निर्धनता:एक चुनौती
(i) निर्धनता के आकलन के लिए एक सर्वमान्य सामान्य विधि आय अथवा उपभोग स्तरों पर आधारित है। किसी व्यक्ति को निर्धन माना जाता है, यदि उसकी आय या उपभोग स्तर किसी को 'न्यूनतम स्तर' से नीचे गिर जाये जो मूल आवश्यकताओं के एक दिए हुए समूह को पूर्ण करने के लिए आवश्यक है।
(2) भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा सम्बन्धी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है।
(3) निर्धनता रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी आवश्यकताओं पर भी आधारित है। भारत में सवीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रति दिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रति दिन है।
उदाहरण स्वरुप वर्ष 2000 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में ₹ 454 प्रतिमाह किया गया था।
भारत में निर्धनता में अंतर-राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें।
भारत में गरीबी के प्रमुख कारण नीचे दिए गए है:
(i) एक ऐतिहासिक कारण ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन के दौरान आर्थिक विकास का निम्न स्तर हैं।
(ii) औपनिवेशिक सरकार की नीतियों ने पारम्परिक हस्तशिल्प्कारी को नष्ट कर दिया और वस्त्र जैसे उद्योगों के विकास को हतोत्साहित किया।
(iii) सिंचाई और हरित क्रांति के प्रसार से कृषि क्षेत्रक में रोज़गार के अनेक अवसर सृजित हुए। लेकिन इनका प्रभाव भारत के कुछ स्थानों तक ही सीमित रहा।
(iv) उच्च आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं? निर्धनता दर की एक और विशेषता आय असमानता रही है। इसका एक प्रमुख कारण भूमि और अन्य संसाधनों का असमान वितरण है
उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय हैं।
सामाजिक समूह:
(i) अनुसूचित जाति के परिवार
(ii) अनुसूचित जनजाति के परिवार
आर्थिक समूह: ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार तथा नगरीय अनियत मजदूर परिवार ।
भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें ।
निर्धनता अनुपात (प्रतिशत) | निर्धनों की संख्या (करोड़) | |||||
वर्ष | ग्रामीण | शहरी | योग | ग्रामीण | शहरी | संयुक्त योग |
1973-74 | 56.4 | 49.0 | 54.9 | 26.1 | 6.0 | 32.1 |
1993-94 | 37.3 | 32.4 | 36.0 | 24.4 | 7.6 | 32.0 |
1999-2000 | 27.1 | 23.6 | 26.1 | 19.3 | 6.7 | 26.0 |
(i) भारत में निर्धनता अनुपात में वर्ष 1973 में लगभग 55 प्रतिशत से वर्ष 1993 में 36 प्रतिशत तक महत्वपूर्ण गिरावट आयी है।
(ii) गरीबी रेखा से नीचे के लोगों का अनुपात 2000 में करीब 26 प्रतिशत नीचे आ गया।
(iii) यदि प्रवृत्ति जारी है, तो गरीबी रेखा के नीचे वाले लोग अगले कुछ वर्षों में 20 प्रतिशत से भी कम कर सकते हैं।
क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है?
नहीं, गरीबी के आकलन की वर्तमान पद्धति उपयुक्त नहीं है।
यह केवल एक मात्रात्मक अवधारणा है । लोगों के लिए निर्धनता की आधिकारिक परिभाषा उनके केवल एक सीमित भाग पर लागू होती है। यह न्यूनतम जीवन निर्वाह के 'उचित' स्तर की अपेक्षा जीवन निर्वाह के 'न्यूनतम' स्तर के विषय में है।
पहचान से क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंपहचान एक खोज है – एक दृष्टि है और एक प्रवृत्ति को आत्मसात करना है। यह प्रवृत्ति हमें अपनी और दूसरों की छवि प्रदान करती है। इस मानक दृष्टिकोण के माध्यम से हम दूसरों से संबंध बनाते हैं। दूसरे शब्दों में, पहचान’ अपने अथवा अन्यों के संबंध में विकसित किया गया सामान्य विचार है।
सामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यवादी सिद्धान्त का प्रतिपादक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंसामाजिक स्तरीकरण के प्रकार्यवादी सिद्धान्त का प्रतिपादक कौन है?(A) कार्ल मार्क्स
समाज में संस्तरण के प्रमुख आधार क्या है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. Explanation: सामाजिक स्तरीकरण (social stratification) वह प्रक्रिया है जिसमे व्यक्तियों के समूहों को उनकी प्रतिष्ठा, संपत्ति और शक्ति की मात्रा के सापेक्ष पदानुक्रम में विभिन्न श्रेणियों में उच्च से निम्न रूप में स्तरीकृत किया जाता है।
पहचान निर्माण से आप क्या समझते है?
