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Option What is a CALL and a PUT? | buy and Sell CALL PUT? Part 39
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कॉल और पुट क्या होता है? | कॉल खरीदने, बेचने का मतलब? | पुट खरीदने, बेचने का मतलब?
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Option put option 1 ? | Put, buy and sell? Part 40
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वायदा बाज़ार की ABCD | पुट ऑप्शन क्या होता है? | पुट खरीदने, बेचने का मतलब?
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Option put option 2 ? | Put, buy and sell? Part 41
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F&O की पाठशाला (CLASS 41) में जानिए: वायदा बाज़ार की ABCD | पुट ऑप्शन क्या होता है? | पुट खरीदने, बेचने का मतलब?
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Option strike price and premium of Option, how to choose right strike? Part 42
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F&O की पाठशाला ( CLASS 42 ) में जानिए : वायदा बाज़ार की ABCD स्ट्राइक प्राइस और प्रीमियम समझें, सही स्ट्राइक का चुनाव कैसे करें?
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Option What is the risk in buying options ? What is the risk in selling options? Part 43
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वायदा बाज़ार की ABCD ऑप्शन्स खरीदने में जोख़िम क्या? ऑप्शन्स बेचने में जोख़िम क्या?
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Option Selling risks are unlimited and gains limited 1 Part 44
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Option Selling risks are unlimited and gains limited 2 Part 45
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Option ATM : AT the Money Part 46
Option ATM
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Option When to buy, sell ATM options? What are the risks in ATM options? Part 47
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F&O की पाठशाला ( CLASS 47 ) में जानिए : कब खरीदें, बेचें ATM ऑप्शन्स? ATM ऑप्शन्स में जोख़िम क्या?
निफ्टी क्या है nifty 50 कैसे खरीदे
निफ्टी क्या है nifty 50 की जानकारी निफ्टी किसे कहते हैं निफ्टी के बारे में जानकारी हिंदी में निफ़्टी कैसे खरीदें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज NSE के सूचकांक को निफ्टी कहते हैं NSE में लिस्टेड शीर्ष पुट ऑप्शन कब खरीदें? 50 शेयरों में खरीदारी बिकवाली से जो एवरेज आता है उसी को nifty 50 कहते हैं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में हजारों की संख्या में शेयर लिस्टेड है किंतु शीर्ष 50 अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों के शेयरों पुट ऑप्शन कब खरीदें? पर निफ़्टी 50 का भाव निर्धारित करता है
फ्यूचर्स और ऑप्शंस क्या हैं? निवेश करने से पहले जरूर जान लें
निवेश से मुनाफा कमाना सभी चाहते हैं. उसके लिए मार्केट में कई तरीके के विकल्प मौजूद हैं. हम आज ऐसे ही विकल्प के बारे में बात करेंगे.
- Money9 Hindi
- Publish Date - August 30, 2022 / 01:31 PM IST
निवेश से मुनाफा कमाना सभी चाहते हैं. उसके लिए मार्केट में कई तरीके के विकल्प मौजूद हैं. हम आज ऐसे ही विकल्प के बारे में बात करेंगे. ये हैं फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस. फ्यूचर एंड ऑप्शन के जरिए सिर्फ शेयर में ही नहीं, बल्कि सोना, चांदी, कृषि वस्तुओं और क्रूड समेत अन्य कई डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग करके पैसा कमाया जा सकता है. फ्यूचर्स और ऑप्शंस को समझने से पहले जिस बाजार में ये उत्पाद खरीदे और बेचे जाते हैं, उनके बारे में जानना जरूरी है. ये दोनों डेरिवेटिव मार्केट के उत्पाद हैं. ऐसे कई प्लेटफॉर्म हैं जहां से ये ट्रेड किए जा सकते हैं. यदि आप अपनी यात्रा शुरू करना चाहते हैं, तो 5paisa.com (https://bit.ly/3RreGqO) वह प्लेटफॉर्म है जो डेरिवेटिव ट्रेडिंग में आपकी यात्रा शुरू करने में आपकी मदद कर सकता है.
डेरिवेटिव क्या होते हैं?
डेरिवेटिव ऐसे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होते हैं, जो अपनी वैल्यू किसी अंडरलाइंग एसेट (Underlying asset) या बेंचमार्क से प्राप्त करते हैं. उदाहरण के लिए शेयर, बॉन्ड, मुद्रा, जिंस यानी कमोडिटीज और मार्केट इंडेक्स सामान्य डेरिवेटिव में इस्तेमाल होने वाले एसेट हैं. अंडरलाइंग पुट ऑप्शन कब खरीदें? एसेट की कीमत बाजार की स्थितियों के हिसाब से बदलती रहती है. मुख्य रूप से डेरिवेटिव अनुबंध चार प्रकार के होते हैं- फ्यूचर्स, फॉरवर्ड, ऑप्शंस और स्वैप.
फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है?
फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के तहत एक ग्राहक किसी एसेट को पहले से तय कीमत पर भविष्य की एक निश्चित तिथि में खरीद या पुट ऑप्शन कब खरीदें? बेच सकता है. फ्यूचर्स में ट्रेड करने वाले दोनों पक्ष कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए बाध्य होते हैं. इन कॉन्ट्रैक्ट का स्टॉक एक्सचेंज पर कारोबार होता है. फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होने तक बाजार के हिसाब से घटती-बढ़ती है.
ऐसे जानिए ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़ी हर बात, होगा फायदा
पिछले कुछ सालों में हमने भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में ऑप्शन सेगमेंट की ट्रेडिंग गतिविधियों में तेज वृद्धि देखी है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) फ्यूचर और ऑप्शन (एफ एंड ओ) सेगमेंट में दैनिक कारोबार 4 लाख करोड़ को पार कर गई है और इस इंडेक्स में ऑप्शन का 80% से अधिक योगदान रहा है। यही कारोबार बैंक निफ्टी पर साप्ताहिक और मासिक समाप्ति के दिनों पर 10 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। आजकल ऑप्शन सेगमेंट अपनी प्रोफ़ाइल के कारण अधिक लोकप्रिय हो गया है और यह 50 ओवर या टेस्ट सिरीज मैचों की तुलना में आईपीएल या टी-20 मैचों की लोकप्रियता की तरह ही लगता है। इस सेगमेंट में ट्रेडिंग गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं क्योंकि यह सभी प्रकार के बाजार सेंटिमेंट्स का लाभ पाने का अवसर प्रदान करती पुट ऑप्शन कब खरीदें? है चाहे वह बुलिश, बियरिश, रेंज बाउंड या अत्यधिक अस्थिर हो। आइए पहले समझें कि ऑप्शन है क्या जो सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है? नकद बाजार, जहाँ शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं, के अलावा एक्सचेंज में एक ऐसा सेगमेंट भी होता है जहाँ इन शेयरों या इंडेक्स के भविष्य और विकल्प खरीदे या बेचे जाते हैं।
जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित
Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.
- शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
- अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
- राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर
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नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.
कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश
आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.
डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर
शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.
कैसे काम करता है शेयर बाजार
मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और पुट ऑप्शन कब खरीदें? फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.
शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट पुट ऑप्शन कब खरीदें? में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए पुट ऑप्शन कब खरीदें? शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.
निफ्टी और सेंसेक्स कैसे पुट ऑप्शन कब खरीदें? तय होते हैं?
इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.
इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.
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