डीजीएफटी के लाइसेंस पर किसी भी देश में निर्यात किया जा सकता है। जबकि, एपीडा सोर्स बताता है। किस देश में डिमांड है, एपीडा से ही जानकारी मिलती है।

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ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-एनएएम) योजना

नेशनल ईजीमार्केटस ईजीमार्केटस एग्रीकल्चर मार्केट (एनएएम) एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल है जिसे 14 अप्रैल, 2016 को पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया था और छोटे किसान एग्रीबिजनेस कंसोर्टियम (एसएफएसी) द्वारा कार्यान्वित किया गया था। एनएएम पोर्टल नेटवर्क मौजूदा एपीएमसी (कृषि उत्पादन विपणन समिति) / विनियमित विपणन समिति (आरएमसी) बाजार गज, उप-बाजार गज, निजी बाजार और अन्य अनियमित बाजार कृषि राष्ट्र मूल्य के लिए एक केंद्रीय ऑनलाइन मंच बनाकर सभी राष्ट्रव्यापी कृषि बाजारों को एकजुट करने के लिए , इस योजना में मार्च, 2018 तक 585 चयनित 1 विनियमित थोक कृषि बाजार गज की एक आम ई-मार्केट प्लेटफार्म की तैनाती पर विचार किया गया है। आम इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल को ई-एनएएम कहा जाएगा।

  1. कृषि वस्तुओं में पैन-इंडिया व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए, आम तौर पर राज्यों के स्तर पर और अंततः देश भर में एक आम ऑनलाइन बाजार मंच के माध्यम से बाजारों को एकीकृत करने के लिए।
  2. मार्केटिंग / लेनदेन प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने और बाजारों के कुशल कामकाज को बढ़ावा देने के लिए उन्हें सभी बाजारों में समान बनाते हैं।
  3. किसानों / विक्रेताओं के लिए ऑनलाइन खरीद के माध्यम से किसानों / विक्रेताओं के लिए बेहतर विपणन अवसरों को बढ़ावा देना, किसान और व्यापारी के बीच जानकारी असमानता को हटाने, कृषि और वस्तुओं की वास्तविक मांग और आपूर्ति के आधार पर बेहतर और वास्तविक समय मूल्य खोज, नीलामी में पारदर्शिता प्रक्रिया, कीमतों की गुणवत्ता के अनुरूप मूल्य, ऑनलाइन भुगतान इत्यादि जो विपणन दक्षता में योगदान देते हैं।
  4. खरीदारों द्वारा सूचित बोली-प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए गुणवत्ता ईजीमार्केटस आश्वासन के लिए गुणवत्ता आकलन प्रणाली स्थापित करना।
  5. उपभोक्ताओं को गुणवत्ता की कीमतों की स्थिर कीमतों और उपलब्धता को बढ़ावा देने के लिए।

लाभार्थी:

किसान, मंडी, व्यापारी, खरीदारों, प्रोसेसर और निर्यातक।

बाजार में बढ़ी पहुंच के साथ पारदर्शी ऑनलाइन व्यापार। उत्पादकों के लिए बेहतर और स्थिर मूल्य प्राप्ति के लिए वास्तविक समय मूल्य खोज। खरीदारों के लिए कम लेनदेन लागत। कमोडिटी कीमतों के बारे में ई-नाम मोबाइल ऐप पर जानकारी की उपलब्धता। मात्रा ईजीमार्केटस के साथ बेची गई वस्तु की कीमत का विवरण एसएमएस के माध्यम ईजीमार्केटस से प्राप्त किया जाता है। गुणवत्ता प्रमाणन। अधिक कुशल आपूर्ति श्रृंखला और गोदाम आधारित बिक्री। किसानों के बैंक खातों में सीधे ऑनलाइन भुगतान।

एमजंक्शन स्पाइसेस बोर्ड के लिए बड़ी इलायची का ई-मार्केट प्लेस स्थापित करेगा

Ranchi : भारत ईजीमार्केटस की सबसे बड़ी बी2बी ई-कॉमर्स कंपनी एमजंक्शन सर्विसेस लिमिटेड खाद्यान्न, चाय और दालों के बाद अब कृषि-वस्तुओं के क्षेत्र में अगला कदम रखने जा रही है. कंपनी का उद्देश्य स्पाइसेस बोर्ड ऑफ इंडिया के साथ पंजीकृत उत्पादकों और विक्रेताओं के लिए बड़ी इलायची का ई-मार्केट प्लेस खोल कर नया मानक स्थापित करना है. स्पाइसेस बोर्ड द्वारा जारी लाइसेंस के रूप में एमजंक्शन समूचे भारत में खरीदारों को अपने प्लेटफॉर्म पर बड़ी इलायची की ई-बिक्री की सुविधा प्रदान करेगा. यह पहली बार होगा, जब ईजीमार्केटस बड़ी इलायची का बतौर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विक्रय किया जाएगा. संबंधित क्षेत्र में डिजिटलीकरण और पारदर्शिता की दिशा में यह एक बड़ा कदम सिद्ध होगा.

नगालैंड में ई-सेलिंग प्रोजेक्ट लांच किया गया था

ई-सेलिंग प्रोजेक्ट को विगत सप्ताह नगालैंड के दीमापुर में भारतीय मसाला बोर्ड द्वारा आयोजित एक सेमिनार में औपचारिक तौर पर लांच किया गया था. इसके साथ ही जल्द ही पहले ऑनलाइन इवेंट का आयोजन नगालैंड की एक किसान-उत्पादक कंपनी (एफपीसी) के लिए किया जाएगा. विनय वर्मा, मैनेजिंग डायरेक्टर, एमजंक्शन ने कहा कि स्पाइसेस बोर्ड की इस महत्वपूर्ण डिजिटलीकरण पहल का हिस्सा बनकर हम बेहद खुश हैं. हम अपने प्लेटफॉर्म का विस्तार अन्य एफपीसी में भी करने की योजना बना रहे हैं. इससे बड़ी संख्या में खरीदार हमारी पारदर्शी और कुशल प्रक्रियाओं का लाभ ले सकें.