इसे सुनेंरोकेंपहचान निर्माण , जिसे पहचान विकास या पहचान निर्माण भी कहा जाता है , एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य स्वयं और अपनी पहचान के बारे में एक स्पष्ट और अद्वितीय दृष्टिकोण विकसित करता है । आत्म-अवधारणा , व्यक्तित्व विकास और मूल्य सभी पहचान निर्माण से निकटता से संबंधित हैं।
पहचान के निर्माण से आप क्या समझते हैं?
२ स्वयं को पहचानने आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं? आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं? का अर्थ प्रत्यक्ष में क्या करना?
इसे सुनेंरोकेंमन द्वारा विचार तरंगे उत्पन्न करते हैं और ये विचार तरंगे इतनी तीव्र गति से कार्य करती हैं कि लगने लगता है कि मन स्वचालित है. स्वयं को समझने के लिए सर्व प्रथम दृढ़ निश्चय से आत्मा और शरीर को समझे कि मैं आत्मा हूँ और शरीर, मन प्राण इन्द्रियाँ मेरे साधन हैं. मैं ही इन का स्वामी और ये मेरे सेवक हैं.
स्वयं को समझने का क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंआत्म ज्ञान :- व्यक्ति जब स्वयं के बारे में पूर्णतः परिचित होता है अर्थात् स्वयं को जानना – उसे आत्म ज्ञान कहते है। इस अवस्था में व्यक्ति के पास बहुत से शब्द, उनको व्याख्याओं का ज्ञान, अनुभव का संगठन होता है, जो उसे निरन्तर ज्ञान के मार्ग पर पहूँचाता है।
सिद्धांत के निर्माण से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंतथ्यों के बीच सही कार्य-कारणात्मक संबंध स्थापित करने के पश्चात् कार्य-कारणात्मकता के एक ही ढांचे के अंतर्गत विभिन्न तथ्यों को एक साथ लाया जाता है। जिस प्रक्रिया द्वारा ऐसा किया जाता है उसे सिद्धांत निर्माण कहते हैं क्योंकि इस तरह से निकले संबंध को ही प्रायः सिद्धांत कहा जाता है।
व्यक्तिगत लेख से आप क्या समझते हैं वर्णन करें?
