है. जिसके बाद कीमतों में कुछ नरमी देखी गई है.

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दाल की महंगाई ‘असामान्य’

कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का मानना है कि तुअर की कीमतों में बढ़ोतरी असामान्य है और यह मार्केट सेंटीमेंट का फायदा उठाने जैसा है. उन्होंने कहा कि उत्पादन में महज 3 लाख टन की गिरावट के कारण कीमतों में इतनी बढ़ोतरी असामान्य है. देविंदर शर्मा के मुताबिक यह बढ़ोतरी कंपनियां अपने मुनाफा के लिए कर रही हैं. इसका फायदा किसानों को नहीं मिल रहा है क्योंकि किसानों के पास से तो तुअर दाल की खरीद हो चुकी है. तुअर दाल की एमएसपी 5650 रुपये प्रति क्विंटल है. उन्होंने कहा कि तुअर के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखे के बावजूद दाल में मंहगाई असामान्य है. महाराष्ट्र में 72 फीसदी और कर्नाटक में 88 फीसदी सूखे का असर है. सूखे के कारण दाल और महंगी हो सकती है, अगर मार्केट सेंटिमेंट बना रहता है.

सरकारी आंकड़ों के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2018-19 में तुअर का उत्पादन 36.8 लाख टन रहने तुवर में तेजी का रुख का अनुमान है. हालांकि अभी इसमें 7-8 फीसदी की और गिरावट हो सकती है. अजय केडिया का कहना है कि तुअर की कीमतों में यहां से बहुत ज्यादा उछाल नहीं दिख रहा है. असल में नेफेड के पास 20 लाख टन दालों का स्टॉक है और मंत्रालय के पास भी 14 लाख टन का बफर स्टॉक है. ऐसी दशा में एक सीमा से अधिक कीमत बढ़ी तो सरकार हस्तक्षेप कर कीमतों पर नियंत्रण रख सकती है. केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान नेफेड से खुले बाजार में 2 लाख टन दाल बेचने के लिए कह भी चुके हैं.

अगले सत्र में तुअर की स्थिति बेहतर!

नए सत्र 2019-20 में तुअर का उत्पादन 15.84 फीसदी बढ़कर 40.79 लाख टन होने का अनुमान है. इसके अलावा आयात भी कठोर आयात नीति के कारण 0.5-3 लाख टन होने का संभावना है. इस प्रकार नए सत्र में दाल की कुल आपूर्ति 46.78 से 49.07 लाख टन होने का अनुमान है. निर्यात भी इंसेटिव्स बढ़ने की संभावना को देखते हुए 0.5-0.7 लाख टन तक बढ़ सकता है. अजय केडिया के मुताबिक इस प्रकार अगले सत्र में तुअर की स्थिति बेहतर स्थिति में है और कीमतों में नरमी आ सकती है लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी मौसम का बेहतर होना है. मौसम प्रतिकूल रहा तो कीमतों में अधिक गिरावट की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

कुछ दिनों पहले केंद्रीय मंत्री पासवान की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालयी समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए. समिति ने निजी कारोबारियों के लिए अक्टूबर तक तुअर दाल की आयात सीमा को 2 लाख टन से बढ़ाकर 4 लाख टन कर दिया. केंद्र सरकार ने स्थानीय किसानों के हितों की रक्षा के लिये 2017 में 2 लाख टन आयात सीमा लगाया था. इसके अलावा समिति ने मोजांबिक से 1.75 लाख टन तुअर दाल के आयात की अनुमति दी है. समिति ने यह भी फैसला किया कि बफर स्टॉक से 2 लाख टन तुअर दाल की बिक्री खुले बाजार में की जाएगी.

बढ़ सकती है दालों की कीमत, सुप्रीम कोर्ट ने दाल इंपोर्ट पर लगी रोक को सही ठहराया

पिछले साल सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सिर्फ दो लाख टन तुअर और उड़द व मूंग तीन लाख टन आयात करने की सीमा तय कर दी थी.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दाल आयात पर प्रतिबंध के फैसले को बरकरार रखने से विदेशों से दलहनों का आना बंद हो जाएगा जिससे किसानों को फायदा होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने दालों का आयात पर जारी रोक के गुजरात हाई कोर्ट के फैसले पर अपनी सहमति जताई है. कोर्ट के इस फैसले से देश में दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं, लेकिन किसानों को इससे फायदा होगा. ऑल इंडिया दाल मिल एसोशिएसन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दाल आयात पर प्रतिबंध को लेकर गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखने से विदेशों से प्रमुख दलहनों का आना बंद हो जाएगा जिससे किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम मिलेगा.

आज का मंडी भाव 2022 | Today Mandi Rate – Chana, Gehun, Sarso [Live]

देश तुवर में तेजी का रुख की मंडियों में अनाज के दाम आय-दिन ऊपर नीचे होते रहते है | किसान भाई भी फसल के दामों को लेकर भ्रमित रहते है, और रोजाना मंडियों में फसल के दामों को पता तुवर में तेजी का रुख करते रहते है | ऐसे में यहाँ पर आपको देश की प्रमुख अनाज मंडियों में मूंग, सोंठ, गेहूं, सरसो, चना, ग्वार, दलहन, तिलहन, मूंगफली, जौ, तुवर, मक्का, मसूर, धनिया, जीरा, अरंडी, इसबगोल जैसी फसलों तुवर में तेजी का रुख के भाव क्या है, बताया जाएगा | इस बार पंजाब में मूंग की खेती का रकबा 97,250 एकड़ के क्षेत्र में फैलकर दोगुना हो गया है, जो पिछले वर्ष सिर्फ 50,000 एकड़ था |

पंजाब में प्रति एकड़ में 4 से 5 क्विंटल मूंग के औसत से 4 लाख क्विंटल दलहन के उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है, तथा राज्य सरकार भी किसानो को फसल पर MSP लागु करने आश्वासन दे चुकी है | इसके अलावा भी कई फैसले है, जिनका मंडी में काफी अच्छा भाव चल रहा है | इस लेख में आपको आज का मंडी भाव 2022 (Today Mandi Rate – Chana, Gehun, Sarso [Live]) की जानकारी दी जा रही है |

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