डी साथियान, सेक्रेटरी, स्पाइसेस बोर्ड, आईएफएस ने कहा कि इस प्लेटफॉर्म से हमें उम्मीद है कि बेहतर मूल्य हासिल करने के साथ ही ग्राहकों में गुणवत्ता के प्रति जागरूकता बढ़ेगी. उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के बड़ी इलायची उत्पादकों को बेहतर सुविधा मिल सकेगी. उम्मीद है कि पहले पायलट इवेंट का आयोजन दिसंबर की शुरुआत में हो सकेगा. एमजंक्शन के साथ यह ई-सेलिंग सरकार की वोकल फॉर लोकल पहल के अनुरूप है. इसका उद्देश्य स्थानीय रूप से उगाई जाने वाली बड़ी इलायची के लिए भारत सरकार की वोकल फॉर लोकल पहल के अनुरूप एक स्थिर आपूर्ति श्रृंखला की नींव रखना है.

ई-मार्केट बढ़ाने पर इस राज्य का ध्यान, उपज बेचने के लिए बड़े पैमाने पर किसान कर रहे इस्तेमाल

ई-मार्केट बढ़ाने पर इस राज्य का ध्यान, उपज बेचने के लिए बड़े पैमाने पर किसान कर रहे इस्तेमाल

कर्नाटक के किसानों (Farmers) के बीच ई-मार्केट की लोकप्रियता बढ़ रही है. वे यहां पर थोक में उचित मूल्य पर अपनी पैदावार बेचते हैं. किसानों के लिए हितकारी होने और समय की जरूरत को देखते हुए कर्नाटक सरकार ई-मार्केट के विस्तार की योजना बना रही है. राज्य में राष्ट्रीय ई-मार्केट सर्विसेज (National e-Market Services) प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल FPO से जुड़े किसान कृषि और बागवानी फसलों की बिक्री के लिए ईजीमार्केटस करते हैं. अब सरकार इसका दायरा बढ़ाना चाहती है. कर्नाटक सरकार के एक अधिकारी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस मार्केट का इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बाजार से एफपीओ को जोड़ेगा. इसका फायदा किसानों को मिलेगा और वे अधिक से अधिक संख्या में अपनी उपज को सीधे बेच सकेंगे.

राज्य में 700 एफपीओ

वर्तमान में कर्नाटक में 700 एफपीओ काम कर रहे हैं. प्रत्येक एफपीओ में औसतन 350 से 400 शेयरहोल्डर्स हैं. राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि ई-मार्केट प्लेटफॉर्म से ज्यादा से ज्यादा एफपीओ को जोड़ने से किसानों को अपनी उपज बेचने में काफी आसानी होगी. ई-मार्केट सीधे बाजार से जुड़ा होगा, ऐसे में किसानों को उचित भाव भी मिलेगा.

एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय ई-मार्केट सर्विसेज के जरिए हमने मंडियों में खरीद के लिए उपज की बोली लगाने की शुरुआत की थी. ई-नाम पर यहीं काम ईजीमार्केटस बाद में शुरू हुआ. अधिकारियों ने कहा कि इससे किसानों को एक बेहतर बाजार मिलेगा. एफपीओ से जुड़े किसान मक्का, धान, तूर, रागी, बंगाल चना, हरा चना और सोयाबीन की खेती करते हैं.

एक हजार हेक्टेयर में होगा आलू

एफपीओ संचालक ने बताया कि इस सीजन में एक हजार हेक्टेयर में आलू की बोआई की जाएगी। आलू की विभिन्न किस्में उगाई जाएंगी। इनमें चिप्सोना वन, चिप्सोना श्री, चिप्सोना फोर, एलआर, फ्राइसोना हैं, जो चिप्स आदि उत्पाद बनाने के काम आते हैं। भोजन में उपयोग होने वाले कुफरी बहार, कुफरी मोहन, ख्याति आदि किस्म के आलू किए जाएंगे। फसल तैयार होने तक फ्लिपकार्ट से अनुबंध हो जाएगा। तब आलू को भी आनलाइन मार्केट में उतारा जाएगा। एफपीओ द्वारा डीजीएफटी व एपीडा से लाइसेंस मिल चुका है।

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छोटे कारोबारियों को बढ़ावा देकर

MSMEs को बढ़ावा देकर ऐमेजॉन और फ्लिपकार्ट सस्ते में ज्यादा सामान बेच पाते हैं. MSMEs ईजीमार्केटस का मतलब माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइसेस. इनकी वजह से ई-मार्केट प्लेस पर प्रोडक्ट्स सस्ते में मिलते हैं.

दोनों ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स सस्ते में ईजीमार्केटस सामान बेचने के लिए लोकल बिजनेस ओनर्स और दूसरे MSMEs से संपर्क करते हैं. हाल में ही ऐमेजॉन ने बताया था कि करोड़ों कंज्यूमर्स MSMEs और लोकल बिजनेस के प्रोडक्ट्स को पसंद कर रहे हैं.

सस्ते में सामान क्यों बेचती हैं कंपनियां

किसी भी कंपनी की वेबसाइट पर देखेंगे तो वहां प्रोडक्ट की कीमत Amazon-Flipkart से ज्यादा होती है. फिर सवाल आता है कि ये कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर सस्ते में क्यों बेचती हैं? इसकी वजह ज्यादा सामान बेचकर ज्यादा मुनाफा कमाना है.

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