इसे सुनेंरोकेंनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी स्पेशल पब्लिकेशन 8८००-१२२ व्यक्तिगत रूप से पहचाने जाने योग्य जानकारी को “एक एजेंसी द्वारा रखे गए किसी व्यक्ति के बारे में किसी भी जानकारी, (1) सहित किसी भी जानकारी को पहचानने या ट्रेस करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे कि” नाम, सामाजिक सुरक्षा संख्या, जन्म की …
अगर किसी दोस्त में नजर आ रहे हैं ये 7 संकेत, तो सचेत हो जाएं, आत्महत्या के हो सकते हैं लक्षण
आत्महत्या का विचार रखने वाला व्यक्ति अपनी स्थिति समझने में असमर्थ हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि आप आगे आएं और उनका ख्याल रखें।
सितंबर 10 विश्व आत्महत्या बचाव दिवस (National Suicide Prevention Day) के रूप में जाना जाता है।चित्र- शटरस्टॉक।
हर साल सैंकड़ों युवा आत्महत्या कर उस खूबसूरत दुनिया को अलविदा कह देते हैं, जिस दुनिया को असल में उनके सपनों के रंग में रंगना था। यह एक व्यक्ति के सपनों का टूटना ही नहीं, एक परिवार की भावनाओं, समाज और देश की बहुमूल्य ऊर्जा का भी नुकसान है। इस कीमती जीवन को बचाने के लिए दुनिया भर में 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (world Suicide Prevention Day)के तौर पर मनाया जाता है। इसका उद्देश्य उन प्रवृत्तियों को पहचान कर आत्महत्या को रोकने का प्रयास करना है।
आत्महत्या को रोकना है जरूरी
‘आत्महत्या को कैसे रोका जा सकता है?’ सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद इस विषय पर जागरूकता बढ़ी है। टीवी चैनल से लेकर चाय की दुकानों तक यह चर्चा का विषय बना हुआ है। कोई आत्महत्या क्यों करता है? इसका कोई सटीक जवाब नहीं हो सकता। लेकिन उनके लक्षणों के पहचान कर आप उन्हें बचा जरूर सकते हैं।
दोस्त को आत्महत्या करने से बचायें। चित्र: शटरस्टॉक
अमेरिकन फाउंडेशन फॉर सुसाइड प्रीवेंशन के अनुसार आत्महत्या विश्व भर में मृत्यु का दसवां सबसे बड़ा कारण है। भारत आत्महत्या दर में विश्व भर में 43वें नम्बर पर है। युवाओं में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है आत्महत्या।
आत्महत्या का विचार व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता को हानि पहुंचाता है। मनोचिकित्सक मानते हैं कि अगर व्यक्ति के आत्मघाती विचारों को डाइवर्ट कर दिया जाए, तो उन्हें खुदकुशी करने से रोका जा सकता है।
अगर किसी में ये लक्षण नजर आएं तो तुरंत हो जाएं सचेत
किसी के मन में क्या चल रहा है इसे कोई नहीं जान सकता। लेकिन उनके बर्ताव से इसे काफी हद तक समझा जा सकता है। यदि किसी के मन में आत्महत्या का विचार है, तो उनके बर्ताव में यह बदलाव साफ नजर आएंगे-
आत्महत्या का विचार रखने वाला व्यक्ति अपनी स्थिति समझने में असमर्थ हो जाता है।चित्र- शटरस्टॉक।
1. जीवन के प्रति असंतोष जताने वाली बातें कहना
यदि आपका कोई अपना इस तरह की बात कर रहा है, जिससे निराशा झलक रही है, तो यह चिंताजनक है। जीवन के प्रति नीरसता, निराशा और असंतोष प्रकट करना, यह कहना कि वे कितने अकेले हैं, जीवन में फंसे या जकड़े हुए हैं- यह आत्महत्या के लक्षण हैं।
2. बहुत अधिक या बहुत कम सोना
यदि कोई व्यक्ति जरूरत से अधिक या बहुत कम सो रहा है तो यह आत्महत्या के संकेत हो सकते हैं। बहुत अधिक सोना वास्तविकता से भागने का प्रयत्न हो सकता है, वहीं बहुत कम सोना मानसिक अशांति का संकेत है। दोनों ही तरह से व्यक्ति अपनी परेशानी व्यक्त कर रहा होता है। इस लक्षण को देखते ही आपको सचेत हो जाना चाहिए।
3. अपनी प्रिय वस्तुओं को दूसरों को देना या अपनी वसीयत बनवाना
