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बिज़नेस लोन संबंधी पूछे जाने वाले प्रश्न
1. बिज़नेस लोन क्या होता है?
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में व्यापार घाटा दोगुना बढ़ गया, आगे कैसी रहेगी स्थिति?
भारत का व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है.
भारत का व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है. एक साल पहले के इसी अवधि में . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : September 17, 2022, 07:48 IST
चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी के तीन प्रतिशत के भीतर रह सकता है.
व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बढ़कर 124.5 अरब डॉलर हो गया है.
प्रवासी भारतीयों द्वारा धन प्राप्त करने के मामले में भारत अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है.
मुंबई. भारत का चालू खाते का घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत के भीतर रह सकता है. बीते वित्त वर्ष में यह 1.2 प्रतिशत पर था. भारतीय रिजर्व बैंक (व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां आरबीआई) के शुक्रवार को जारी ताजा बुलेटिन में यह अनुमान जताया व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां गया है.
व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां
शिल्पियों एवं व्यापारियों का संगठन
याज्ञवल्क्य के अनुसार विभिन्न वृत्तियाँ बनाकर एक ही नगर अथवा ग्राम में निवास करने वाले विभिन्न जाति के लोगों का वर्ग ''पूग'' व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां था। इस प्रकार ""श्रेणि'' अथवा ""पूग'' संस्थायें जाति- पाति और ऊँच- नीच के बंधन से मुक्त होकर एक ही ग्राम अथवा नगर में निवास करती थी तथा अपने हितों की सुरक्षा स्वयं करती थी। रमेशचंद्र मजूमदार के अनुसार श्रेणि समाज के भिन्न जाति के परंतु समान व्यापार और उद्योग अपनाने वाले लोगों का संगठन है।
उद्योग और वाणिज्य से संबंधित लोगों का एक अन्य संगठन निगम था। श्रेणि और निगम में क्या अंतर था, इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं प्राप्त होता। परमेश्वरी लाल गुप्त का अनुमान है कि, ""निगम किसी एक व्यवसाय के लोगों का संघटन न होकर अनेक व्यवसायों के समूह का संघटन था।'' इसमें मुख्य रुप से तीन वर्गों के लोग सम्मिलित थे। उद्योग का काम करने वालों का पहला वर्ग निगम था, जो ""कुलिक'' कहे व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां जाते थे। दूसरा निगम देश- विदेश से माल लाने वाले ""सार्थवाह'' लोगों का था और तीसरा निगम ""श्रेष्ठि'' लोगों का था, जो संभवतः एक स्थान पर अपनी दुकान खोलकर स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे। श्रेष्ठि, सार्थवाह और कुलिक तीनों ने सम्मिलित रुप से ""श्रेष्ठि- साथवाह- कुलिक निगम'' की स्थापना की थी। जिस प्रकार शिल्पी श्रेणी में संगठित होकर अपने संबंधित विषयों पर कानून बनाते थे और शिल्प को नियंत्रित करते थे, उसी प्रकार निगम में संगठित व्यापारी अपने व्यापार के संबंध में व्यवस्था करते थे।
वर्तमान दौर में ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टम या वैश्विक व्यापार व्यवस्था चरमरा रही है। वैश्विक व्यापार का सीधा संबंध विश्व व्यापार संगठन से है, जिसकी नींव 1995 में इस उद्देश्य से रखी गई थी कि यह विश्व के देशों के बीच व्यापार में अधिकाधिक सुगमता ला सकेगा। किसी विवाद की स्थिति में उन्हें सुलझा भी सकेगा। संगठन में एक डिस्प्यूट सेटलमेंट बॉडी का गठन किया गया, जो विवाद के निपटारे के लिए एक पैनल का गठन करे। यह पैनल मामले की जाँच पड़ताल के बाद अपना निर्णय सुना सकता है। निर्णय से असहमत होने पर कोई भी पक्ष अपीलीय निकाय की शरण ले सकता है। इसका निर्णय अंतिम व मान्य होता है।
विश्व व्यापार संगठन में समस्या कहाँ है ?व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां
संगठन के अपीलीय निकाय में सात सदस्यों को चार वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाता रहा है। इनमें से तीन की उपस्थिति को कोरम पूरा करने के लिए जरूरी व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां माना जाता है।
इस प्रकार की समस्या आपके साथ तो नही होती
आइए पहले जान लेते हैं अगर आपके व्यापार में किसी प्रकार का बंधन लगा हुआ है। तो व्यापार बहुत प्रभावित होता है। आप अपने ऑफिस या दुकान पर जाते हैं। तो मन आशंकित हो जाता है। तरह-तरह के डरावने विचार आने लगते हैं। व्यापार में मन नहीं लगता। दुकान में साफ सफाई पूजा पाठ करने का भी मन नहीं करता। दुकान में रखे हुए सामान पर जाले और धूल लगी रहती है। सफाई कभी कभी ही हो पाती है। ग्राहक आता है। लेकिन आपके व्यक्तित्व से वह प्रभावित नहीं हो पाता और आप उसको सन्तुष्ट नहीं कर पाते वह खाली हाथ चला जाता है। कमाई धीरे धीरे घटने लगती है। मन निराश होने लगता है। जहां से आप सामान लेकर आते हैं। वहां से संबंध खराब होने लगते व्यापारियों के लिए व्यापारिक स्थितियां हैं। अगर आपने उधारी की हुई है तो वह रुक जाती है। नए ग्राहक नहीं बन पाते। पिछले वाले टूटने लगते हैं। इन सब से व्यक्ति मानसिक रूप से इतना कमजोर हो जाता है। सुबह उठ कर दुकान खोलने जाने से भी कतराते है।
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