अगर आपका करीबी बेवक्त अपनी वसीयत की चिंता करने लगे या कीमती वस्तुएं बांटे तो समझ लीजिए उनके मन में आत्मघाती विचार हैं।
4. बहुत अधिक शराब या ड्रग्स का सेवन
शराब या ड्रग्स भी वास्तविकता से भागने के माध्यम होते हैं। अक्सर परेशान या निराश व्यक्ति इस तरह के नशीले पदार्थों में सुख ढूंढ़ते हैं। जब यह स्थिति हाथ से निकलने लगती है, तो वे आत्महत्या के लिए प्रेरित हो जाते हैं।
अगर आपका कोई प्रिय बहुत अधिक शराब या ड्रग्स का सेवन करने लगे, तो उन पर नजर रखना शुरू कर दें।
कैसे पता करें कि दोस्त खुदकुशी करने वाला है?चित्र- शटरस्टॉक।
5. आत्महत्या से जुड़ी बातें करना या पढ़ना
अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या से जुड़ी बातें जैसे आत्महत्या कैसे कर सकते हैं, कैसे आत्महत्या सभी कष्टों का निवारण है या मरने के बाद क्या होता है- इस तरह की बातें कर रहा हो, तो सावधान हो जाएं।
अगर आपको डर है कि आपका मित्र ऐसा कदम उठा सकता है तो उनकी गूगल हिस्ट्री, चैट इत्यादि पर नजर रखें।
6. अचानक मूड स्विंग होना
अगर आपको लगता है कि आत्महत्या करने का विचार रखने वाला व्यक्ति हर वक्त दुखी या हताश रहता है तो ऐसा नहीं है। आत्महत्या करने वाला व्यक्ति बहुत तरह के मानसिक दबाव से गुजर रहा होता है, जिसमें उनका बर्ताव किसी एक प्रकार का नहीं होता। उससे उलट वे बहुत तीव्र मूड स्विंग से गुजरते हैं।
छोटी सी बात पर बहुत खुश हो जाना और उतनी ही जल्दी दुखी हो जाना, यह आत्महत्या के लक्षण हो सकते हैं। आत्महत्या ही नहीं, ऐसे मूड स्विंग कई गंभीर मानसिक रोगों के लक्षण होते हैं।
7. लोगों से पूरी तरह दूरी बनाना
ऐसे व्यक्ति समाज से खुद को काटने लगते हैं। इसका यह मतलब नहीं कि वह खुद को कमरे में बंद कर लेंगे। बजाय इसके, वे सबसे मिलते हैं, लेकिन खुद को जाहिर बिल्कुल नहीं करते। तन की दूरी ना होते हुए भी ऐसे व्यक्ति मन से सबसे दूर आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं? होते हैं। अपने बारे में बात करने से बचना, किसी से बात ना करना और झूठी खुशी दिखाना ऐसी खतरे की घण्टी हैं जिन्हें इग्नोर न करें।
आप क्या कर सकते हैं-
सबसे जरूरी है कि इन लक्षणों को पहचाना जाए। आत्महत्या के विचारों से गुजरने वाले व्यक्ति के लिए थेरेपी से लेकर मनोचिकित्सा के तमाम विकल्प होते हैं। लेकिन पहला कदम यही है कि कोई अपना उनके इस बर्ताव को समझे।
अगर आप को किसी अपने में यह लक्षण दिख रहे हैं, तो उनसे खुद बात करने के बजाय प्रोफेशनल मदद लें। आपके बात करने से स्थिति बिगड़ सकती है। इसलिए एक्सपर्ट से मदद लेना ही सुरक्षित है। सावधानी एक अनमोल जान बचा सकती है इसलिए इस जानकारी को आगे बढ़ाएं।
लेखक के बारे में
विदुषी शुक्ला
पहला प्यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते।
सीजीएमएस - सतत ग्लूकोज मॉनिटरिंग सिस्टम
मधुमेह के बढ़ते प्रभाव के साथ, यह अगली बड़ी महामारी के रूप में माना जा रहा है - पूरी तरह से जीवनशैली से संबंधित है. भारत व्यापकता के साथ दुनिया की मधुमेह की राजधानी बन गया है. मधुमेह वाले बच्चों के साथ मधुमेह की शुरुआत की उम्र कम हो रही है और इंसुलिन की आवश्यकता होती है. मधुमेह से उत्पन्न होने वाली जटिलताएं भी अधिक हैं - कोई भी शारीरिक प्रणाली नहीं है जो मधुमेह से प्रभावित नहीं होती है. किसी के लिए जो मधुमेह है, ब्लड शुगर को चेक रखना लगातार चुनौती है. अनियंत्रित ब्लड शुगर संक्रमणशील जटिलताएं पैदा कर सकता है जिसमें चेतना और थकान और दीर्घकालिक जटिलताओं के साथ इनमें न्यूरोपैथी और रेटिनोपैथी भी शामिल हैं.
सतत ग्लूकोज मॉनिटरिंग सिस्टम एफडीए अनुमोदित डिवाइस है. इस डिवाइस में एक सेंसर होता है जो पेट के क्षेत्र में या हाथ पर रखा जाता है. यह सेंसर शरीर के तरल पदार्थ में शर्करा के स्तर की पहचान करता है और इसे बेतार में भेजता है जो मॉनिटर रोगी द्वारा बेल्ट के रूप में पहना जाता है. प्रत्येक 5 से 15 मिनट तक रीडिंग्स नियमित अंतराल पर प्राप्त किए जा सकते हैं.
सीजीएमएस प्रत्येक 15 मिनट में रक्त शर्करा के स्तर का उपाय करता है, जो प्रति दिन 96 गुना होता है डेटा को एक व्यक्तित्व डिवाइस - स्मार्टफोन, टैबलेट, या लैपटॉप में डाउनलोड किया जा सकता है और आगे के विश्लेषण के लिए उपयोग किया जा सकता है. यह नियमित निगरानी की आवश्यकता की जगह नहीं लेता है. लेकिन निरंतर निगरानी के साथ सतर्कता को बेहतर बनाने में मदद करता है. यह प्रवृत्तियों और नस्लों का पता लगाने में मदद कर सकता है और जब शर्करा बहुत अधिक या बहुत कम हो, तो चिकित्सक को उस दिन की अवधि की पहचान आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं? करने में सहायता करता है.
आवश्यक इंसुलिन या एंटीबायेटिक दवा की मात्रा को शर्करा के स्तर पर आधारित समायोजित किया जा सकता है. कसरत आहार को परिभाषित किया जा सकता है जिसमें कसरत का प्रकार, समय और अवधि शामिल है. भोजन योजना को बेहतर तरीके से शरीर की जरूरतों के अनुरूप बनाने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है. नाइट-टाइम शक्कर चढ़ाव जो अकसर जाना नहीं जाता है अलार्म के साथ निगरानी की जा सकती है भोजन के बीच उच्च या निम्न (विशेषकर स्नैकिंग के साथ) ट्रैक किया जा सकता है उपचार प्रभावकारिता निर्धारित करें सीजीएम उपकरणों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वे हर कुछ मिनटों में आपके रक्त शर्करा के स्तर पर क्या हो रहा है, इसके बारे में जानकारी प्रदान करते हैं.
सीजीएमएस प्रत्येक 15 मिनट में रक्त शर्करा के स्तर का उपाय करता है, जो दिन में 96 गुना होता है. नवीनतम डिवाइस स्क्रीन पर ग्लूकोज रीडिंग प्रदर्शित करते हैं ताकि आप देख सकें - वास्तविक समय में - क्या ग्लूकोज का स्तर बढ़ रहा है या गिर रहा है कुछ सिस्टम में आपको यह बताने के लिए एक अलार्म भी होता है कि आपका ग्लूकोज उच्च या निम्न स्तर तक पहुंचता है. कुछ डिवाइसेस अपने डिस्प्ले स्क्रीन पर कुछ निश्चित घंटों में संग्रहित ग्लूकोज के स्तर को प्रदर्शित करने के लिए ग्राफ़ प्रदर्शित करने में सक्षम हैं. सभी डिवाइसों पर एकत्र किए गए डेटा ग्राफ़िंग और अधिक महत्वपूर्ण रुझान विश्लेषण के लिए एक कंप्यूटर पर अपलोड किए जा सकते हैं.
अगर आपको लगता है कि यह आपके शर्कराओं को निरंतर देखने का एक शानदार तरीका है, तो इसकी आवश्यकता नहीं है. निम्न लोगों से इसका लाभ होगा इंसुलिन पंप के उपयोग वाले लोग जो लोग चीनी स्तर पर लगातार उतार-चढ़ाव करते हैं, जिन्हें स्पष्ट रूप से समझाया नहीं है. जो कम शर्करा से अवगत नहीं होते हैं और थकान या थकान के कारण गर्भावधि मधुमेह समस्याएं हो सकती हैं.
निरंतर ग्लूकोज मॉनिटरिंग सिस्टम (सीजीएमएस) मधुमेह के साथ जीवन को आसान नहीं बना सकता है लेकिन वह निश्चित रूप से स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं. यदि आप परेशानी और व्यय से निपट सकते हैं तो आप यह कैसे जानते हैं कि ऐसी व्यवस्था आपके लिए सही है? आप आसानी से और सावधानी से अपने वर्तमान ग्लूकोज मूल्यों को लगातार पूरे दिन देख सकते हैं. बिना किसी उंगलियों की छड़ी कर सकते हैं यह आसान और बुद्धिमान है मॉनिटर्स के पास ''प्रवृत्ति तीर'' है जो आपको दिखाती है कि आपका स्तर बढ़ रहा है या जल्दी से गिर रहा है, इसलिए आप ऊंचा और चढ़ाव को रोका जा सकता है.
लगातार ग्लूकोज की निगरानी में ''उतार-चढ़ाव और प्रवृत्तियों की पहचान करने में मदद मिल सकती है. जो मानक एचबीए 1 सी परीक्षणों और आंतरायिक फिंगरस्टिक मापन के साथ अनदेखी नहीं होती है. डिवाइस खतरनाक तरीके से कम रातोंरात रक्त शर्करा के स्तर पर कब्जा कर सकता है जो अक्सर अनगिनत नहीं होते हैं. भोजन के बीच उच्च रक्त शर्करा के स्तर का खुलासा करते हैं. रक्त शर्करा में सुबह-सुबह स्पाइक दिखाते हैं, यह मूल्यांकन करें कि आहार और व्यायाम कैसे रक्त शर्करा को प्रभावित करते हैं और 72 घंटे की पूरी समीक्षा प्रदान करते हैं. आपके स्वास्थ्य देखभाल टीम द्वारा आपकी चिकित्सा में किए गए परिवर्तनों के प्रभावों का है.
आपके अपने रक्त शर्करा के स्तर के साथ क्या हो रहा है यह समझने के लिए सीजीएमएस का उपयोग कर सकते हैं. यदि आप किसी विशेष समस्या के बारे में चर्चा करना चाहते हैं, तो आप एक हृदय रोग विशेषज्ञ को परामर्श कर सकते हैं.
लिखावट के आधार पर जानिए व्यक्तित्व
किसी का व्यक्तित्व पहचानने के लिए उससे जुड़ी हर छोटी-छोटी बात बहुत मायने रखती है, जैसे उसका व्यवहार, बातचीत, उठने-बैठने का तरीका, यहां तक कि उसकी लिखावट। यही वजह है कि ग्राफोलॉजिस्ट लिखावट के आधार पर व्यक्तित्व का पता लगा लेते हैं।
अगर आप भी किसी का व्यक्तित्व जानना चाहते हैं तो उसकी लिखावट की मदद से आप इस तरह व्यक्तित्व का पता लगा सकते हैं।
लिखावट का झुकाव
दाईं ओर झुकी लिखावट वाले लोग खुली किताब की तरह होते हैं। इन्हें लोगों से घुलना-मिलना पसंद है और ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। बाईं ओर झुकी लिखावट वाले लोग अक्सर पर्दे के पीछे खुश रहते हैं।
अगर आप राइट हैंडेड हैं फिर भी बाएं हाथ से लिखते हैं तो आप क्रांतिकारी प्रवृत्ति के हो सकते हैं। सीधा लिखने वाले लोग अमूमन भावनात्मक किस्म के होते हैं और तार्किक बनने का प्रयास करते हैं।
लिखावट का आकार
बहुत बड़े आकार के अक्षर लिखने वाले लोग आमतौर पर प्रभावशाली व्यक्तित्व के होते हैं। यही वजह है कि कई बड़े सेलिब्रिटीज की लिखावट में बड़े अक्षम होते ही हैं।
बहुत छोटे अक्षरों में लिखने वाले लोग बहुत फोकस से काम करते हैं। ये शर्मीले और अंर्तमुखी स्वभाव के हो सकते हैं। सामान्य आकार के अक्षरों को लिखने वाले लोग हर परिस्थिति में सांमजस्य बैठा सकते हैं और हर काम को सलीके से करने में यकीन रखते हैं।
लिखावट में दबाव
कुछ लोग लिखते वक्त कलम पर दबाव बनाते हैं जो उनकी लिखावट में साफ झलकता है। ऐसी लिखावट वाले लोग गंभीर किस्म के होते हैं और कमिटमेंट में विश्वास रखते हैं। वहीं फ्री हैंड लिखावट वाले लोग संवेदनशील होते हैं और दूसरों से जल्दी प्रभावित हो सकते हैं।
अक्षरों आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं? में स्पेस
अक्षरों के बीच में कितनी जगह हम लिखते वक्त छोड़ते हैं, यह भी हमारे व्यक्तित्व की ओर इशारा है। अक्षरों के बीच अधिक स्पेस रखने वाले लोग अपने व्यक्तगित स्वतंत्रता को लेकर गंभीर होते हैं जबकि कम स्पेस रखने वाले लोगों में दूसरों की नकल करने की प्रवृत्ति अधिक होती है।
किसी का व्यक्तित्व पहचानने के लिए उससे जुड़ी हर छोटी-छोटी बात बहुत मायने रखती है, जैसे उसका व्यवहार, बातचीत, उठने-बैठने का तरीका, यहां तक कि उसकी लिखावट। यही वजह है कि ग्राफोलॉजिस्ट लिखावट के आधार पर व्यक्तित्व का पता लगा लेते हैं।
अगर आप भी किसी का व्यक्तित्व जानना चाहते हैं तो उसकी लिखावट की मदद से आप इस तरह व्यक्तित्व का पता लगा सकते हैं।
लिखावट का झुकाव
दाईं ओर झुकी लिखावट वाले लोग खुली किताब की तरह होते हैं। इन्हें लोगों से घुलना-मिलना पसंद है और आप प्रवृत्तियों की पहचान कैसे करते हैं? ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। बाईं ओर झुकी लिखावट वाले लोग अक्सर पर्दे के पीछे खुश रहते हैं।
अगर आप राइट हैंडेड हैं फिर भी बाएं हाथ से लिखते हैं तो आप क्रांतिकारी प्रवृत्ति के हो सकते हैं। सीधा लिखने वाले लोग अमूमन भावनात्मक किस्म के होते हैं और तार्किक बनने का प्रयास करते हैं।
लिखावट का आकार
बहुत बड़े आकार के अक्षर लिखने वाले लोग आमतौर पर प्रभावशाली व्यक्तित्व के होते हैं। यही वजह है कि कई बड़े सेलिब्रिटीज की लिखावट में बड़े अक्षम होते ही हैं।
बहुत छोटे अक्षरों में लिखने वाले लोग बहुत फोकस से काम करते हैं। ये शर्मीले और अंर्तमुखी स्वभाव के हो सकते हैं। सामान्य आकार के अक्षरों को लिखने वाले लोग हर परिस्थिति में सांमजस्य बैठा सकते हैं और हर काम को सलीके से करने में यकीन रखते हैं।
लिखावट में दबाव
कुछ लोग लिखते वक्त कलम पर दबाव बनाते हैं जो उनकी लिखावट में साफ झलकता है। ऐसी लिखावट वाले लोग गंभीर किस्म के होते हैं और कमिटमेंट में विश्वास रखते हैं। वहीं फ्री हैंड लिखावट वाले लोग संवेदनशील होते हैं और दूसरों से जल्दी प्रभावित हो सकते हैं।
अक्षरों में स्पेस
अक्षरों के बीच में कितनी जगह हम लिखते वक्त छोड़ते हैं, यह भी हमारे व्यक्तित्व की ओर इशारा है। अक्षरों के बीच अधिक स्पेस रखने वाले लोग अपने व्यक्तगित स्वतंत्रता को लेकर गंभीर होते हैं जबकि कम स्पेस रखने वाले लोगों में दूसरों की नकल करने की प्रवृत्ति अधिक होती है।
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